देहरादून, जेएनएन। भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) जैसे अतिसंवेदनशील प्रतिष्ठान की सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद बनाने का मसला आखिरकार करीब 12 साल के लंबे इंतजार के बाद हल हो गया। इसके साथ ही जनता की सुगम आवाजाही की राह भी खुल गई है। यह दोनों ऐसे मसले थे, जिसको लेकर रक्षा मंत्रालय और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के बीच सहमति नहीं बन पा रही थी।
रक्षा मंत्रालय ने आइएमए के सामने दो टनल के निर्माण को हरी झंडी दी है। करीब 12 साल पहले जब टन निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया गया था, तब एक ही टनल का निर्माण किया जाना था। यह प्रस्ताव भी राजमार्ग मंत्रालय में लटक गया था, क्योंकि राजमार्ग मंत्रालय ने यह शर्त जोड़ दी थी कि आधी राशि रक्षा मंत्रालय वहन करे। दूसरी तरफ रक्षा मंत्रालय का कहना था कि परियोजना राजमार्ग की है, लिहाज वह राशि वहन करे। इसी कसरत में बात आगे नहीं बढ़ पाई। अब रक्षा मंत्रालय ने आइएमए के बाहर वाहनों की रेलमपेल को देखते हुए स्वत: ही संवेदनशील प्रतिष्ठान के परिसर को पूरी तरह व्यक्तिगत बनाने का निर्णय ले लिया है।
पीओपी के दौरान कई दिन तक घंटों बाधित रहता है राजमार्ग
आइएमए की पासिंग आउट परेड साल में दो बार होती है। परेड की तैयारियां करीब एक सप्ताह पहले शुरू कर दी जाती हैं। लिहाजा, राजमार्ग को रोजाना किसी न किसी कारण से बंद कर दिया जाता है। जिस दिन परेड होती है, उस दिन कई घंटे राजमार्ग का यातायात डायवर्ट कर दिया जाता है। इसके चलते बड़ी संख्या में वाहन वैकल्पिक मार्ग के रूप में गलियों में रेंगते रहते हैं। इसके अलावा सामान्य दिनों में भी कैडेट्स की आवाजाही के दौरान वाहनों को रोका जाता है। आइएमए परिसर सड़क के दोनों तरफ फैला है। एक परिसर से दूसरे परिसर तक जाने के लिए राजमार्ग को पार करना पड़ता है। अतिसंवेदनशील प्रतिष्ठान के लिहाज से भी यह उचित नहीं था कि सार्वजनिक मार्ग बीच में पड़े। अब टनल निर्माण के बाद वाहन टनल से गुजरेंगे और ऊपर की सड़क अकादमी के लिए मुक्त हो जाएगी।
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राजमार्ग खंड ने पिछले साल भेजा था संशोधित प्रस्ताव
राजमार्ग खंड डोईवाला ने पिछले साल टनल निर्माण का संशोधित प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था। अब इस प्रस्ताव पर मुहर लगने के बाद माना जा रहा है कि यह काम राजमार्ग खंड के ही हिस्से आएगा। वैसे भी यह राजमार्ग इसी खंड के अधीन है। करीब 12 साल पहले जब टनल निर्माण की पहली दफा कवायद शुरू की गई थी, तब यह राजमार्ग रुड़की खंड के अधीन था।
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