उत्तराखंड में मंत्रियों के आयकर भुगतान का परीक्षण करेगी सरकार, पढ़िए पूरी खबर
मुख्यमंत्री और सभी मंत्रियों के अपना आयकर स्वयं भरने के निर्णय के बाद प्रदेश सरकार भी इस दिशा में पहल कर सकती है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री और सभी मंत्रियों के अपना आयकर स्वयं भरने के निर्णय के बाद प्रदेश सरकार भी इस दिशा में पहल कर सकती है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस मामले का परीक्षण करने की बात कही है। उत्तराखंड में भी अभी मुख्यमंत्री और मंत्रियों का आयकर सरकार ही चुकाती है। एक अहम बात यह कि उत्तराखंड के मंत्रियों का वेतन भत्ता उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रियों से कहीं अधिक है।
उत्तराखंड राज्य का अलग गठन होने के बाद अविभाजित उत्तर प्रदेश से चली आ रही व्यवस्था ही बदस्तूर जारी है। उत्तर प्रदेश में अभी तक मुख्यमंत्रियों व मंत्रियों का आयकर सरकार ही भरती थी। उत्तराखंड में भी इसी व्यवस्था को अपनाया गया और यहां भी सरकार मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों का आयकर भरती रही, जबकि विधानसभा और नेता प्रतिपक्ष का आयकर विधानसभा प्रशासन चुका रहा है। मंत्रियों व विधायकों के वेतन भत्तों पर नजर डालें तो अभी मंत्रियों को वेतन भत्ते मिलाकर प्रतिमाह 4.40 लाख रुपये दिए जाते हैं। इनमें से 90 हजार रुपये केवल वेतन है। शेष अन्य भत्ते हैं। विधायकों को प्रतिमाह 2.75 लाख वेतन भत्ते के रूप में दिया जाता है। इनमें 30 हजार रुपये वेतन है।
इस लिहाज से दोनों ही आयकर के दायरे में आते हैं। हालांकि, भत्तों को यदि खर्च में दिखा दिया जाए तो भी केवल वेतन के लिहाज से मंत्रियों का सालाना वेतन 10 लाख से अधिक बैठता है जो आयकर के दायरे में आता है। हालांकि, विधायकों का वेतन 3.60 लाख रुपये बैठता है जो आयकर के दायरे से बाहर है।
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अब उत्तर प्रदेश के मंत्रियों को 1.64 लाख रुपये प्रतिमाह वेतन भत्तों के रूप में दिए जाते हैं और उनका मूल वेतन 40 हजार रुपये हैं। इस लिहाज से उत्तराखंड के मंत्रियों का वेतन कहीं अधिक है। चूंकि, अब उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री और मंत्रियों द्वारा स्वयं आयकर भरने का निर्णय लिया गया है तो अब नजरें उत्तराखंड सरकार पर भी टिक गई है। इस संबंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सरकार इस मामले का परीक्षण करेगी।
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