उत्तराखंड में फसल क्षति के आकलन की इकाई होगी ग्राम पंचायत, जानिए अभी है कौन सी व्यवस्था
उत्तराखंड में किसानों को बड़ी सौगात मिलने जा रही है। आपदा में फसल क्षति पर अधिक से अधिक किसानों को राहत मिल सके इसके लिए सरकार फसल कटाई आंकड़े (क्राप कटिंग डाटा) जुटाने की व्यवस्था को एक समान करने जा रही है।
केदार दत्त, देहरादून। आपदा की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में किसानों को बड़ी सौगात मिलने जा रही है। आपदा में फसल क्षति पर अधिक से अधिक किसानों को राहत मिल सके, इसके लिए सरकार फसल कटाई आंकड़े (क्राप कटिंग डाटा) जुटाने की व्यवस्था को एक समान करने जा रही है। इसकी इकाई ग्राम पंचायत होगी। वर्तमान में मैदानी क्षेत्र में न्याय पंचायत और पर्वतीय क्षेत्र में तहसील इकाई है। क्षति के निर्धारण में फसल कटाई के आंकड़े मुख्य भूमिका निभाते हैं। इसके साथ ही सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत प्रीमियम में किसान की हिस्सेदारी एक प्रतिशत करने की तैयारी कर रही है।
उत्तराखंड में हर साल ही आपदा से बड़े पैमाने पर फसलों को नुकसान पहुंचता है, लेकिन निर्धारित मानकों की श्रेणी में न आने से किसानों को क्षतिपूर्ति नहीं मिल पाती। 33 प्रतिशत या इससे अधिक फसल क्षति पर ही मुआवजा देने का प्रविधान है, लेकिन क्षति के आकलन की इकाई का स्वरूप बड़ा होने से सभी प्रभावित किसान इसके दायरे मे नहीं आ पाते। यानी, किसी गांव में अधिक क्षति हुई और किसी में कम तो न्याय पंचायत अथवा तहसील स्तर पर आकलन में यह कम हो जाती है। क्षति का निर्धारण फसल कटाई आंकड़ों के आधार पर होता है।
इस सबके मद्देनजर सरकार अब पूरे प्रदेश में फसल कटाई आंकड़ों के लिए ग्राम पंचायत को इकाई बनाने जा रही है। इसी के आधार पर क्षति का आकलन भी होगा। सूत्रों के अनुसार इस संबंध में ड्राफ्ट तैयार हो चुका है, जिसे कैबिनेट की आगामी बैठक में रखा जाएगा। इसके साथ ही प्रदेश की 670 न्याय पंचायतों में आटोमैटिक वेदर स्टेशन स्थापित करने को मंजूरी मिल चुकी है। इससे क्षति के आकलन में मदद मिलेगी। सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का ज्यादा से ज्यादा किसान लाभ उठाएं, इसके लिए किसानों के हिस्से के प्रीमियम को दो से घटाकर एक प्रतिशत किया जा रहा है। इसका प्रस्ताव भी कैबिनेट में आएगा।
कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा, सरकार का संकल्प है कि किसानों को ज्यादा से ज्यादा सुरक्षा मिले। इस दिशा में कई कदम उठाए जा रहे हैं। आपदा के दृष्टिकोण से संवेदनशील उत्तराखंड फसल क्षति का मानक तहसील व न्याय पंचायत होने से प्रभावित किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा था। मानक की इकाई को एक समान किया जा रहा है।
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