लॉकडाउन के एक साल बाद : कोरोना को हराकर उद्योग जगत ने पकड़ी रफ्तार
कोरोना महामारी के कारण ठीक एक साल पहले 22 मार्च 2020 को औद्योगिक उत्पादन का पहिया थम गया था। लेकिन देश ने काफी हद तक इस वैश्विक महामारी से पार पा लिया है। साथ ही औद्योगिक जगत ने भी रफ्तार पकड़ ली है।
अशोक केडियाल, देहरादून। कोरोना महामारी के कारण ठीक एक साल पहले 22 मार्च 2020 को औद्योगिक उत्पादन का पहिया थम गया था। राज्य के करीब 62 हजार लघु, मध्यम व बड़े उद्योगों में लॉकडाउन के कारण ताले लटक गए थे। वहीं राज्य के तीन बड़े सेलाकुई, हरिद्वार व काशीपुर औद्योगिक क्षेत्र वीरान हो गए थे। लेकिन, जनता ने जिस तरह से संयम दिखाया उसी का नतीजा है कि देश ने काफी हद तक इस वैश्विक महामारी से पार पा लिया है। साथ ही औद्योगिक जगत ने भी रफ्तार पकड़ ली है।
लॉकडाउन की घोषणा के करीब 67 दिन बाद केंद्र सरकार ने औद्योगिक इकाइयों को जिला प्रशासन की अनुमति के बाद मात्र 30 फीसद कामगारों के साथ उत्पादन शुरू करने की इजाजत दी। इसके बाद अनलॉक 2, अनलॉक 3 व 4 में औद्योगिक क्षेत्रों को उत्पादन की और अधिक छूट दी गई। जिसके बाद मंद पड़े औद्योगिक उत्पादन ने रफ्तार पकड़ी। एक नवंबर 2020 से एक मार्च 2021 के बीच चार महीने के दौरान प्रदेश में एमएसएमई सेक्टर की 3531 व दो बड़े उद्योग प्रदेश में स्थापित हुए। इनमें 712.97 करोड़ का निवेश हुआ और 17,905 को रोजगार प्राप्त हुआ।
लघु उद्योग भारती उत्तराखंड के प्रांत महामंत्री विजय तोमर ने कहा कि कोरोना संक्रमण कम होने के बाद अनलॉक काल में उद्योगों की गति को आर्थिक मजबूती मिली। इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन के उत्तराखंड चेयरमैन राकेश भाटिया ने कहा कि कोरोना संक्रमण की गति कम होने के बाद निश्चित रूप से उद्योगों में उत्पादन की गति में वृद्धि हुई, लेकिन बाजार में डिमांड कम होने और कच्चा माल नहीं मिलने से उद्योगों को अपेक्षाकृत लाभ नहीं मिल पा रहा है। उद्योगों को विकास के पथ पर यदि अग्रसर करना है तो केंद्र सरकार को जीएसटी सहित अन्य केंद्रीय सब्सिडी में रियायत देनी होगी।
यह समस्याएं बन रही विकास में रोड़ा
- सेलाकुई औद्योगिक क्षेत्र में तीन वर्ष पूर्व बनाई गई ड्रेनेज को आज तक कवर नहीं किया गया है। बरसात के दौरान जलभराव की समस्या है।
- सेलाकुई औद्योगिक क्षेत्र में पिटकुल की ओर से 220 केवीए का पावर स्टेशन लंबित है।
- पिटकुल व सिडकुल की ओर से औद्योगिक क्षेत्र में भूमिगत केबल बिछाने की योजना लटकी है।
- पटेलनगर औद्योगिक क्षेत्र में सड़कें क्षतिग्रस्त हैं। बरसात के दौरान काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
- पटेलनगर क्षेत्र में जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हैं। औद्योगिक क्षेत्र में बदबू फैली है। बीमारियों की आशंका रहती है।
- दिसंबर 2018 से एमएसएमई इकाइयों की सब्सिडी उद्योग निदेशालय में लंबित है।
- सेलाकुई स्थित औद्योगिक क्षेत्र में तीन वर्ष पूर्व साडा की ओर से लगाई गई 75 स्ट्रीट लाइटें चालू नहीं हैं।
फूड इंडस्ट्रीज पर भी ध्यान नहीं
- फूड उद्योगों का सैंपल लेते समय एफएसओ अपने फार्म 5ए पर आइटम की डेट ऑफ मेनीफेक्चिङ्क्षरग अंकित नहीं करते हैं, इसे अंकित किया जाए।
- भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) में सरकारी फीस जमा करने के लिए उत्तराखंड में ऑनलाइन व्यवस्था शुरू की जाए।
- पांच टन से कम क्षमता की इकाइयों को राज्य से लाइसेंस मिले।
- सभी नमकीन व फूड इकाइयों की जागरूकता के लिए शिविरों का आयोजन किया जाए।
एक मार्च, 2021 तक प्रदेश में उद्योग, निवेश व रोजगार
बड़े उद्योग, 295, 40 हजार करोड़, एक लाख, 90 हजार
एमएसएमई, 65,497, 20,743 करोड़, 3.15 लाख
गणेश जोशी (औद्योगिक विकास मंत्री) ने कहा कि प्रदेश के एमएसएमई सेक्टर के उद्योगों को पहाड़ों पर स्थापित करने और अधिक से अधिक ग्रामीण युवाओं को रोजगार से जोड़ने की योजना तैयार की जाएगी। प्रदेश में औद्योगिक इकाइयों को स्थापित करने के लिए नियमों को और अधिक सरल बनाया जाएगा, ताकि उत्तराखंड में अधिक से अधिक निवेश हो।
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