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Valmiki Jayanti 2020: राज्यपाल और सीएम बोले, महर्षि वाल्मीकि की शिक्षा आज ज्यादा प्रासंगिक

Valmiki Jayanti 2020 राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेशवासियों को वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि की शिक्षा आज पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है। उन्होंने त्याग और मानवता जैसे नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 06:10 AM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 07:29 AM (IST)
Valmiki Jayanti 2020: राज्यपाल और सीएम बोले, महर्षि वाल्मीकि की शिक्षा आज ज्यादा प्रासंगिक
राज्यपाल और सीएम बोले, महर्षि वाल्मीकि की शिक्षा आज ज्यादा प्रासंगिक।

देहरादून, राज्य ब्यूरो। Valmiki Jayanti 2020 राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेशवासियों को वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि की शिक्षा आज पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है। राज्यपाल ने अपने संदेश में कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने रामायण जैसे महाकाव्य की रचना कर समाज को प्रेम, त्याग और मानवता जैसे नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी। 

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उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने एक ऐसे समतामूलक समाज का सिद्धांत प्रतिपादित किया, जिसमें सभी वर्गों को बराबरी और परस्पर सम्मान व स्नेह का अधिकार मिलता है। उनकी शिक्षाओं पर चलकर एक आदर्श समाज और राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है।मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने संदेश में कहा कि महर्षि वाल्मीकि द्वारा दी गईं त्याग, समरसता, सद्भाव और मानवता जैसे नैतिक मूल्यों की शिक्षा आज पहले से ज्यादा प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा कि सभी को महर्षि वाल्मीकि के महान दृष्टिकोण और उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं को जीवन में आत्मसात करने का संकल्प लेना चाहिए। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धा और सम्मान की अभिव्यक्ति होगी।

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एक घटना ने बदल दिया था जीवन 

महर्षि वाल्मीकि की जयंती आज(31 अक्टूबर) है। इस दिन को पूरे देशभर में उल्लास के साथ मनाया जाता है। महर्षि वाल्मीकि आदिकवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने ही रामायण की रचना संस्कृत में की थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्ष वाल्मीकि पहले एक डाकू थे। इन्हें जंगल रहने वाले एक भील जाती ने पाला था। ये दूसरों को लूटकर अपना जीवन यापन करते थे। लेकिन एक घटना ने उनके जीवन को एकदम बदलकर रख दिया। दुराचार का मार्ग छोड़ उन्होंने ध्यान और तप का रास्त अपनाया और रामायण जैसा पावन ग्रंथ लिखा।

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