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हेमवती नंदन बहुगुणा को 101वें जन्मदिवस पर किया गया याद, उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प

स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा को उनके जन्मदिवस पर याद किया गया। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित की।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 25 Apr 2020 07:34 PM (IST)Updated: Sat, 25 Apr 2020 07:34 PM (IST)
हेमवती नंदन बहुगुणा को 101वें जन्मदिवस पर किया गया याद, उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प
हेमवती नंदन बहुगुणा को 101वें जन्मदिवस पर किया गया याद, उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प

देहरादून, जेएनएन। स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा को उनके जन्मदिवस पर याद किया गया। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित की। उन्होंने कहा कि बहुगुणा बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे। सत्तर और अस्सी के दो दशकों की भारतीय राजनीति उनके इर्द-गिर्द ही घूमती रही।

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देश के महान नेता और हिमालय पुत्र के नाम से ख्याति पाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा को सभी ने उनके 101वें जन्मदिवस पर याद किया। साथ ही उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया। सूर्यकांत धस्माना ने घंटाघर स्थित बहुगुणा कॉम्प्लेक्स में उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय बहुगुणा को देश में धर्मनिरपेक्षता का ध्वजवाहक नेता करार दिया।

धस्माना ने कहा कि उनके व्यक्तित्व का अगर अध्ययन किया जाए, तो उसमें गांधी के अहिंसा, गरीबों, वंचितों और शोषितों के लिए एक विशेष चिंता और मुसीबत में कभी हार ने मानने वाली नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के संघर्ष की झलक मिलती है। धस्माना ने कहा कि बेशक स्वर्गीय बहुगुणा भारत के प्रधानमंत्री नहीं बन सके, लेकिन सत्तर और अस्सी के दो दशकों की भारतीय राजनीति उनके इर्द गिर्द घूमती रही। बहुगुणा जैसे विलक्षण नेता बिरले ही हुए।

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राष्ट्रीय राजनीति के पुरोधा थे बहुगुणा 

हेमवती नंदन बहुगुणा को राष्ट्रीय फलक पर किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। उनकी दूरदर्शी सोच ने उन्हें राष्ट्रीय राजनीति का पुरोधा बना दिया। स्वतंत्रता संग्राम हो या फिर आजादी के बाद देश को विकास के पथ पर आगे ले जाने की, बहुगुणा हर मोर्चे पर अग्रिम पंक्ति में खड़े रहे। उन्होंने अंतिम सांस तक देश और पहाड़ों के विकास की ही फिक्र की। उत्तराखंड की आधार भूमि तय करने में भी उनकी भूमिका को बिसराया नहीं जा सकता।

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