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Health Benefits Of Baheda: पेट से दिमाग तक को निरोग बनाता आयुर्वेदिक जड़ी बूटी बहेड़ा

Health Benefits Of Baheda संस्कृत में बहेड़ा को करशफल कलीदरूमा व विभीताकी नाम से जाना जाता है। यह पतझड़ वाला वृक्ष है और इसकी औसतन ऊंचाई 30 मीटर होती है। इसके पत्ते अंडाकार और 10-12 सेमी लंबे होते हैं। इसके बीज स्वाद में मीठे होते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 17 Jun 2021 12:33 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jun 2021 12:38 PM (IST)
Health Benefits Of Baheda: पेट से दिमाग तक को निरोग बनाता आयुर्वेदिक जड़ी बूटी बहेड़ा
बहेड़े को थोड़े से घी में पकाकर खाने से गले के रोग दूर होते हैं

विजय जोशी, देहरादून। Health Benefits Of Baheda बहेड़ा का वृक्ष चमत्कारी औषधि के रूप में सदियों से मानव शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बना रहा है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ाता ही है, कब्ज को भी दूर करने में कारगर है। आमाशय को मजबूत बनाता है। इसकी अन्य खासियत भूख बढ़ाना, पित्त दोष व सिरदर्द को दूर करना है। आंखों व दिमाग को स्वस्थ रखता है। देहरादून के वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक एके जैन के अनुसार आयुर्वेदिक औषधियों में इसका प्रयोग होता है। बहेड़ा के बीज का चूर्ण लगाने से घाव का रक्तस्नव रुक जाता है।

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इस समय और ऐसे लगाएं : मानसून आने से पहले गड्ढे खोदकर इस पौधे को तीन मीटर के फासले पर लगा सकते हैं। नर्सरी में इसकी पौध जून-जुलाई में तैयार की जाती है। सामान्यत: यह ऊष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में आसानी से मिलता है। इसे कम आद्र्रता वाले स्थान पर लगाया जाता है।

बहेड़ा के उपयोग व फायदे

  • बहेड़े को थोड़े से घी में पकाकर खाने से गले के रोग दूर होते हैं
  • बहेड़े का छिलका और मिश्री युक्त पेय पीने से आंखों की रोशनी बढ़ जाती है
  • हाथ-पैर की जलन में बहेड़े के बीज को पानी के साथ पीसकर लगाने से लाभ मिलता है
  • बहेड़ा के चूर्ण का लेप बनाकर बालों की जड़ों पर लगाने से असमय सफेद होना रुक जाता है
  • बहेड़े के आधे पके हुए फल को पीसकर पानी के साथ सेवन करने से कब्ज से छुटकारा मिलता है
  • बहेड़े के पत्ते और चीनी का काढ़ा बनाकर पीने से कफ से निजात मिलती है। छाल का टुकड़ा मुंह में रखकर चूसते रहने से भी खांसी और बलगम से छुटकारा मिलता है

यह भी जानें

संस्कृत में बहेड़ा को करशफल, कलीदरूमा व विभीताकी नाम से जाना जाता है। यह पतझड़ वाला वृक्ष है और इसकी औसतन ऊंचाई 30 मीटर होती है। इसके पत्ते अंडाकार और 10-12 सेमी लंबे होते हैं। इसके बीज स्वाद में मीठे होते हैं। बहेड़ा की सबसे बड़ी खासियत यह है कि सभी प्रकार की मिट्टी में इसकी पैदावार की जा सकती है। हालांकि सबसे अच्छी पैदावार नम, रेतीली और चिकनी बलुई मिट्टी में होती है।

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