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सिटी बस सेवा महासंघ ने शासन से एंबुलेंस के तौर पर सिटी बस चलाने का आग्रह

सिटी बस सेवा महासंघ ने एंबुलेंस की कमी व मनमाने किराये को देखते हुए राज्य सरकार से सिटी बसों को एंबुलेंस के रूप में चलाने का आग्रह किया है। महासंघ ने कहा है कि बस संचालक सरकार को मुफ्त में बसों का अधिग्रहण देंगे।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 09 May 2021 12:50 PM (IST)Updated: Sun, 09 May 2021 12:50 PM (IST)
सिटी बस सेवा महासंघ ने शासन से एंबुलेंस के तौर पर सिटी बस चलाने का आग्रह
सिटी बस सेवा महासंघ ने एंबुलेंस सिटी बसों को एंबुलेंस के रूप में चलाने का आग्रह किया है।

जागरण संवाददाता, देहरादून: सिटी बस सेवा महासंघ ने एंबुलेंस की कमी व मनमाने किराये को देखते हुए राज्य सरकार से सिटी बसों को एंबुलेंस के रूप में चलाने का आग्रह किया है। महासंघ ने कहा है कि बस संचालक सरकार को मुफ्त में बसों का अधिग्रहण देंगे, बस डीजल एवं चालक का खर्च सरकार वहन करे। एंबुलेंस के तौर पर उपयोग के साथ ही कोरोना वारियर्स को ले जाने या छोडऩे में भी सिटी बस का उपयोग लेने का आग्रह किया गया है। 

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अप्रैल के पहले हफ्ते में कोरोना संक्रमण बढऩे पर सरकार ने सार्वजनिक परिवहन से जुड़े वाहनों में पचास फीसद यात्री क्षमता के साथ संचालन की अनुमति दी थी। इस दौरान ट्रांसपोर्टर सरकार से किराया पिछले वर्ष की तरह दोगुना करने की मांग कर रहे थे। परिवहन विभाग ने इसका प्रस्ताव भी भेजा, लेकिन सरकार ने इन्कार कर दिया। दरअसल, पिछले साल कोरोना अनलॉक के तहत जब वाहनों का संचालन आरंभ हुआ था, तब सरकार ने पचास फीसद यात्री की शर्त के साथ किराया दोगुना कर दिया था। इस बार मांग पूरी न होने पर सूबे के करीब दस हजार निजी बस संचालक अपने वाहन के परमिट सरेंडर कर चुके हैं। वहीं, कोरोना कफ्र्यू के कारण दून में सिटी बस, विक्रम व ऑटो का संचालन बंद है। 

ऐसे में सिटी बस सेवा महासंघ ने राज्य सरकार को प्रस्ताव दिया है कि सिटी बसों का उपयोग एंबुलेंस में मरीज ले जाने और कोरोनो वॉरियर्स के परिवहन में किया जाए। संचालक मुफ्त में अपनी बसें देंगे। एंबुलेंस के मनमाने किराये से आमजन को भी बस चलने से राहत होगी। 

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विक्रम यूनियन ने मांगी टैक्स माफी

कोरोना कफ्र्यू के कारण खड़े हुए विक्रम संचालकों ने सरकार से एक वर्ष का टैक्स, बीमा व फिटनेस शुल्क माफ करने की मांग की है। विक्रम जनकल्याण सेवा समिति के अध्यक्ष राजेंद्र कुमार की ओर से आरटीओ को दिए गए पत्र में कहा गया कि कफ्र्यू के कारण वाहन न चलने से विक्रम संचालकों व चालकों के आगे आर्थिक संकट पैदा हो गया है। संचालक वाहन का टैक्स देने की स्थिति में नहीं हैं। आरटीओ ने मांगपत्र को शासन को भेजने का भरोसा दिया है। 

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