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आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा उद्योग जगत, आम बजट से बड़ी उम्मीदें

आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहे उद्योग जगत को आम बजट से बड़ी उम्मीदें हैं। किसी बड़ी घोषणा से एमएसएमई और रियल स्टेट जैसे सेक्टरों में फिर से बूम आ सकता है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 28 Jan 2020 05:12 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jan 2020 05:12 PM (IST)
आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा उद्योग जगत, आम बजट से बड़ी उम्मीदें
आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा उद्योग जगत, आम बजट से बड़ी उम्मीदें

देहरादून, जेएनएन। आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहे उद्योग जगत को आम बजट से बड़ी उम्मीदें हैं। अगर आम बजट में केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण औद्योगिक ढांचागत विकास के लिए बड़े निवेश की घोषणा करें और उद्योगों को करों में रियायत दें तो सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यमिता संस्थान (एमएसएमई) और रियल स्टेट जैसे सेक्टरों में फिर से बूम आ सकता है। 

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एमएसएमई सेक्टर के उद्योग को 12 से 18 फीसद जीएसटी भारी पड़ रहा है। पैकेजिंग उद्योगों के कच्चे माल पर भी 12 फीसद जीएसटी लगाया गया है। आम बजट में इसे पांच फीसद तक घटाने की उद्योगपति उम्मीद कर रहे हैं। इसके अलावा फूड उद्योगों में नमकीन उद्योग को 12 फीसद जीएसटी देना पड़ रहा है। इस उद्योग से जुड़े उद्योगपति इस पांच फीसद करने की मांग कर रहे हैं। 

मंदी की मार से जूझ रहे उद्योगपति केंद्रीय वित्त मंत्री से आम बजट में विभिन्न उद्योगों में रियायत की उम्मीद लगाए हुए हैं। इंडस्ट्री एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड से जुड़े उद्यमियों का मानना है कि वर्ष 2019के आम बजट में एमएसएमई सेक्टर के लिए वन टाइम सेटेलमेंट पॉलिसी लागू की गई थी, जिससे उत्तराखंड के करीब 56 हजार छोटे उद्योगों को राहत मिली थी। उत्तराखंड इंडस्ट्रियल एसोसिएशन से संबद्ध उद्योगपतियों का मानना है कि केंद्रीय स्तर के साथ-साथ स्थानीय स्तर की समस्याओं का भी समाधान तलाशा जाना चाहिए। तभी प्रदेश के उद्योगों में उत्पादन क्षमता बढ़ेगी, जिससे रोजगार के अधिक अवसर पैदा होंगे।         

उद्योगपतियों के सुझाव 

-रियल स्टेट सेक्टर में निवेश के लिए उद्योगपतियों को किया जाए प्रोत्साहित

- बैंक छोटे उद्यमियों को कार्यशीलपूंजी लेने के दौरान औपचारिकता में न उलझाएं 

-किसी भी उद्योग के कच्चे माल पर जीएसटी पांच फीसद से अधिक न हो 

- स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट ऑथरिटी (सीडा) और पिटकुल के कार्य क्षेत्र निर्धारित हों। 

-पैकेजिंग उद्योगों पर 12 से 18 फीसद जीएसटी को घटाकर पांच फीसद किया जाए। 

- नमकीन उद्योग से 12 फीसद जीएसटी घटाकर पांच फीसद करने पर सुधरेगी दशा 

स्थानीय स्तर में इन समस्याओं का हो समाधान   

- दिसंबर 2018 से एमएसएमई इकाइयों की सब्सिडी उद्योग निदेशालय में लंबित 

-सेलाकुई औद्योगिक क्षेत्र में पिटकुल की ओर से 220 केवीए का पॉवर स्टेशन लंबित 

-पटेलनगर औद्योगिक क्षेत्र में सड़कें जर्जर इनको जल्द किया जाए दुरुस्त 

-औद्योगिक क्षेत्र की ड्रेनेज व्यवस्था को ठीक किया जाए जिससे बरसात के समय जलभराव की समस्या से मिले निजात 

- पटेलनगर औद्योगिक क्षेत्र में जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हैं। औद्योगिक क्षेत्र में दुर्गंध से लोग परेशान हैं इस समस्या का भी जल्द हो समाधान 

- पिटकुल और सिडकुल की ओर से औद्योगिक क्षेत्र में भूमिगत केबल बिछाने की एनओसी नहीं दी जा रही है, जिससे कई परियोजना अधर पर है। 

- सेलाकुई स्थित औद्योगिक क्षेत्र में तीन वर्ष पूर्व साडा की ओर से लगाई गई 75 स्ट्रीट लाइटें चालू नहीं, इन्हें जल्द ठीक कराया जाए। 

प्रदेश में उद्योग, निवेश और रोजगार 

बड़े उद्योग 

293, 37 हजार करोड़, एक लाख, 58 हजार   

एमएसएमई 

60466, 12743 करोड़, 2.98 लाख 

उत्तराखंड इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज गुप्ता का कहना है कि बजट में मंदी से उभरने के समग्र प्रयास की सख्त दरकार है। बाजार में खरीदारों का विश्वास बढ़ाना होगा। एमएसएमई सेक्टर में जीएसटी रिफंड में जो दिक्कतें आ रही उन्हें और सरल बनाने की जरूरत है। केद्रींय वित्तमंत्री से उद्योग जगत को बड़ी उम्मीदें है।

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उत्तराखंड स्टेट काउंसिल के चेयरमैन मुकेश गोयल का कहना है कि औद्योगिक मंदी का बड़ा कारण लोगों की क्रय क्षमता घटना है। जब बाजार में सामान का क्रय कम होगा तो डिमांड भी घटेगी और उत्पादन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। यह औद्योगिक मंदी का बड़ा कारण भी है। आम बजट में आर्थिक सुधारों को लेकर तत्काल बड़े फैसले लेने की जरूरत है।

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फूड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के संरक्षक अनिल मारवाह ने बताया कि बजट में कर सुधारों से लेकर औद्योगिक जगत के ढांचागत विकास में जोर देना होगा। बाजार में खरीदारों का तभी विश्वास बढ़ेगा जब केंद्रीय वित्तमंत्री आर्थिक सुधारों की दिशा में सकारात्मक कदम उठाएगी। 

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