बुढ़ापे में बड़ा हो गया हरीश रावत का दिल : मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत
पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस महासचिव हरीश रावत की बागियों की कांग्रेस में वापसी को लेकर दिए गए बयान ने प्रदेश की सियासत को गर्मा दिया।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस महासचिव हरीश रावत की बागियों की कांग्रेस में वापसी को लेकर दिए गए बयान ने प्रदेश की सियासत को गर्मा दिया। पलटवार के तौर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जहां चुटकी ली तो वहीं नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कांग्रेस में वापसी के फैसले पर हाईकमान के अधिकार का हवाला देते हुए हरीश रावत को निशाने पर लिया। बाद में इन सब प्रतिक्रियाओं पर हरीश रावत शायराना अंदाज में जवाब देने से नहीं चूके।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बीते रोज मीडिया से बातचीत में कहा था कि वर्ष 2016 में कांग्रेस से बगावत करने वाले यदि माफी मांगेंगे तो उनकी पार्टी में वापसी हो सकती है। पूर्व मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शुक्रवार को यह कहते हुए चुटकी ली कि अच्छी बात है कि बुढ़ापे में हरीश रावत का दिल बड़ा हो गया है।
प्रदेश में कांग्रेस की पिछली सरकार के खिलाफ बगावत करने वालों पर हरीश रावत के तल्ख तेवर करीब चार बाद नरम पड़ते दिख रहे हैं। 2022 को विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की सियासत में इसे बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि प्रदेश में कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के रुख से ये साफ है कि उन्हें हरीश रावत की यह टिप्पणी नागवार गुजरी है।
इंदिरा हृदयेश (नेता प्रतिपक्ष उत्तराखंड) का कहना है कि जो लोग कांग्रेस छोड़कर चले गए थे, उनकी वापसी पर फैसला हाईकमान करेगा, अभी तो यह भी पता नहीं कि उनमें से कौन कांग्रेस ज्वाइन कर रहा है, हमसे किसी ने नहीं कहा। इस बारे में अभी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की टिप्पणी ठीक नहीं है।
प्रीतम सिंह (अध्यक्ष उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी) का कहना है कि कांग्रेस में जो भी वापसी करना चाहेगा, इस पर हाईकमान का फैसला अंतिम होगा, अन्य किसी को भी इस बारे में निर्णय देने का अधिकार नहीं है।
अनुग्रह नारायण सिंह (प्रभारी कांग्रेस उत्तराखंड प्रदेश) का कहना है कि कांग्रेस छोड़ने वालों ने पिछली सरकार को धोखा दिया था, ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री व पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत के रुख को समझा जा सकता है, लेकिन पार्टी में आने पर फैसला प्रदेश संगठन की सहमति से हाईकमान को लेना है।
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हरीश रावत (पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव) का कहना है कि मुख्यमंत्री जी की प्रतिक्रिया विश्लेषण के लायक है, यह कहावत चरितार्थ हो रही है कि खाया चौबे जी ने और बदहजमी हो गई दुबे जी को, देखते रहिए, आगे क्या क्या होता है।
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