Move to Jagran APP

60 हजार बायो फ्यूल प्लांट लगाएगा आइआइपी, पांच से सात फीसद कम हो सकता है तेल का आयात

इसके साथ ही संस्थान ने खाद्य विभाग और सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी फाउंडेशन के साथ मिलकर होटलों के अलावा अब शहरी व ग्रामीण इलाकों से भी इस्तेमाल खाद्य तेल एकत्रित करने का निर्णय लिया है। संस्थान ने नए उत्साह के साथ इस दिशा में कदम बढ़ाने का निर्णय लिया है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Thu, 11 Mar 2021 02:16 PM (IST)Updated: Thu, 11 Mar 2021 04:34 PM (IST)
60 हजार बायो फ्यूल प्लांट लगाएगा आइआइपी, पांच से सात फीसद कम हो सकता है तेल का आयात
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम (आइआइपी) देश में बायो फ्यूल के उत्पादन को तेजी देगा।

जागरण संवाददाता, देहरादून: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम (आइआइपी) देश में बायो फ्यूल के उत्पादन को तेजी देगा। इसके लिए संस्थान देशभर में 60 हजार बायो फ्यूल प्लांट लगाएगा। इसके साथ ही संस्थान ने खाद्य विभाग और सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी फाउंडेशन के साथ मिलकर होटलों के अलावा अब शहरी व ग्रामीण इलाकों से भी इस्तेमाल खाद्य तेल एकत्रित करने का निर्णय लिया है। बुधवार को तहसील चौक स्थित एक होटल में आयोजित प्रेसवार्ता में आइआइपी के निदेशक डॉ. अंजन रे ने बताया कि कोरोना के कारण बायो फ्यूल बनाने की प्रक्रिया भी प्रभावित हुई। अब संस्थान ने नए उत्साह और रणनीति के साथ इस दिशा में कदम बढ़ाने का निर्णय लिया है।

loksabha election banner

इसी क्रम में संस्थान ने देशभर में 60 हजार गांवों में इस्तेमाल खाद्य तेल से बायो फ्यूल बनाने के छोटे-छोटे प्लांट लगाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि अगर हम देश की 10 फीसद आबादी को भी इस योजना से जोड़ने में सफल हुए तो तेल का आयात पांच से सात फीसद कम हो सकता है। जिला अभिहित अधिकारी एवं रिपर्पज यूज्ड कुकिंग ऑयल (रुको) अभियान के नोडल अधिकारी गणोश कंडवाल ने बताया कि वर्तमान में देश में सालाना 2466 करोड़ लीटर बायो फ्यूल की खपत है। इसमें से 1666.67 करोड़ लीटर आयात किया जा रहा है। इस योजना का लक्ष्य देश में ही ज्यादा से ज्यादा बायो फ्यूल का उत्पादन करना है ताकि आयात घटाया जा सके। इसके लिए फिलहाल देश के अलग-अलग शहरों में कुछ बायो फ्यूल प्लांट लगाए गए हैं। देहरादून में आइआइपी परिसर में लगाए गए प्लांट की उत्पादन क्षमता 200 लीटर प्रति दिन की है। एक लीटर इस्तेमाल खाद्य तेल से 800 मिलीलीटर तक बायो फ्यूल बनाया जा सकता है। प्रेसवार्ता में आइआइपी के वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. आरके सिंह, जयति त्रिवेदी, अमन भोंसले, सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी फाउंडेशन के प्यारे लाल, प्रवीन उप्रेती मौजूद रहे। इस दौरान योजना से जुड़े कुछ व्यवसायियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया गया।

यह भी पढ़ें- उत्तराखंड: देहरादून और गैरसैंण में मिलेगी सुकून की छांव, जानिए क्या है योजना

कुंभ भी जुड़ेगा इस योजना से

वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. नीरज आत्रेय ने बताया कि शहरी आवासीय क्षेत्रों, कुंभ और चार धाम यात्र मार्ग को भी इस योजना से जोड़ा जा रहा है। हरिद्वार कुंभ मेला क्षेत्र के वरिष्ठ खाद्य सुरक्षा अधिकारी मनोज सेमवाल ने कहा कि कुंभ मेले में इस्तेमाल खाद्य तेल को एकत्रित करने की तैयारी शुरू हो चुकी है। यहां से बड़ी मात्र में तेल मिलने की उम्मीद है।

दून के 25 से ज्यादा संस्थानों से एकत्रित किया जा रहा तेल

सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने बताया कि उनकी संस्था देहरादून शहर के 25 से ज्यादा संस्थानों से इस्तेमाल खाद्य तेल एकत्रित करके आइआइपी के प्लांट तक पहुंचा रही है। अब तक करीब छह हजार लीटर तेल संस्थान को उपलब्ध कराया जा चुका है।

यह भी पढ़ें- सुबह आठ से शाम छह बजे तक अखाड़ों के लिए रिजर्व रहेंगे गंगा घाट, आम श्रद्धालुओं के लिए ये है व्यवस्था

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.