उत्तराखंड में पर्यटन और एमएसएमई में रोजगार के बड़े मौके, पढ़िए पूरी खबर
उत्तराखंड में एमएसएमई और पर्यटन के क्षेत्रों में रोजगार की अपार संभावनाओं को देखते हुए भी सीआइआइ ठोस रोडमैप राज्य सरकार के सामने रखेगा।
देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। उत्तराखंड समेत देशभर में उद्योगों के लिए बन रहे अनुकूल माहौल में कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआइआइ) सरकार और नए उद्यमियों व पूंजी निवेशकों के बीच मजबूत पुल का काम करेगा। बीते वर्ष राज्य में बड़े स्तर पर हुए इन्वेस्टर्स समिट में सरकार का को-पार्टनर रहा सीआइआइ आगामी सितंबर माह में हरिद्वार में इंडस्ट्रियल समिट करने जा रहा है। इस समिट में राज्य में सफलतापूर्वक संचालित हो रहे उद्योगों को बतौर केस स्टडी निवेशकों के सामने रखा जाएगा, साथ ही उद्योगों में उनका दौरा भी कराया जाएगा। प्रदेश में एमएसएमई और पर्यटन के क्षेत्रों में रोजगार की अपार संभावनाओं को देखते हुए भी सीआइआइ ठोस रोडमैप राज्य सरकार के सामने रखेगा।
वर्ष 2022 में देश आजादी के 75 वर्ष पूरे कर रहा है। 'इंडिया एट द रेट ऑफ 75' की मुहिम के तहत सीआइआइ ने इस वर्ष के लिए थीम 'प्रतिस्पर्धी भारत' चुनी है। सीआइआइ के नार्दर्न रीजन के अध्यक्ष समीर गुप्ता ने शुक्रवार को 'दैनिक जागरण' के साथ भेंटवार्ता में उत्तराखंड समेत रीजन के नौ राज्यों पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश में सीआइआइ की गतिविधियों और फोकस एरिया पर बातचीत की। उन्होंने बताया कि सीआइआइ नार्दर्न रीजन के 2700 सदस्य हैं। पूरे देश में सीआइआइ के चार रीजन की कुल सदस्य संख्या 9000 है। हर राज्य के पास उसके प्राकृतिक व अन्य संसाधन हैं। सीआइआइ उन्हें ध्यान में रखकर वहां औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के एजेंडे पर आगे बढ़ी है। तीन साल के भीतर उद्योगों के लिए बन रहे वातावरण को देखते हुए इस संस्था ने छह लक्ष्य सामने रखे हैं। इनमें सबसे पहला लक्ष्य रोजगार सृजन है। पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा समेत सर्विस सेक्टर में रोजगार की बड़ी संभावनाएं हैं। उत्तराखंड में सड़क, हवाई सेवा, रेल व अन्य कनेक्टिविटी को बेहतर करने की जरूरत है। इससे बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार मिल सकेगा। औद्योगिक क्षेत्र में रोजगार की निरंतरता के लिए उन्होंने स्किलिंग के साथ री-स्किलिंग पर भी खासा जोर दिया।
विकास के साथ पर्यावरण सुरक्षा जरूरी
दूसरा लक्ष्य पर्यावरण की सुरक्षा है। अब देश दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद सरीखे प्रदूषित शहरों को बढ़ावा नहीं दे सकता। प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए इलेक्ट्रिकल व्हीकल, ग्रीन बिल्डिंग जैसे कदमों से संतुलन बनाने की जरूरत है, ताकि भावी पीढ़ी को सुरक्षित वातावरण मिले। प्रतिस्पर्धात्मक एमएसएमई को तीसरे लक्ष्य के रूप में सीआइआइ ने हाथ में लिया है। छोटे, लघु व मध्यम उद्योगों को मजबूत किए बगैर बड़े और भारी उद्योगों का आधार तैयार नहीं किया जा सकता। एमएसएमई बड़े पैमाने पर रोजगार का जरिया भी है। छोटे उद्योगों में भी प्रौद्योगिकी, बेस्ट प्रेक्टिसेज, ट्रेनिंग को प्रोत्साहन देना वक्ती जरूरत है।
फ्यूचर स्किल हैं नैतिक मूल्य
सीआइआइ ने चौथे लक्ष्य के रूप में गवर्नेंस को रखा है। नार्दर्न रीजन अध्यक्ष समीर गुप्ता ने कहा कि आने वाले वर्षों में नैतिक मूल्य स्किल के रूप में ढल जाएंगे। सरकार व उद्योगों के बीच भरोसे की कमी को इससे दूर किया जा सकता है। संस्था इस दिशा में जागरूकता पैदा करना चाहती है। अर्बन-रूरल कनेक्ट के पांचवें लक्ष्य पर अगले तीन सालों में सीआइआइ का खास फोकस रहेगा। इसके लिए अर्बन-रूरल सप्लाई चेन को एकीकृत करना होगा। सिर्फ फलों के वेस्टेज को बचाकर ही एक लाख करोड़ की सालाना बचत की जा सकेगी। छठा लक्ष्य जल संरक्षण रखा गया है। स्वच्छ जल भविष्य की बड़ी समस्या बनने जा रही है। इस पर शिद्दत से ध्यान देना होगा।
उद्योगों के प्रति सोच में बड़ा बदलाव
सीआइआइ उत्तराखंड स्टेट काउंसिल के अध्यक्ष व हीरो कॉर्प हरिद्वार के स्वामी मुकेश गोयल कहते हैं कि उत्तराखंड में उद्योगों के प्रति सोच में बड़ा बुनियादी बदलाव आता दिख रहा है। सरकार की इच्छाशक्ति में बदलाव दिखाई दिया। इसके बाद पूंजी निवेशकों और उद्यमियों में बदलाव दिख रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों में उद्योगों को सिर्फ नीति बनाकर ही प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता। धार्मिक, साहसिक, प्राकृतिक पर्यटन के साथ ही मनोरंजन सिटी को भी विकसित करने की जरूरत है। सीआइआइ उत्तराखंड स्टेट काउंसिल के उपाध्यक्ष अशोक विंडलास कहते हैं कि उद्योगों के बारे में सही जानकारी देने के लिए संस्थानों को विकसित किया जाना चाहिए। अभी यह गैप होने से उद्योगों की जरूरत को सही तरीके से समझने में दिक्कतें महसूस की जा रही हैं। इस मौक पर सीआइआइ के रीजनल डाइरेक्टर अंकुर चौहान और स्टेट ऑफिस डाइरेक्टर सुमनप्रीत सिंह भी मौजूद रहे।यह भी पढ़ें: एमएसएमई में उत्तराखंड ने भरी जोरदार उछाल, इकाइयों की संख्या पहुंची 60466 तक
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