Move to Jagran APP

उत्‍तराखंड के हस्तशिल्प व हथकरघा उद्योग को पटरी पर लाना चुनौती

कोरोना महामारी का उत्तराखंड के हस्तशिल्प हथकरघा और कुटीर उद्योग पर भी बुरा असर पड़ा है। इन्हें पटरी पर लाना किसी चुनौती से कम नहीं है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2020 03:06 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 03:06 PM (IST)
उत्‍तराखंड के हस्तशिल्प व हथकरघा उद्योग को पटरी पर लाना चुनौती
उत्‍तराखंड के हस्तशिल्प व हथकरघा उद्योग को पटरी पर लाना चुनौती

देहरादून, जेएनएन। कोरोना महामारी का उत्तराखंड के हस्तशिल्प, हथकरघा और कुटीर उद्योग पर भी बुरा असर पड़ा है। इन्हें पटरी पर लाना किसी चुनौती से कम नहीं है। लॉकडाउन के बाद से ग्रामीण हुनरमंद हाथों को काम मिलना बंद हो गया था, हालांकि अनलॉक में स्थिति कुछ सुधरी है। फिर भी परंपरागत उद्योगों का पहिया घुमाने के लिए राज्य सरकार की ओर से आर्थिक सहायता और उत्पाद की बिक्री में मदद की दरकार है। 

loksabha election banner

प्रदेश में 31 मार्च तक 60,230 ग्रामीण हस्तशिल्प और हथकरघा से जुड़े थे। लॉकडाउन शुरू हुआ तो किसी भी तरह के मेले व सरकारी आयोजन नहीं हुए। जिससे इन ग्रामीणों को अपने उत्पादों को बेचने के लिए बाजार भी नहीं मिल पाए। उधर, कोरोना के कारण चार धाम यात्र भी धीमी गति से ही चल रही है। सामान्य परिस्थिति में यात्र के लिए यहां लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। अभी चार धाम की यात्र के लिए बेहद कम लोग आ रहे हैं, इसलिए कारीगरों के पास जो उत्पाद तैयार भी हैं, वह भी नहीं बिक पा रहे हैं। 

ग्रामीण बनाते हैं यह उत्पाद: प्रदेश में रिंगाल से बनी टोकरी, कंडी, भेड़ की ऊन से बनी शॉल, पंखी, दुपट्टा, जूट से बने कारपेट, दन, भीमल के नेचुरल फाइबर से बने विभिन्न प्रकार के उत्पाद, आंवला, नींबू, संतरा का अचार व जूस आदि बनाए जाते हैं। उत्तराखंड में हस्तशिल्प और हथकरघा का सालाना 50 करोड़ का कारोबार होता है। विशेषकर उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी, पिथौरागढ़ जिले में हस्तशिल्प व हथकरघा उद्योगों से कई लोग जुड़े हैं। 

कुटीर उद्योगों को संवारेगी सरकार 

प्रदेश उद्योग निदेशक सुधीर चंद्र नौटियाल का कहना है कि कोरोना महामारी से हस्तशिल्प, हथकरघा और कुटीर उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। कच्चा माल न मिलने, बाजार बंद होने के कारण मांग न होने से हस्तशिल्पी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। चारधाम यात्र के दौरान हस्तशिल्प व कुटीर उद्योगों के उत्पाद खूब बिकते थे। वहीं मेले व त्योहारों पर स्थानीय उत्पादों का बाजार भी लगता था। लॉकडाउन में यह सब कुछ बंद रहा, हालांकि प्रदेश सरकार ने इनके उत्थान के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, जिनमें मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना प्रमुख है। जिसके तहत कारीगर 10 हजार से लेकर 25 लाख तक का ऋण ले सकते हैं और अपने कारोबार को आगे बढ़ा सकते हैं। इसमें सरकार की ओर से भारी सब्सिडी भी दी जा रही है। 

यह भी पढ़ें: Ayodhya Ram Mandir: स्वामी परमानंद गिरि बोले, मथुरा-काशी की भूमि भी वापस करे मुस्लिम समाज

इनका कहना है 

चारधाम विकास परिषद के उपाध्‍यक्ष शिव प्रसाद ममगाईं का कहना है कि उत्तराखंड में हस्तशिल्प, हथकरघा और कुटीर उद्योग ग्रामीणों की आजीविका का साधन रहे हैं, लेकिन कोरोना के कारण इन पर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। चारधाम यात्र में भी ये उत्पाद खूब बिकते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पा रहा है।

यह भी पढ़ें: Indian Army Raksha Bandhan 2020: बहनों ने चीन सीमा पर तैनात हिमवीरों को भेजी राखी, जानिए क्या कहा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.