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उत्तराखंड जलविद्युत निगम के पूर्व एमडी वर्मा के खिलाफ जांच पूरी, रिपोर्ट शासन को सौँपी गई

उत्तराखंड जलविद्युत निगम के पूर्व प्रबंध निदेशक एसएन वर्मा के कार्यकाल में हुई अनियमितताओं की जांच कर रहे अपर सचिव भूपेश तिवारी ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। इस जांच रिपोर्ट का शासन स्तर पर परीक्षण होने के बाद इसे मुख्यमंत्री के समक्ष रखा जाएगा।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 08 Nov 2020 12:07 PM (IST)Updated: Sun, 08 Nov 2020 12:07 PM (IST)
उत्तराखंड जलविद्युत निगम के पूर्व एमडी वर्मा के खिलाफ जांच पूरी, रिपोर्ट शासन को सौँपी गई
उत्तराखंड जलविद्युत निगम के पूर्व एमडी वर्मा के खिलाफ जांच पूरी हो गई है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड जलविद्युत निगम के पूर्व प्रबंध निदेशक एसएन वर्मा के कार्यकाल में हुई अनियमितताओं की जांच कर रहे अपर सचिव भूपेश तिवारी ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। इस जांच रिपोर्ट का शासन स्तर पर परीक्षण होने के बाद इसे मुख्यमंत्री के समक्ष रखा जाएगा। पूर्व प्रबंध निदेशक वर्मा का विवादों से पुराना नाता रहा है। उनके खिलाफ झारखंड में भी जांच चल रही है। दरअसल जलविद्युत निगम में प्रबंध निदेशक बनने से पहले वह झारखंड राज्य बिजली बोर्ड के अध्यक्ष पद पर कार्यरत थे। उस दौरान उन पर सिकिदरी हाइडल प्रोजेक्ट की अनियमितताओं के आरोप लगे थे। निगम में रहते हुए भी आरोपों से बच नहीं पाए। 2016 से 2019 में प्रबंध निदेशक पद पर रहते हुए उन पर छिबरो, खोदरी व डाकपत्थर तीन जलविद्युत परियोजनाओं में हुए मरम्मत कार्यों में अनियमितता के आरोप लगे।  
 उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने भी तीन वर्षों की अवधि में उक्त तीन परियोजनाओं पर खर्च की गई 96 करोड़ की राशि पर सवाल खड़े किए थे। इन अनियमितताओं की जांच के लिए शासन अपर सचिव की अध्यक्षता में समिति का गठन कर चुका है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक अपर सचिव भूपेश तिवारी ने एसएन वर्मा से संबंधित जांच रिपोर्ट ऊर्जा सचिव राधिका झा को सौंपी है। इस रिपोर्ट के आधार पर वर्मा पर कार्रवाई का शिकंजा कसने के संकेत हैं।
लंबित जांचों पर नाराज हुए आबकारी आयुक्त
आबकारी आयुक्त सुशील कुमार ने लंबित चल रही विभागीय जांचों पर नाराजगी जताई है। उन्होंने संबंधित जांच अधिकारियों को 10 दिन के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।  साथ ही, उन्होंने अधिकारियों से अधीनस्थ कार्मिकों की वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि भी एक सप्ताह के भीतर दर्ज कर सूचना उन्हें उपलब्ध कराने को कहा है।
 आबकारी विभाग में बीते दो वर्षों में विभिन्न मामलों में कार्मिकों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं। इनके लिए जांच अधिकारी भी नियुक्त किए गए हैं। इनमें से 15 जांच ऐसी हैं, जो अभी तक पूरी नहीं हुई हैं। जांच पूरी न होने के कारण कार्मिकों की पदोन्नति व स्थानान्तरण से जुड़े मसलों के निस्तारण में परेशानी आ रही है। इसे देखते हुए आयुक्त आबकारी सुशील कुमार ने शनिवार को सभी जांच अधिकारियों संग बैठक की। उन्होंने जांच समय से पूरी न होने के कारणों की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि जांच का इतने लंबे समय तक पूरा न होना जांच अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल उठाता है। अधिकारी इनमें तेजी लाएं। 

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