जीएसआइ व वाडिया करेंगे भूस्खलन क्षेत्रों का अध्ययन, सरकार को देंगे सुझाव
भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों के भूगर्भीय अध्ययन का निर्णय लिया गया है जिसका जिम्मा ज्योलाजिकल सर्वे आफ इंडिया (जीएसआइ) और वाडिया इंस्टीट्यूट को सौपा जा रहा है।अध्ययन रिपोर्ट के बाद भूस्खलन की रोकथाम को प्रभावी उपाय किए जाएंगे ताकि सड़कों के बाधित होने की दिक्कत से निजात मिल सके।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: आपदा की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में भूस्खलन और इसके कारण सड़कों के बाधित होने की समस्या के निदान को लेकर सरकार सक्रिय हुई है। इस कड़ी में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों के भूगर्भीय अध्ययन का निर्णय लिया गया है, जिसका जिम्मा ज्योलाजिकल सर्वे आफ इंडिया (जीएसआइ) और वाडिया इंस्टीट्यूट को सौपा जा रहा है। उनकी अध्ययन रिपोर्ट के बाद भूस्खलन की रोकथाम को प्रभावी उपाय किए जाएंगे, ताकि सड़कों के बार- बार बाधित होने की दिक्कत से निजात मिल सके।
प्रदेश में हर बरसात में अतिवृष्टि के कारण भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं। उत्तरकाशी से लेकर पिथौरागढ़ तक कई मार्ग भूस्खलन के कारण या तो क्षतिग्रस्त हो गए या फिर अवरुद्ध हो रहे हैं। इस बरसात में तो कई नए स्थानों पर भी भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं। इसे देखते हुए लोक निर्माण विभाग की राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण विंग ने एक सर्वे कराया। इसमें प्रदेश में 288 भूस्खलन क्षेत्र चिह्नित किए गए। यह भी माना गया कि सड़कों के चौड़ीकरण के लिए हो रहे कार्यों की वजह से भी भूस्खलन हो रहा है। यह रिपोर्ट केंद्र तक भी पहुंची। इस संबंध में केंद्र सरकार ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के साथ आनलाइन बैठक की।
केंद्र सरकार ने निर्देश दिए कि भूगर्भीय सर्वेक्षण से जुड़े विभागों से समन्वय स्थापित कर उनसे भूस्खलन के बढ़ते कारणों की ठोस पड़ताल कराई जाए। साथ ही ऐसे स्थलों के उपचार की पुख्ता योजनाओं के लिए सुझाव भी लिए जाएं। इन सुझावों के आधार पर केंद्र सरकार को डीपीआर भेजी जाए, ताकि उपचारात्मक कदम उठाए जा सकें। इसके अलावा केंद्र ने पुराने भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में प्रदेश सरकार द्वारा किए गए उपचार के संबंध में भी जानकारी ली है।
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इस कड़ी में जीएसआइ व वाडिया इंस्टीट्यूट से अपेक्षा की गई है कि वे भूस्खलन के कारणों और इसके उपचार के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराएं। प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग आरके सुधांशु ने कहा कि भूस्खलन क्षेत्रों की अध्ययन रिपोर्ट मिलने के बाद भूस्खलन की रोकथाम के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कराई जाएगी।