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इनर लाइन से बाहर होंगे दुनिया के खरनाक रास्तों में शुमार गर्तांगली समेत अन्य क्षेत्र, जानें- क्या होती है Inner Line

उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी और वहां स्थित गर्तांगली इनर लाइन से बाहर होंगे। पर्यटन और संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि इसको लेकर केंद्र से वार्ता चल रही है।

By Edited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 08:52 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 09:36 PM (IST)
इनर लाइन से बाहर होंगे दुनिया के खरनाक रास्तों में शुमार गर्तांगली समेत अन्य क्षेत्र, जानें- क्या होती है Inner Line
इनर लाइन से बाहर होंगे दुनिया के खरनाक रास्तों में शुमार गर्तांगली समेत अन्य क्षेत्र, जानें- क्या होती है Inner Line

देहरादून, राज्य ब्यूरो। चीन सीमा से सटे उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी और वहां स्थित गर्तांगली इनर लाइन से बाहर होंगे। पर्यटन और संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इस सिलसिले में केंद्र सरकार से निरंतर वार्ता चल रही है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा पिथौरागढ़ के नाभीढांग, ओम पर्वत, कुटी गांव और व्यास गांव के साथ ही चमोली के टिम्मरसैंण क्षेत्र, द्रोणागिरी, भविष्य बदरी को भी इनर लाइन से मुक्त करने के मद्देनजर केंद्र के समक्ष पक्ष रखा गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र जल्द ही इस संबंध में फैसला लेगा। 

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कैबिनेट मंत्री महाराज ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि संपूर्ण नेलांग घाटी नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। एक दौर में भारत-तिब्बत के बीच व्यापार के प्रमुख मार्ग पर स्थित गर्तागली भी इसी घाटी में है। खड़ी चट्टान को काटकर तैयार किए गए गर्तांगली के करीब 300 मीटर मार्ग से गुजरते वक्त स्काई वॉक जैसा अहसास होता है। गर्तांगली की सीढि़यों के जीर्णोद्धार के लिए धनराशि जारी होने के साथ ही वन विभाग से वाइल्डलाइफ क्लीयरेंस भी मिल चुकी है। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा नेलांग और गर्तांगली के साथ ही चमोली और पिथौरागढ़ के सीमांत क्षेत्रों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की है। 

उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार से आग्रह किया गया है कि हिमाचल के किन्नौर की तर्ज पर उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों को भी इनरलाइन की बंदिशों से छूट दी जाए। इनरलाइन से मुक्त होने से सीमांत इलाकों के गांव भी आबाद हो सकेंगे, जो सुरक्षा की दृष्टि से आवश्यक है। 

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क्या होती है इनर लाइन 

दूसरे देशों की सीमा के नजदीक स्थित वह क्षेत्र, जो सामरिक दृष्टि से महत्व रखता हो, उसे इनर लाइन घोषित किया जाता है। ऐसे क्षेत्रों में सिर्फ स्थानीय लोग ही प्रवेश कर सकते हैं। विदेशी सैलानियों को वहां जाने को इनर लाइन परमिट लेना होता है। इसमें भी वह तय सीमा तक ही इनर लाइन क्षेत्र में घूम सकते हैं, रात्रि विश्राम नहीं कर सकते।

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