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आइआइटी रुड़की ने विकसित किया स्टेरिलाइजेशन सिस्टम, ये सामान किये जाएंगे सेनिटाइज

आइआइटी रुड़की ने अनूठा स्टेरिलाइजेशन सिस्टम विकसित किया है। इस मशीन का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स को सेनिटाइज करने के लिए किया जा सकेगा।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 12 May 2020 01:09 PM (IST)Updated: Tue, 12 May 2020 01:09 PM (IST)
आइआइटी रुड़की ने विकसित किया स्टेरिलाइजेशन सिस्टम, ये सामान किये जाएंगे सेनिटाइज
आइआइटी रुड़की ने विकसित किया स्टेरिलाइजेशन सिस्टम, ये सामान किये जाएंगे सेनिटाइज

रुड़की, जेएनएन। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की ने आम उपयोग की वस्तुओं को सेनिटाइज करने के लिए अनूठा स्टेरिलाइजेशन सिस्टम विकसित किया है। इस मशीन का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जैसे-मोबाइल, घड़ी, वायरलेस गैजेट, मेटल व प्लास्टिक के सामान (पर्स, चाबी, चश्मा, बैग आदि) को सेनिटाइज करने के लिए किया जा सकेगा। स्टेरिलाइजेशन सिस्टम का उद्देश्य कोविड-19 के प्रसार को कम करना है। डिजाइन किए गए इस उत्पाद का उपयोग सरकारी और निजी दफ्तरों के अलावा हवाई अड्डा, शैक्षणिक संस्थान, शॉपिंग मॉल और अन्य स्थानों को सेनिटाइज करने के लिए भी किया जा सकेगा। फिलहाल उपयोग के लिए स्टेरिलाइजेशन सिस्टम का एक नमूना हरिद्वार नगर निगम को सौंपा गया है। 

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आइआइटी रुड़की के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा विकसित किए गए स्टेरिलाइजेशन सिस्टम के नमूने की परिकल्पना और डिजाइन आइआइटी रुड़की में ही तैयार हुआ। संस्थान के निदेशक प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि कोरोना महामारी से बचाव को लेकर जो कुछ भी संभव है, उसमें संस्थान भरसक योगदान करने का प्रयास कर रहा है। इस कड़ी में यह मशीन भी वस्तुओं के माध्यम से कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने में मददगार होगी।

हरिद्वार के नगर आयुक्त नरेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि इस चुनौतीपूर्ण दौर में लोग मास्क, सेनिटाइजर जैसे कई सुरक्षात्मक उपाय अपना रहे हैं। लेकिन, हमें मोबाइल, वॉलेट, चाबी, दस्तावेज व फाइलों समेत अन्य नियमित उपयोग की वस्तुओं के सेनिटाइजेशन करने की भी आवश्यकता है। सार्वजनिक क्षेत्र के जो कार्यालय चौबीसों घंटे-सातों दिन खुले हैं, वहां पर अधिक सुरक्षात्मक उपाय किए जाने की जरूरत है। ऐसे में यह मशीन वरदान साबित होगी। इस सिस्टम को विकसित करने के लिए आइआइटी रुड़की के पूर्व छात्र एवं हरिद्वार के सहायक नगर आयुक्त तनवीर सिंह मारवाह ने हरिद्वार नगर निगम की ओर से संस्थान के साथ समन्वय किया। 

प्रतिक्रिया के अनुरूप सिस्टम के उत्पादन में करेंगे बदलाव 

निरंतर संचालित होने वाले इस स्टेरिलाइजेशन सिस्टम को जिस टीम ने डिजाइन किया है, उसमें आइआइटी रुड़की के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग से प्रो.विमल चंद्र श्रीवास्तव और उनके शोध समूह के छात्र नवनीत कुमार, रोहित चौहान व डॉ. स्वाति वर्मा शामिल हैं। प्रो.श्रीवास्तव ने बताया कि लॉकडाउन के 20 दिनों की अवधि के भीतर ही इसका परीक्षण भी किया गया था। इस सिस्टम के लिए पेटेंट भी फाइल किया जा रहा है।

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वस्तुओं की नॉन-स्टॉप स्क्रीनिंग करने में सक्षम 

स्टेरिलाइजेशन सिस्टम में मूविंग सिस्टम वाला एक अल्ट्रावायलेट कक्ष है। जहां से वस्तुओं को सेनिटाइज करने के लिए अंदर और बाहर ले जाया जाता है। इस स्टेरिलाइजेशन सिस्टम को अल्ट्रावायलेट रेडिएशन का उपयोग करते हुए अंतरराष्ट्रीय मानकों और वैज्ञानिक तरीके से तैयार किया गया है। सिस्टम का डिजाइन और ऑपरेशन यूवी लाइट के उपयोग से जुड़े सभी स्वास्थ्य संबंधी खतरों को कम करेगा। प्रो.श्रीवास्तव ने बताया कि यह उत्पाद आम उपयोग की वस्तुओं को सेनिटाइज कर कोविड-19 के प्रसार और खतरे को काफी कम कर सकता है। यह वस्तुओं की नॉन-स्टॉप स्क्रीनिंग करने में सक्षम है।

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