जंग ए आजादी के लड़ाई के वीर सिपाही का प्रपौत्र नौसेना में बनेगा अफसर, एनडीए परीक्षा में पाया 11वां स्थान
जंग ए आजादी के वीर सिपाही शहीद केसरी चंद के प्रपौत्र तन्मय शर्मा ने भी अब उन्हीं के पद चिह्नों पर चल निकले हैं। वह नौसेना में अफसर बनने की राह पर हैं।
चकराता (देहरादून), जेएनएन। जंग ए आजादी के वीर सिपाही शहीद केसरी चंद के प्रपौत्र तन्मय शर्मा ने भी अब उन्हीं के पद चिह्नों पर चल निकले हैं। वह नौसेना में अफसर बनने की राह पर हैं। सोमवार को एनडीए परीक्षा का फाइनल रिजल्ट घोषित किया गया है। जिसमें देशभर से चयनित 662 युवाओं में जौनसार के तन्मय शर्मा ने 11वां स्थान पाया। वह सैन्य गुरुकुल कहे जाने वाले राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (आरआइएमसी) से पढ़े हैं। तन्मय शर्मा जौनसार के दूसरे युवा हैं, जो आरआइएमसी में पास आउट हैं।
जौनसार के इस लाल ने न केवल अपने क्षेत्र, बल्कि उत्तराखंड का भी नाम रोशन किया है। जौनसार-बावर के खत सेली से जुड़े क्वाया गांव निवासी तन्मय के पिता नवीन चंद्र शर्मा कैनरा बैंक दिल्ली में चीफ मैनेजर हैं, जबकि माता अमिता शर्मा शिक्षिका हैं। संयुक्त परिवार में पले-बढ़े तन्मय के दादा टीकाराम शर्मा सीडीओ के पद से सेवानिवृत्त हैं और ताऊ राजेश शर्मा एनएच खंड लोनिवि पौड़ी-गढ़वाल में अधीक्षण अभियंता के पद पर तैनात हैं। ताऊ राजेश शर्मा ने बताया कि तन्मय ने अपनी च्वाइस इंडियन नेवी दी है।
स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा रहा परिवार
जौनसार के क्वाया निवासी वीर शहीद केसरीचंद स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रहे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस से प्रेरित होकर वह स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। वर्ष 1941 में ब्रिटिश हुकूमत ने भारत-बर्मा सीमा पर इंफाल के पास उन्हें बंदी बनाया। इसके बाद अंग्रेजों ने दिल्ली के लाल किले की अदालत में उन पर मुकदमा चलाया। माफी नहीं मांगने पर ब्रिटिश हुकूमत ने केसरी चंद को तीन मई 1945 को सूली पर चढ़ा दिया था। राष्ट्र के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर शहीद केसरी चंद की स्मृति में प्रतिवर्ष चकराता के रामताल गार्डन में मेला लगता है।