Move to Jagran APP

रात्रि विश्राम स्थल 'बासा' में सुनिए 'आदमखोर' के हैरतअंगेज किस्से, तो चले आइए और करिए रोमांच का अनुभव

बासा के आंगन में बैठे दस सैलानियों को आदमखोर गुलदार की कहानी रोमांचित कर दे रही है। कहानी सुना रहे हैं प्रसिद्ध शिकारी जॉय हुकील। शराबियों का शिकार करने वाले इस गुलदार के कारनामे सुन सैलानियों को भय और रोमांच का मिश्रित अनुभव हो रहा है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2020 08:20 AM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2020 08:20 AM (IST)
रात्रि विश्राम स्थल 'बासा' में सुनिए 'आदमखोर' के हैरतअंगेज किस्से, तो चले आइए और करिए रोमांच का अनुभव
रात्रि विश्राम स्थल 'बासा' में सुनिए 'आदमखोर' के हैरतअंगेज किस्से।

पौड़ी, राजीव खत्री। दोपहर की गुनगुनी धूप में बासा के आंगन में बैठे दस सैलानियों को आदमखोर गुलदार की कहानी रोमांचित कर दे रही है। कहानी सुना रहे हैं प्रसिद्ध शिकारी जॉय हुकील। शराबियों का शिकार करने वाले इस गुलदार के कारनामे सुन सैलानियों को भय और रोमांच का मिश्रित अनुभव हो रहा है। वहीं, विषम भूगोल वाले पहाड़ की बेबसी से भी उनका परिचय हो रहा है..।

loksabha election banner

उत्तराखंड में मनमोहक पहाड़ियों के बीच बसे खिर्सू की सुरम्य वादियां सैलानियों को अपनी ओर खींचती हैं और यहीं पर है पहाड़ी शैली में बना रात्रि विश्राम स्थल बासा। जिला मुख्यालय पौड़ी से 16 किमी दूर खिर्सू में बने इस होम स्टे की शुरुआत इसी वर्ष जनवरी में हुई है। जिला प्रशासन ने जिला योजना के तहत पहाड़ी शैली में इसका निर्माण कराया है और संचालन की जिम्मेदारी सौंपी गई है उन्नति ग्राम समूह से जुड़ी हुई महिलाओं को।

समूह की अध्यक्ष ग्राम ग्वाड़ निवासी अर्चना बताती हैं कि यहां सैलानियों का स्वागत पहाड़ के रस्मो-रिवाज के अनुसार किया जाता है। भोजन भी चूल्हे पर बनता है और वह भी विशुद्ध पहाड़ी। मेन्यू में मुख्य रूप से मंडुवे की रोटी, झंगोरे की खीर, गहत (कुलथ) की दाल व फाणू, चैंसू और कढ़ी-झंगोरा शामिल हैं। बासा में अब तक 123 पर्यटक रात्रि विश्रम कर चुके हैं। लॉकडाउन के चलते मार्च से जुलाई तक यह भी बंद रहा, लेकिन अब इसे पर्यटकों के लिए दोबारा खोल दिया गया है।

बासा में दो व्यक्तियों के खाने और एक रात ठहरने का किराया तीन हजार रुपये है। बुकिंग के लिए ऑनलाइन व्यवस्था है। यहां मौजूद सुविधाओं की संपूर्ण जानकारी पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। प्रसिद्ध शिकारी जॉय हुकील बासा में ठहरने वाले सैलानियों को न सिर्फ वाइल्ड लाइफ से जुड़े किस्से-कहानियां, बल्कि रोमांचक अंदाज में शिकार से जुड़े अपने अनुभव भी सुनाते हैं। सैलानी कभी हॉल में उनसे किस्से-कहानियां सुनते हैं तो कभी बासा के आंगन में। इस दौरान सैलानियों को पहाड़ी रीति-रिवाज, संस्कृति आदि के बारे में जानकारी भी दी जाती है।

बासा के ब्रांड एंबेसडर जॉय हुकील अब तक 38 आदमखोर गुलदारों को मार चुके हैं। उनका यह सफर वर्ष 2007 से शुरू हुआ था, जो अनवरत चल रहा है। बकौल जॉय, मानव-वन्य जीव संघर्ष में मानव जीवन को बचाने के लिए मैंने यह कार्य शुरू किया। मैं पौड़ी शहर में रहता हूं और जहां भी गुलदार के आदमखोर होने पर वन विभाग की ओर से मुङो बुलाया जाता है, तुरंत पहुंच जाता हूं।

यह भी पढ़ें: उत्‍तराखंड में गुलदारों के हमले में हर पांचवें दिन एक व्यक्ति की मौत

जिलाधिकारी धीरज गब्र्याल ने बताया कि खिर्सू में ऐसे होम स्टे की जरूरत थी, जिसे सहभागिता के आधार पर संचालित कर स्थानीय महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा जा सके। बासा इसमें सफल साबित हो रहा है। यहां वाइल्ड लाइफ से जुड़े किस्से-कहानियों को सुनना अलग ही अनुभव है। अब अन्य क्षेत्रों में भी इस तरह के होम स्टे को बढ़ावा देने के लिए कार्य किया जा रहा है।

यह भी पढ़ें: उत्‍तराखंड में गुलदारों को घने जंगलों में रहना और शिकार करना नहीं आ रहा है रास


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.