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उत्‍तराखंड: परिवहन विभाग में मंत्रियों के दरबार तक पहुंची अंदरूनी खींचतान, आरटीओ की कुर्सी पाने के लिए दौड़ शुरू

शासन ने दून संभाग के आरटीओ प्रवर्तन संदीप सैनी पौड़ी संभाग के आरटीओ प्रशासन सुनील शर्मा के साथ हल्द्वानी संभाग के आरटीओ राजीव कुमार मेहरा का तबादला किया था। संदीप सैनी को हल्द्वानी शर्मा को सैनी के पद पर देहरादून जबकि मेहरा को शर्मा के पद पर पौड़ी भेजा गया।

By Sumit KumarEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 03:17 PM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 03:17 PM (IST)
उत्‍तराखंड: परिवहन विभाग में मंत्रियों के दरबार तक पहुंची अंदरूनी खींचतान, आरटीओ की कुर्सी पाने के लिए दौड़ शुरू
राज्य परिवहन विभाग में महज तीन आरटीओ के तबादले के बाद अंदरूनी खींचतान अब मंत्रियों के दरबार पहुंच गई है।

जागरण संवाददाता, देहरादून: राज्य परिवहन विभाग में महज तीन आरटीओ के तबादले के बाद शुरू हुई अंदरूनी खींचतान अब मंत्रियों के दरबार पहुंच गई है। विवादों में घिरे दून के आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई ने भी कुर्सी बचाने के लिए, जबकि दूसरे कुछ अधिकारियों ने दून आरटीओ की कुर्सी पाने के लिए 'दौड़' शुरू कर दी है। वहीं, सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से तबादले से जुड़ी फाइल तलब करने के बावजूद एक काबीना मंत्री की सिफारिश भारी पड़ रही है।

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पांच दिन पहले शासन ने दून संभाग के आरटीओ प्रवर्तन संदीप सैनी, पौड़ी संभाग के आरटीओ प्रशासन सुनील शर्मा के साथ हल्द्वानी संभाग के आरटीओ राजीव कुमार मेहरा का तबादला किया था। इनमें संदीप सैनी को हल्द्वानी, शर्मा को सैनी के पद पर देहरादून जबकि मेहरा को शर्मा के पद पर पौड़ी भेजा गया। आरोप है कि अधिकारियों निर्वाचन आयोग की गाइड-लाइन दरकिनार कर तबादलों को अंजाम दिया। तबादले की जद में सबसे पहला नंबर दून के आरटीओ प्रशासन दिनेश चंद्र पठोई का था, मगर वह कुर्सी बचाने में कामयाब हो गए।

पठोई इस पद पर साढ़े तीन वर्ष से डटे हुए हैं जबकि शासन ने जो तबादले किए, उनमें सभी तीन साल से कम तैनाती वाले हैंं। राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में निर्वाचन आयोग के साफ निर्देश हैं कि निर्वाचन कार्य से जो विभाग सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं, उनमें कोई भी विभागाध्यक्ष तीन वर्ष से अधिक तैनाती वाला न हो। साथ ही जो अधिकारी पिछले चुनाव में नोडल अधिकारी रहे हों, आयोग ने उनके भी तबादले के आदेश दिए हुए हैं। इसकी जद में दून के आरटीओ (प्रशासन) दिनेश चंद्र पठोई सबसे पहले आ रहे। ऐसे में उनका तबादला तय माना जा रहा था पर ऐसा नहीं हुआ। पठोई को नौ जुलाई 2018 को दून आरटीओ पद पर तैनात किया गया था। इससे पहले वह पौड़ी में इसी पद पर थे।

पिछले लोकसभा चुनाव में वह नोडल अधिकारी परिवहन (देहरादून) भी रह चुके हैं। वहीं, दून आरटीओ (प्रवर्तन) के पद से हटाकर हल्द्वानी में आरटीओ (प्रशासन) के पद पर भेजे गए संदीप सैनी को देहरादून में तैनाती को एक साल ही हुआ था। सैनी को 17 अक्टूबर 2020 को आरटीओ प्रवर्तन के पद पर तैनात किया गया था।

पठोई का तबादला न होने के पीछे विभाग में तमाम तरह की चर्चाएं चल रहीं। चर्चा है कि सियासी पहुंच के कारण पठोई की कुर्सी नहीं हिली। दूसरी ओर, विभाग में तबादलों को लेकर मचे हंगामे के बाद अब पठोई से लेकर दूसरे अधिकारी भी कुर्सी बचाने और कुर्सी पाने की होड़ में जुटे हुए हैं।

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शर्मा ने संभाला पदभार

पौड़ी संभाग के आरटीओ (प्रशासन) से दून में आरटीओ (प्रवर्तन) के पद पर भेजे गए सुनील शर्मा ने सोमवार को देहरादून में पदभार ग्रहण कर लिया। विभागीय सूत्रों के मुताबिक, प्रवर्तन पद पर हुई तैनाती से शर्मा भी खुश नहीं थे। वरिष्ठता के क्रम में शर्मा को प्रशासन का पद मिलना चाहिए था।

कुर्सी गई लेकिन रुतबा बरकरार

पूर्व में परिवहन मंत्री रहे यशपाल आर्य ने भले भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया हो मगर विभाग में उनका रुतबा अब भी बरकरार है। उन्होंने अपने खास रहे जिन आरटीओ को कुर्सी पर बैठाया था, वह पद पर अब भी काबिज हैं। भले चुनाव आयोग की गाइड-लाइन के अनुसार ऐसे आरटीओ तबादले की जद में आ रहे हों, मगर शासन उन्हें हटाने के लिए बैकफुट पर है।

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