उत्तराखंड की 4863 ग्राम पंचायतों को गठन का इंतजार, पढ़िए खबर
हरिद्वार को छोड़ राज्य के शेष 12 जिलों की 7485 ग्राम पंचायतों में से 4863 को अभी गठन का इंतजार है। कोरम पूरा न होने से यहां नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान व सदस्य शपथ नहींं ले पाए।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। हरिद्वार को छोड़ राज्य के शेष 12 जिलों की 7485 ग्राम पंचायतों में से 4863 को अभी गठन का इंतजार है। कोरम पूरा न होने से इन ग्राम पंचायतों में नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान और सदस्य बुधवार को शपथ नहीं ले पाए। असल में इन ग्राम पंचायतों में ग्राम पंचायत सदस्यों के 30663 और प्रधानों के 124 पद रिक्त हैं।
पंचायत के गठन के लिए दो तिहाई सदस्य होने आवश्यक हैं। जहां शपथ ग्रहण नहीं हो पाया है, वहां ग्राम पंचायत की पहली बैठक भी नहीं हो पाएगी। ऐसे में इनके प्रधानों व सदस्यों को रिक्त पदों पर उपचुनाव होने तक इंतजार करना पड़ेगा।
त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव संपन्न होने के बाद अब शपथ ग्रहण व पहली बैठक का क्रम शुरू किया गया है। इस कड़ी में बुधवार को ग्राम पंचायतों में प्रधानों व सदस्यों का शपथ ग्रहण तय था, मगर 12 जिलों की 7485 ग्राम पंचायतों में से 2622 में ही शपथ ग्रहण होने के साथ ही बोर्ड अस्तित्व में आ पाए। अलबत्ता, शेष ग्राम पंचायतों में पंचायतों का गठन नहीं हो पाया है। उधर, त्रिस्तरीय पंचायतों में रिक्त पदों के उपचुनाव के लिए शासन स्तर पर कसरत चल रही है। माना जा रहा कि एक दिसंबर तक इस पर मुहर लग जाएगी।
यहां नहीं पंचायतों का गठन
जिला---------------------संख्या
उत्तरकाशी---------------265
टिहरी---------------------550
पौड़ी-----------------------954
चमोली--------------------433
रुद्रप्रयाग------------------249
देहरादून-------------------111
नैनीताल-------------------329
ऊधमसिंहनगर--------------81
अल्मोड़ा-------------------924
पिथौरागढ़-----------------435
बागेश्वर--------------------299
चंपावत---------------------233
पंचायतीराज एक्ट में फिर संशोधन
प्रदेश के पंचायतीराज एक्ट में एक बार फिर से संशोधन होगा। इस सिलसिले में एक्ट में संशोधन विधेयक को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। यह विधेयक विधानसभा के चार दिसंबर से होने वाले सत्र में सदन में लाया जाएगा।
पंचायतीराज एक्ट तो अस्तित्व में है, लेकिन इसकी नियमावली तैयार नहीं हो पाई थी। ऐसे में हालिया पंचायत चुनाव भी उप्र की नियमावली से कराए गए थे। इसे देखते हुए सरकार अब एक्ट में संशोधन करने जा रही है। इसके तहत उप्र की पंचायतीराज नियमावली को यहां भी अंगीकृत किया जाएगा।
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कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दे दी है। इसके अलावा पंचायतों में निर्वाचन से जुड़े विवादों के निपटारे मद्देनजर न्याय क्षेत्र का एक्ट में प्रावधान नहीं था। अब संशोधन के जरिये न्याय क्षेत्र का निर्धारण कर इसे एक्ट में शामिल किया जा रहा है। एक्ट में निर्धारित शैक्षिक योग्यता से संबंधित बिंदु में पिछड़ा वर्ग जोड़ने समेत कुछेक अन्य संशोधन भी लाए जाएंगे।