Move to Jagran APP

गंगोत्री धाम की फोटो गैलरी में होंगे हिमालय दर्शन

अगले यात्रा सीजन में गंगोत्री धाम में यात्रियों के लिए एक और आकर्षण होगा। यह है एक फोटो गैलरी। इसे तैयार कराया है 92 साल के फोटो वाले बाबा यानी स्वामी सुंदरानंद ने।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 10 Dec 2017 08:33 AM (IST)Updated: Sun, 10 Dec 2017 09:03 PM (IST)
गंगोत्री धाम की फोटो गैलरी में होंगे हिमालय दर्शन
गंगोत्री धाम की फोटो गैलरी में होंगे हिमालय दर्शन

देहरादून, [संतोष भट्ट]: अगले यात्रा सीजन में समुद्र तल से 3415 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गंगोत्री धाम में यात्रियों के लिए एक और आकर्षण होगा। यह है एक फोटो गैलरी। दो करोड़ की लागत से तैयार यह गैलरी हिमालय से जुड़ी तस्वीरों को समेटे हुए है और इसे तैयार कराया है 92 साल के फोटो वाले बाबा यानी स्वामी सुंदरानंद ने। स्वामी कहते हैं 'फोटो गैलरी का उद्घाटन वर्ष 2018 में मई या जून में कराने की सोच रहा हूं। प्रयास है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करें।'

loksabha election banner

यूरोप और अमेरिका में हिमालय पर फोटो प्रदर्शनी आयोजित कर चुके स्वामी सुंदरानंद बताते हैं कि फोटोग्राफी मेरा जुनून है और फोटो गैलरी मेरा सपना। इस गैलरी के निर्माण में उन्होंने किसी से कोई मदद नहीं ली। अपने फोटोग्राफ बेचने के साथ ही पुस्तकों की रायल्टी से मिली रकम को जमा कर गैलरी का निर्माण किया।

 उन्होंने बताया कि गैलरी में हिमालय की 1000 दुर्लभ तस्वीरों के अलावा करीब एक लाख फोटो डिजिटल फार्मेट में हैं। ट्रैकिंग और पर्वतारोहण के शौकीन बाबा ने सिर्फ गंगोत्री और गोमुख ग्लेशियर के ही 50 हजार से ज्यादा फोटो के अलावा ओम पर्वत, एक दर्जन से ज्यादा चोटियां, ट्रैक रूट, ताल, बुग्याल, वन्य जीव, वनस्पति और पहाड़ की संस्कृति को दर्शाती फोटो कैमरे में कैद की हैं। 

कौन हैं स्वामी सुंदरानंद  

अविभाजित आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में वर्ष 1926 में जन्मे स्वामी सुंदरानंद को बचपन से ही पहाड़ लुभाते थे। वह बताते हैं कि 12वीं तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद 1947 में वह पहले उत्तरकाशी और यहां से गोमुख होते हुए आठ किलोमीटर दूर तपोवन पहुंचे। कुछ समय तपोवन बाबा के सानिध्य में रहने के बाद उन्होंने संन्यास ले लिया। वह बताते हैं कि बस इसके बाद यहीं रह गया। 

62 साल से कर रहे हिमालय को कैमरे में कैद

स्वामी सुंदरानंद बताते है कि वर्ष 1955 में समुद्र तल से 19,510 फुट की ऊंचाई पर काङ्क्षलदी खाल ट्रैक से गुजरने वाले गोमुख-बदरीनाथ पैदल मार्ग से मैं अपने साथियों के साथ बदरीनाथ की यात्रा पर था। अचानक बर्फीला तूफान आ गया और अपने सात साथियों के साथ मैं किसी तरह बच गया। इस घटना के बाद उन्होंने हिमालय के विभिन्न रूपों को कैमरे में उतारने की ठान ली। 25 रुपये में एक कैमरा खरीदा और शुरू कर दी फोटोग्राफी।

वह कहते हैं कि हिमालय में छह दशक के सफर के दौरान उन्होंने करीब ढाई लाख तस्वीरों का संग्रह किया है। वर्ष 2002 में उन्होंने अपने अनुभवों को एक पुस्तक 'हिमालय: थ्रू ए लेंस ऑफ ए साधु'(एक साधु के लैंस से हिमालय दर्शन) में प्रकाशित किया। पुस्तक का विमोचन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था। 

1962 में सेना के रहे गाइड

गंगोत्री हिमालय के हर दर्रे से परिचित स्वामी सुंदरानंद वर्ष 1962 के चीनी आक्रमण में भारतीय सेना की बार्डर स्काउट के पथ प्रदर्शक रह चुके हैं। सुंदरानंद बताते हैं कि भारत-चीन युद्ध के दौरान वह सेना के पथ प्रदर्शक भी रहे। एक माह तक साथ रहकर उन्होंने कालिंदी, पुलमसिंधु, थागला, नीलापाणी, झेलूखाका बार्डर एरिया में सेना का मार्गदर्शन किया।

यह भी पढ़ें: छोटे से गांव की साहसी बिटिया के पैर तले होगी दुनिया

यह भी पढ़ें: अनूठी पहल, अब डीएल फॉर्म में होगी अंगदान की घोषणा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.