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हरिद्वार: आइआइटी रुड़की ने तैयार किया वातानुकूलित सब्जी विक्रय ठेला

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के ग्रामीण प्रौद्योगिकी कार्यान्वयन समूह (रूटैग) ने एक ऐसा वातानुकूलित सब्जी विक्रय ठेला डिजाइन किया है जिससे विक्रेता को आर्थिक लाभ होगा। 40 हजार रुपये की लागत से इस ठेले में एक समय में 80 किलो से लेकर एक क्विंटल तक सब्जियां रखी जा सकती हैं।

By Sumit KumarEdited By: Published: Fri, 03 Dec 2021 04:28 PM (IST)Updated: Fri, 03 Dec 2021 04:28 PM (IST)
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के ग्रामीण प्रौद्योगिकी कार्यान्वयन समूह (रूटैग) ने एक ऐसा वातानुकूलित सब्जी विक्रय ठेला डिजाइन किया है।

जागरण संवाददाता, रुड़की: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के ग्रामीण प्रौद्योगिकी कार्यान्वयन समूह (रूटैग) ने एक ऐसा वातानुकूलित सब्जी विक्रय ठेला डिजाइन किया है, जिससे विक्रेता को आर्थिक लाभ होगा। 40 हजार रुपये की लागत से बने इस ठेले में एक समय में 80 किलो से लेकर एक क्विंटल तक सब्जियां रखी जा सकती हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के जल एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग (एचआरईडी) में गुरुवार को कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पंचायती राज मंत्रालय के सचिव सुनील कुमार आनलाइन शामिल हुए।

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इस मौके पर सुनील कुमार ने कहा कि सब्जी एवं फल विक्रेताओं के लिए एंट्री माडल से लेकर टाप माडल के ठेले विकसित करने की जरूरत है। जिससे विक्रेता अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार इन्हें खरीद सके। बताया कि आइआइटी रुड़की के अलावा आइआइटी बाम्बे, आइआइटी गुवाहटी, आइआइटी दिल्ली, आइआइटी कानपुर, आइआइटी चेन्नई आदि इस दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने प्रदेश व जिला स्तर पर भी स्मार्ट ठेले विकसित करने और विक्रेताओं को इसकी खरीद के लिए बैंक व अन्य संस्थाओं के माध्यम से आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाने पर जोर दिया। इस दौरान न्यू आदर्श नगर निवासी सब्जी विक्रेता मदन ङ्क्षसह ने वातानुकूलित सब्जी विक्रय ठेले से जुड़े अपने अनुभव साझा किए। बताया कि सामान्य ठेले में सब्जियां खराब होने का खतरा बना रहता था, लेकिन वातानुकूलित ठेले का प्रयोग करने से सब्जियां खराब होने से बच रही हैं और उन्हें लाभ हो रहा है।

इस मौके पर पंचायती राज मंत्रालय के संयुक्त सचिव खुशवंत सिंह सेठी, रूटैग की प्रमुख एवं वैज्ञानिक डा. केतकी बापत सहित अन्य आनलाइन कार्यक्रम में शामिल हुए। वहीं आइआइटी रुड़की के डीन प्रशासन प्रो. रवि कुमार, नगर निगम के महापौर गौरव गोयल, एचआरईडी के विभागाध्यक्ष प्रो. एसके सिंघल, प्रो. मनीष मिश्रा आदि कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

वातानुकूलित ठेले से मिल रहा लाभ

वातानुकूलित सब्जी विक्रय ठेले को डिजाइन करने वाले (प्रोजेक्ट के प्रिंस‍िपल इंवस्टीगेटर) प्रो. आरपी सैनी ने बताया कि एक सर्वे के अनुसार खेत में उगने से लेकर ग्राहक तक पहुंचते-पहुंचते 30-40 प्रतिशत फल एवं सब्जियां खराब हो जाती हैं। उनके अनुसार फल एवं सब्जी को सुरक्षित रखने के लिए निश्चित तापमान एवं नमी की जरूरत होती है। उन्होंने जो सब्जी विक्रय ठेला डिजाइन किया है, उसमें वाटर पंप और पंखे की मदद से कूलिंग की व्यवस्था की गई है। ठेले में कूलिंग की ऐसी व्यवस्था की गई है, जिससे विक्रेता सब्जी एवं फल को जरूरत के अनुसार इसे कम-ज्यादा ठंडा कर सकते हैं। वहीं इसकी एक और विशेष बात यह है कि कूलिंग के लिए 10-12 घंटे तक बैटरी चलाने पर आधी यूनिट का ही खर्चा आएगा। उनके अनुसार पुराने ठेले में भी सुधार करके उसे वातानुकूलित बनाने पर कार्य किया जा रहा है।

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