ऋषिकेश महापौर अनीता ममगाईं बोलीं, राष्ट्र निर्माण में संतों का अहम योगदान
नगर निगम महापौर अनीता ममगाईं ने कहा कि संतों और महापुरुषों ने सदैव राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधा है। समाज को एक नई दिशा देने का काम किया है। राष्ट्र निर्माण में संतों का अहम योगदान रहा है।
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। नगर निगम महापौर अनीता ममगाईं ने कहा कि संतों और महापुरुषों ने सदैव राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधा है। समाज को एक नई दिशा देने का काम किया है। राष्ट्र निर्माण में संतों का अहम योगदान रहा है। महापौर ने कबीर चौरा आश्रम में आश्रम में शनिवार को ब्रहमलीन 108 महंत प्रदीप दास महाराज की प्रथम पुण्यतिथि पर आयोजित धार्मिक अनुष्ठान में ब्रहमलीन संत को श्रद्धांजलि अर्पित की।
महापौर अनीता ममगाईं ने कहा कि संतों का जीवन सदैव भक्तों के कल्याण और मानव सेवा को समर्पित रहता है। संतों के जीवन से प्रेरणा लेकर व्यक्ति को समाज कल्याण में अपना योगदान करना चाहिए। मानव सेवा के लिए समर्पित रहें संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है। संतों के उपदेश सदैव प्रेरणादायी होते हैं जिन्हें आत्मसात कर व्यक्ति को अपना जीवन लोक कल्याण के कार्य में समर्पित करना चाहिए। इसी तरह महापुरुषों ने सदैव समाज का मार्गदर्शन कर मानव कल्याण के लिए प्रेरित करने का काम किया है। उन्होंने सनातन धर्म के अनुष्ठानों को बढ़ावा देने की बात कही।
उन्होंने कहा कि संतों और महापुरुषों के बताए सिद्धांत ही हमारी रक्षा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि संस्कारों के अभाव में संयुक्त परिवार टूट रहे हैं। इसलिए हमें सबसे पहले अपने परिवारों में संस्कारों को कायम करना होगा। सत्संग मानव जीवन की दिशा ही बदल देता है। संयम, धैर्य और शिष्टाचार सत्संग से ही मिलते हैं।महापौर ने आश्रम की ओर से किए जा रहे परोपकार के कार्य की सराहना करते हुए कहा कि मनुष्य को परोपकार के कार्य करने चारिए। गरीबों एवं असहायों की सेवा करना सबसे बड़ा पुण्य हैं। व्यक्ति महान नहीं होता, व्यक्ति का कर्म महान होता है। अच्छे और नेक कर्म करने वालों की अपने कार्यों के बल पर ही समाज में पूजा होती है।
ऋषिकेश बदरीनाथ मार्ग पर स्थित कबीर चौरा आश्रम में महंत कपिल मुनि की अध्यक्षता में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में षड्दर्शन साधु समाज के अखिल भारतीय अध्यक्ष महंत गोपाल गिरी, रघुनाथ मंदिर के मंहत मनोज द्विवेदी, स्वामी महंत प्रकाशानंद, आचार्य मदन, स्वामी धर्मानंद, सविंद्र सिंह, महिमानंद, महंत बलवीर सिंह, महंत कृष्णानंद, मोनी बाबा, पंडित रवि शास्त्री, आनंद गिरी, स्वामी स्वतंत्र मुनि, पंकज शर्मा, अभिषेक शर्मा आदि उपस्थित रहे।
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