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पर्वतीय क्षेत्रों में खुलेगी बीपीओ की राह

प्रदेश सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों में बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिग (बीपीओ) खोलने की राह आसान कर ली है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 03:00 AM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 03:00 AM (IST)
पर्वतीय क्षेत्रों में खुलेगी बीपीओ की राह
पर्वतीय क्षेत्रों में खुलेगी बीपीओ की राह

राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों में बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिग (बीपीओ) खोलने की राह आसान कर ली है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्र में बीपीओ खोलने पर निवेशकों को 50 हजार रुपये प्रति सीट दिए जाएंगे। यह राशि 25-25 हजार रुपये की किश्तों में दो वर्ष के भीतर दी जाएगी। इसके अलावा श्रम विभाग के अंतर्गत महिलाओं की नाइट शिफ्ट पर लगाई गई पाबंदी भी हटाई गई है। वहीं राइट ऑफ वे पॉलिसी के तहत प्रदेश में ओएफसी केबल लगाने की राह आसान की गई है।

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प्रदेश में पलायन रोकने और युवाओं को रोजगार देने के लिए सरकार की मंशा पर्वतीय क्षेत्रों में बीपीओ खोलने की है। निवेशक इस ओर आकर्षित हों, इसके लिए बीपीओ लगाने की शर्तो में कुछ ढील दी गई है। इसके अलावा निवेशकों को आर्थिक मदद भी दी जाएगी। पर्वतीय क्षेत्रों में बीपीओ खोलने वाले संचालकों को प्रति सीट 50 हजार रुपये दी जाएगी। महिलाएं भी यहां काम कर सके इसके लिए महिलाओं की नाइट शिफ्ट पर लगाया गया प्रतिबंध समाप्त कर दिया गया है। हालांकि, इसमें यह शर्त रखी गई है कि यहां दो सुपरवाइजर महिलाएं ही होंगी। इन्हें लाने और ले जाने की सुविधा भी कंपनी देगी। जो महिलाएं नाइट शिफ्ट में काम करने में असमर्थता जताएंगी उन्हें केवल इस आधार पर ही बाहर नहीं निकाला जा सकेगा। इतना ही नहीं सरकार ने इन्हें लीज रेंटल पॉलिसी में भी छूट देने का प्रावधान किया है।

राइट ऑफ वे पॉलिसी के तहत मोबाइल टावर के साथ ही ओएफसी केबल बिछाने की नीति बनाई गई है। जिलाधिकारी सिंगल विंडो सिस्टम के तहत इन्हें सभी विभागों से 45 दिन के भीतर अनापत्ति लेकर केबल बिछाने की अनुमति देंगे। इनकी समस्याओं के निस्तारण के लिए जिला व राज्य स्तर पर भी समिति बनाई गई है। जिला स्तर पर मामला लंबित रखने के संबंध में राज्य स्तर पर गठित समिति सुनवाई करेगी। यह सुनवाई भी 45 दिनों के भीतर की जाएगी।


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