हिमालय में साधना के लिए आकर्षण का केंद्र बने होम स्टे
हिमालय की गोद में गंगा के किनारे बसा उत्तरकाशी विदेशी पर्यटकों के साथ ही साधकों का भी ठौर बनता जा रहा है। ये साधक होटलों के आलीशान कमरों को छोड़ होम स्टे में रुकना पसंद कर रहे हैं।
देहरादून, शैलेंद्र गोदियाल। हिमालय की गोद में गंगा के किनारे बसा उत्तरकाशी विदेशी पर्यटकों के साथ ही साधकों का भी ठौर बनता जा रहा है। ये साधक होटलों के आलीशान कमरों को छोड़ होम स्टे में रुकना पसंद कर रहे हैं।
उत्तरकाशी के कोटबंगला स्थित एक होम स्टे में पिछले 12 दिनों से रह रहे बर्लिन (जर्मनी) के 24-वर्षीय मार्शल आर्ट शिक्षक मैक्स मिलियन कहते हैं कि योग-ध्यान और साधना के लिए हिमालय के इस होम स्टे से बेहतर कोई विकल्प नहीं है। यहां गंगा, हिमालय और आसपास दूर-दूर तक फैले विशाल जंगल मन-मस्तिष्क को ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं। इससे खुद को जानने का अवसर मिल रहा है और होम स्टे संचालक पीयूष बनूनी से यहां की संस्कृति एवं सभ्यता के बारे में जानने का भी अवसर मिल रहा है।
विदेशों में योग-ध्यान का ज्ञान देने के बाद 32 वर्षीय पीयूष बनूनी ने उत्तरकाशी कोटबंगला स्थित अपने पैतृक घर में होम स्टे शुरू किया। यहां अब तक कई देशी-विदेशी साधना कर चुके हैं। इन दिनों जर्मनी के मैक्स मिलियन के अलावा ईरान की 30 वर्षीय अराजु अहग्जर भी पिछले 17 दिनों से होम स्टे में रुककर साधना कर रही हैं।
ईरान में योग का प्रशिक्षण देने वाली अराजु कहती हैं कि यहां होम स्टे में ठहरकर यह नहीं लग रहा कि मैं अपने घर से दूर हैं। दस वर्ष पहले जब मैंने विभिन्न राष्ट्रों की धर्म-संस्कृति के बारे अध्ययन किया, तब मुझे हिंदुस्तान को जानने का भी अवसर मिला। बस! तभी मैंने ठान लिया कि हिंदुस्तान जरूर जाऊंगी।
बताया कि उनकी किसी दोस्त ने सुझाव दिया कि हिंदुस्तान के हिमालयी क्षेत्र में उत्तरकाशी सबसे खूबसूरत स्थान है। इसीलिए उत्तरकाशी आई हूं। बताया कि ईरान की भाषा और हिंदी के काफी शब्द समान हैं। मसलन- अंदर, किनारे, काजू, हलुवा, दिलबर, सुबह-शाम, नमक, पर्दे, जुराब, पुलाव आदि।
उनका कहना है कि यहां गंगा के किनारे हिमालय की गोद में सब-कुछ भूल जाने और खुद में खो जाने का अहसास मिला है। मेरे लिए इससे खूबसूरत जगह दुनिया में कोई और नहीं हो सकती।
पीयूष कहते हैं कि भारतीय संस्कृति, सभ्यता, गंगा, हिमालय, यहां के पहाड़ एवं परिवेश से विदेशियों को परिचित कराना और उत्तरकाशी को योग-ध्यान का विशेष केंद्र बनाना उनका एकमात्र ध्येय है। जिन ग्रामीणों के पास पारंपरिक शैली के पुराने पैतृक घर हैं, वे उन्हें कुछ सजा-संवार कर होम स्टे शुरू कर सकते हैं।
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