संवाद सूत्र, चकराता: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग देहरादून मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. आरके पटेल ने बुधवार को हनोल क्षेत्र का दौरा कर महासू मंदिर में चल रहे कार्य की प्रगति जानी। इस दौरान अधीक्षण पुरातत्वविद ने संबंधित ठेकेदार को प्रथम चरण के मंदिर संरक्षण कार्य को 15 मार्च से पहले हर हाल में निपटाने को कहा, जिससे द्वितीय चरण का कार्य समय रहते शुरू कराया जा सके।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. पटेल ने कहा कि महासू मंदिर हनोल में पौराणिक व्यवस्था के अनुसार पांडवकालीन महत्व के प्राचीन मंदिर के चारों तरफ बरसात में पानी व भूस्खलन से बचाव को सीसी एप्रैन बनाने का कार्य पूरा चुका है। इसके अलावा मंदिर में प्रस्तावित लैंडस्केपिग कार्य व देवता की प्राचीन फुलवाड़ी जिसे कुंगवाड़ कहते हैं, के चारों ओर सुरक्षात्मक रेलिग लगाई गई है। मंदिर परिसर में मैदान का समतलीकरण कार्य, तीन लघु मंदिरों का जीर्णोद्धार कार्य, लोक सांस्कृतिक महोत्सव के आयोजन को मंदिर में पंडाल बनाने का कार्य भी पूर्ण हो चुका है। मंदिर के ठीक सामने बने पुराने भंडारगृह को 10 से 12 फीट पीछे खाली जगह पर शिफ्ट किया गया है और महासू मंदिर के आगे वाले कक्षा की दीवार में प्रयोग किए गए सीमेंट को हटाकर उसकी जगह चूना-मिट्टी के गारे से भराई कार्य तेज गति से चल रहा है।
वहीं निरीक्षण के दौरान स्थानीय ग्रामीणों ने अधीक्षण पुरातत्वविद से कहा कि भंडारगृह को मंदिर की तरफ आगे बढ़ाने से मैदान की जगह कम हो जाएगी। जिससे स्थानीय मेलों के आयोजन में क्षेत्रीय जनता को मंदिर रात्रि जागरण के दौरान समस्या होगी। अधीक्षण पुरातत्व विद ने कहा कि हनोल मंदिर में पार्ट वन का मंदिर संरक्षण कार्य करीब 90 फीसद हो चुका है। शेष कार्य को 15 मार्च तक निपटाने के कड़े निर्देश जारी किए गए हैं। कहा कि इसके बाद सेकेंड पार्ट में मंदिर प्रबंधन समिति व ग्राम पंचायत के प्रस्ताव के तहत मंदिर परिसर के कुछ हिस्से में अधूरे पड़े मैदान का समतलीकरण कार्य, पुरानी धर्मशाला की मरम्मत और अन्य विकास कार्य कराने को प्राकलन बनाया गया है। इस मौके पर मंदिर प्रबंधक नरेंद्र नौटियाल, सहायक प्रबंधक विक्रम सिंह राजगुरु, रामलाल नौटियाल, नत्थी प्रसाद आदि मौजूद रहे।
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