गांधी पार्क में हुए घोटाले की जांच करेगा आइआइटी, जानिए पूरा मामला
गांधी पार्क में हुए घोटाले के मामले में नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने आइआइटी रुड़की से जांच कराने का आदेश दिया है।
देहरादून, जेएनएन। गांधी पार्क में अमृत योजना से बने किड्स जोन में वित्तीय अनियमितता के मामले में नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने आइआइटी रुड़की से जांच कराने का आदेश दिया है। लाखों रुपये के इस घोटाले में नगर निगम प्रशासन पिछले दस माह से लीपापोती कर रहा था। मामला गत दिनों बोर्ड बैठक में भी उठा था। इस बीच यह भी पता चला है कि अनियमितता की शिकायत केंद्र सरकार तक भी गई है। दिल्ली से अमृत योजना की जांच टीम अब तक दून में हुए समस्त कार्यों की जांच कर रही है।
सूचना के अधिकार के तहत जानकारी में बीते साल जून में यह खुलासा हुआ था कि निगम अधिकारियों ने सामान की खरीद में लाखों रुपये की बंदरबांट की और बाजारी भाव से तीन-चार गुना रेट पर सामान खरीदा। तत्कालीन अधिकारी जांच पर पर्दा डाले रहे। यही नहीं जांच से जुड़ी फाइल भी 'दफन' कर दी गई। जनवरी में 'दैनिक जागरण' ने जांच फाइल दबाने का मामला उठाया तो निगम प्रशासन हरकत में आया और थर्ड पार्टी जांच कराने की बात कही।
हालांकि, इसके लिए भी एक महीने तक पत्रचार चलता रहा। जब 28 फरवरी को भाजपा पार्षद अजय सिंघल ने निगम की बोर्ड बैठक में मामला उठाया तो अमृत योजना के अधिकारियों ने बताया कि अभी तक जो भी काम अमृत योजना के अंतर्गत हुए हैं, उनकी जांच के लिए दिल्ली से एक टीम आई हुई है। महापौर सुनील उनियाल गामा ने गांधी पार्क को लेकर उठे आरोपों की जांच अलग से कराने के निर्देश दिया। अब नगर आयुक्त ने गांधी पार्क किड्स जोन में वित्तीय अनियमितता और गुणवत्ता की जांच के आदेश दे दिए हैं।
संदेह के घेरे में हैं अधिकारी
मामले में निगम के वित्त और निर्माण अनुभाग व अमृत प्रोजेक्ट के अधिकारियों की भूमिका संदेह में है। दरअसल, इनका काम पार्क में कार्य की गुणवत्ता जांचने के साथ ही वहां लगने वाले सामान की सही कीमत का मूल्यांकन करना भी था। आरोप है कि ठेकेदार ने जिस मूल्य के सामान की सूची निगम अधिकारियों को दी, उसे पास कर दिया गया। इसमें अधिकारियों को हर सामान के मूल्य का परीक्षण भी करना था, लेकिन यह प्रक्रिया दरकिनार कर ठेकेदार को अनुचित तरीके से लाभ पहुंचाया गया।
इस तरह ठिकाने लगाया बजट
सूचना के अधिकार में यह खुलासा हुआ है कि बाजार में पांच से छह हजार रूपये में मिल रही एलईडी लाइट 28,600 रुपये की दर पर और बैठने वाली साधारण बेंच 18,000 की दर पर खरीदी गई। सामान्य पोलों की खरीद 55 हजार प्रति पोल की दर पर की गई। इतना ही नहीं बच्चों की टॉय ट्रेन साढ़े 12 लाख रुपये में खरीदी गई और हैरानी वाली बात ये है कि इसकी टीन शेड पर ही नगर निगम अधिकारियों ने 10 लाख रुपये का खर्च आना दर्शाया।
10 लाख रुपये हाउस टैक्स वसूला
नगर निगम की ओर से शहर में लगाए गए हाउस टैक्स वसूली के कैंप व निगम दफ्तर में मंगलवार को करीब दस लाख रुपये टैक्स वसूला गया। कैंप में एक लाख 80 हजार रुपये जबकि कार्यालय में आठ लाख 11 हजार रुपये हाउस टैक्स जमा हुआ।
दरअसल, नगर निगम की ओर से टैक्स में 20 फीसद छूट की अंतिम तारीख पंद्रह मार्च तय की हुई है। इस वित्तीय वर्ष में 25 करोड़ रुपये के लक्ष्य के सापेक्ष अब तक 19 करोड़ रुपये की वसूली हो पाई है। वसूली में तेजी लाने के लिए महापौर सुनील उनियाल गामा के निर्देश पर शहर में टैक्स वसूली के कैंप लगाए जा रहे हैं। इसी के तहत मंगलवार को नगर निगम ने धर्मपुर मैदान, वाणी विहार, लक्ष्मीनारायण मंदिर करनपुर, स्ट्रीट नं.-11 कौलागढ़ रोड पर टैक्स वसूली कैंप लगाए। हाउस टैक्स अधीक्षक विनय प्रताप सिंह ने बताया कि टैक्स के बकायेदारों को भी नोटिस भेजने की कार्रवाई की जा रही है।
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