Move to Jagran APP

राहुल गांधी से विमर्श के बाद अगला सियासी कदम उठाएंगे हरीश रावत

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने कहा कि राहुल गांधी से विमर्श के बाद ही वह अगला सियासी कदम तय करेंगे। कहा कि पद इसलिए छोड़ा क्योंकि पद के लिए वह राजनीति में नहींं है।

By Edited By: Published: Mon, 08 Jul 2019 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 08 Jul 2019 11:04 AM (IST)
राहुल गांधी से विमर्श के बाद अगला सियासी कदम उठाएंगे हरीश रावत
राहुल गांधी से विमर्श के बाद अगला सियासी कदम उठाएंगे हरीश रावत

देहरादून, विकास धूलिया। लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस में अंदरखाने आए भूचाल के झटके उत्तराखंड में भी महसूस किए जा रहे हैं। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के पद छोड़ने के ऐलान के बाद राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने उनका अनुसरण करने में देरी नहीं की और इस्तीफा दे दिया। हरदा के इस कदम के बाद उनके सियासत से संन्यास के कयास लगाए जाने लगे तो उन्होंने साफ कर दिया कि पद इसलिए छोड़ा क्योंकि केवल पद के लिए वह राजनीति में नहीं हैं। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि राहुल गांधी से विमर्श के बाद ही वह अपना अगला सियासी कदम तय करेंगे। 

loksabha election banner

साथ ही उन्होंने यह कहकर अपनी भविष्य की रणनीति के संकेत भी दे दिए कि फिलहाल वह उत्तराखंड, हिमाचल और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की पराजय के कारणों की तह में जाना चाहते हैं। वर्ष 2017 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार, स्वयं दो सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद एक पर भी नहीं जीत पाना और अब नैनीताल लोकसभा सीट पर पराजय से पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत खासे व्यथित हैं। 

यही वजह रही कि महासचिव पद छोड़ने के तत्काल बाद उनके सियासत से संन्यास की चर्चा होने लगी। रविवार को इन चर्चाओं के जोर पकड़ने के बाद स्वयं हरीश रावत ने स्थिति स्पष्ट की। 

दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने कहा कि हमें सोचना होगा कि पार्टी हमारा क्या उपयोग कर सकती है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पराजय के बाद राहुल गांधी के निर्देश पर मैदान में डटा रहा और अब लोकसभा चुनाव में हार के बाद भी उनसे मुलाकात कर उनके निर्देशानुसार अगला कदम तय करूंगा।

हरीश रावत पार्टी की चुनावों में लगातार हार से चिंतित हैं। बकौल रावत, हम जानने की कोशिश कर रहे हैं कि हार के क्या कारण हो सकते हैं, हमारा मॉडल लगातार फेल क्यों हो रहा है। उत्तराखंड में दो बार जनता ने मेरी सोच को नकार दिया तो इस विषय में गहराई से विचार तो करना ही पड़ेगा। यह जानना भी जरूरी है कि क्या हमें खुद में बदलाव लाना चाहिए। 

इसीलिए उत्तराखंड के साथ ही उत्तर प्रदेश और हिमाचल में पार्टी की हार के कारणों की तह तक जाना चाहता हूं। इसके लिए पूरे राज्य का भ्रमण और समाज के अलग-अलग तबके के लोगों से मुलाकात कर रहा हूं। राजनीति में कुछ भी स्थायी और अंतिम नहीं होता। 

संन्यास के सवाल पर उन्होंने कहा कि महासचिव पद से इसलिए इस्तीफा दिया क्योंकि केवल पद के लिए मैं राजनीति में नहीं हूं। यह फेज तो 1980 में गुजर गया। अब वक्त पार्टी की हार के कारणों पर मंथन कर भविष्य के लिए इसके मुताबिक ब्ल्यू प्रिंट तैयार करने का है। 

उत्तराखंड समेत कई राज्यों में ढाई साल बाद चुनाव होने हैं, पार्टी इनमें मजबूती से उभर कर सामने आएगी। हरीश रावत अपनी बढ़ती उम्र और राजनैतिक व्यस्तताओं का हवाला देने से नहीं चूके लेकिन उन्होंने इतना जरूर साफ कर दिया कि वह अपने लिए नई भूमिका की तलाश में हैं और उनका फिलहाल राजनीति से मोहभंग नहीं हुआ है। इस क्रम में वह दिल्ली दरबार में कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी से बात कर ही अपनी भविष्य की रणनीति का खुलासा करेंगे।

यह भी पढ़ें: दून के 50 हजार युवाओं को भाजपा से जोड़ेगा मोर्चा Dehradun News

यह भी पढ़ें: पर्यावरण संरक्षण के संदेश के साथ शुरू हुआ भाजपा का सदस्यता अभियान

यह भी पढ़ें: संन्यास की चर्चाओं पर हरीश रावत बोले, मैं केवल पद के लिए राजनीति में नहीं हूं


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.