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हत्या के बाद भी मासूम से दुष्कर्म करता रहा हैवान, फांसी की सजा पर हाईकोर्ट की मुहर

मासूम की हत्या के बाद भी हैवान उससे दुष्कर्म करता रहा। दोषी को पोक्सो रअदालत ने 29 अगस्त 19 को फांसी की सजा सुनाई थी। इसे हाईकोर्ट ने बरकरार रखा।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 08 Jan 2020 07:34 AM (IST)Updated: Wed, 08 Jan 2020 07:34 AM (IST)
हत्या के बाद भी मासूम से दुष्कर्म करता रहा हैवान, फांसी की सजा पर हाईकोर्ट की मुहर
हत्या के बाद भी मासूम से दुष्कर्म करता रहा हैवान, फांसी की सजा पर हाईकोर्ट की मुहर

देहरादून, जेएनएन। सिंघनीवाला के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में निर्माणाधीन बिल्डिंग में काम करने वाले मजदूर की 11 वर्षीय मासूम बिटिया की 28 जुलाई 2018 को दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। अभियुक्त ने साक्ष्य छिपाने के लिए झोपड़ी के एक कोने में सीमेंट के खाली कट्टों व ईंटों के नीचे बच्ची का शव दबा दिया था। हैवानियत की हद तो तब हो गई, जब वह बच्ची के मरने के बाद भी दुष्कर्म करता रहा। 

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मूल रूप से उत्तर प्रदेश के फैजाबाद निवासी दुष्कर्म के आरोपित को विशेष न्यायाधीश पोक्सो रमा पांडेय की अदालत ने 29 अगस्त 19 को फांसी की सजा सुनाई थी। मंगलवार को इस सजा पर हाईकोर्ट ने मुहर लगा दी और निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा।  

घटना 28 जुलाई 2018 की दोपहर साढ़े 12 बजे के करीब की है। देहरादून के सिंघनीवाला स्थित एक इंजीनियरिंग कॉलेज के निर्माणाधीन भवन में मजदूरी करने वाले एक व्यक्ति की 11 साल की बच्ची अचानक लापता हो गई। उसका शव उसी दिन शाम एक झोपड़ी में सीमेंट के खाली कट्टों और ईंटों के नीचे दबा हुआ मिला। 

बालिका के हाथ में बाल मिले थे, जो अभियुक्त के थे। पुलिस ने मृतका के पिता की तहरीर पर सहसपुर पुलिस ने अभियुक्त जयप्रकाश तिवारी (32) मूल निवासी ग्राम निमकपुरा थाना कुम्हारगंज जिला फैजाबाद के खिलाफ हत्या, साक्ष्य छिपाने, दुष्कर्म व पॉक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज किया था। घटना की रात में ही पुलिस ने जयप्रकाश तिवारी को तिमली के पास जंगल से गिरफ्तार कर लिया था।

पॉक्सो एक्ट के तहत उत्तराखंड में फांसी की थी पहली सजा

मासूम के साथ हैवानियत की सारी हदें तोड़ गला दबाकर हत्या करने और फिर बच्ची के शव से दुष्कर्म करने के दोषी को विशेष न्यायाधीश पॉक्सो रमा पांडेय की अदालत ने 29 अगस्त 2019 को फांसी और उम्रकैद की सजा सुनाई थी। साथ ही अदालत ने उस पर 55 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया था, जिसमें से दस हजार रुपये और अपराध पीडि़त सहायता योजना के तहत एक लाख रुपये पीडि़त परिवार को देने का आदेश दिया गया था। संशोधन के बाद पॉक्सो एक्ट के तहत उत्तराखंड में फांसी की यह पहली सजा थी। 

दस रुपये का लालच देकर बुलाया था बालिका को

पुलिस जांच में सामने आया था कि जयप्रकाश ने बच्ची को दस रुपये का लालच देकर अपनी झोपड़ी में बुलाया। यहां उसने दस रुपये दिए, जिसके बाद वह उसके साथ दुष्कर्म करने लगा। जिस पर बच्ची चीखने लगी, इस पर जयप्रकाश ने उसकी गला दबाकर हत्या कर दी और शव को छिपाकर बाहर आ गया। 

जिस समय परिजन और पुलिस बच्ची की तलाश कर रहे थे, जयप्रकाश वहीं मौजूद रहा। शव बरामद होने के बाद बच्ची के हाथ में दस रुपये का नोट और कुछ बाल भी मिले। यह बाल फोरेंसिक रिपोर्ट में जयप्रकाश के बताए गए थे। अभियुक्त जयप्रकाश तिवारी ने सहसपुर पुलिस की पूछताछ में हैवानियत की पूरी कहानी बयां की थी। 

उसने अपने बयान में कहा था कि उसकी नजर कई दिन से बच्ची पर थी। शनिवार को निर्माणाधीन बिल्डिंग में काम करने वाले मजदूर की 11 साल की बेटी जब बच्चों के साथ खेल रही थी, तभी जयप्रकाश बालिका समेत तीनों बच्चों को टॉफी दिलाने के बहाने अपनी झोपड़ी में ले गया था और दो बच्चों को दस-दस रुपये देकर बाहर से बिस्कुट लाने के लिए भेज दिया था और बच्ची को पास ही झोपड़ी में रोक लिया था।

निर्माणाधीन भवन में पत्थर घिसाई करता था दोषी

पुलिस की जांच में सामने आया कि जयप्रकाश नशे का आदी था। वह कॉलेज की बिल्डिंग में पत्थर घिसाई का काम कर रहा था। उसकी पत्नी गांव में ही रहती है। उसका दस साल का बेटा और पांच साल की बेटी भी है। 

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पांच साल पहले किया था सुसाइड का प्रयास 

जयप्रकाश तिवारी ने पांच साल पहले अपने गांव निमकपुरा में मिट्टी का तेल डालकर आत्महत्या का प्रयास किया था। जिससे वह लगभग चालीस प्रतिशत झुलस भी गया था। उसने पुलिस को बताया था कि वह पहले किसी मजदूर महिला को टारगेट करने की सोच रहा था, लेकिन हिम्मत नहीं हुई, उसने सोचा था कि मासूम बच्ची आसानी से उसके चंगुल में आ जाएगी। 

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