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सरकारी कार्मिकों की संपत्ति का ब्योरा होगा तलब, पेंशन का 5000 करोड़ देगा यूपी

जीरो टॉलरेंस मुहिम के तहत अब सरकार की नजर अपने कार्मिकों पर है। डेढ़ दशक के मौजूद प्रावधान के अनुसार सरकारी कार्मिकों को संपत्ति का ब्योरा देने को सरकार अमल में ला रही है।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 09:21 AM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 08:42 PM (IST)
सरकारी कार्मिकों की संपत्ति का ब्योरा होगा तलब, पेंशन का 5000 करोड़ देगा यूपी

देहरादून, [विकास धूलिया]: भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस मुहिम के तहत अब सरकार की नजर अपने कार्मिकों पर है। दरअसल, पिछले डेढ़ दशक से मौजूद एक प्रावधान को अब सरकार सख्ती से अमल में लाने की रणनीति बना रही है। यह प्रावधान है सरकारी कार्मिकों द्वारा अपनी संपत्ति का ब्योरा देने का। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक सरकार ने अब इस प्रावधान के मुताबिक सभी सरकारी कार्मिकों से संपत्ति का ब्योरा अनिवार्य रूप से तलब करने की तैयारी कर ली है। 

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मंत्रियों, विधायकों और नौकरशाहों द्वारा अपनी प्रतिवर्ष अपनी संपत्ति का ब्योरा सरकार और अन्य संबंधित एजेंसियों को देने के प्रावधान के साथ ही राज्य में ऐसा ही प्रावधान सभी सरकारी कार्मिकों के लिए भी मौजूद है, लेकिन राज्य बनने के बाद से ही इस पर लगातार अमल नहीं हो पा रहा है। 

राज्य कर्मचारियों की आचरण नियमावली 2002 में अचल संपत्ति के संबंध में नियम 22 (3) में यह व्यवस्था की गई थी कि प्रथम नियुक्ति के समय और फिर पांच साल बाद प्रत्येक कर्मचारी अपने नियुक्ति प्राधिकारी के समक्ष निर्धारित प्रारूप में अपनी संपत्ति के ब्योरे की घोषणा करेगा। 

इसके बाद 21 फरवरी 2006 को जारी शासनादेश में कहा गया कि प्रत्येक सेवा में श्रेणी 'क' और 'ख' के अधिकारियों द्वारा अपनी अचल संपत्ति का विवरण निर्धारित प्रारूप में वार्षिक आधार पर प्रस्तुत किया जाएगा। साल समाप्त होने पर 31 जनवरी तक उस वर्ष का ब्योरा उपलब्ध कराने का इसमें प्रावधान किया गया। 

सितंबर 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी के निर्देश पर सरकार ने एक बार फिर इस प्रावधान पर अमल की पहल की। इस क्रम में तत्कालीन मुख्य सचिव सुभाष कुमार की ओर से सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश दिए गए कि वे अपनी संपत्ति का विवरण अपने नियंत्रक प्राधिकारी को पेश करें। 

सूत्रों के मुताबिक अब त्रिवेंद्र सरकार की तवज्जो इस मौजूदा प्रावधान की ओर गई है। इस कड़ी में सरकार इन प्रावधानों के मुताबिक जल्द सरकारी कार्मिकों से अपनी संपत्ति का ब्योरा देने को कह सकती है। 

जीरो टॉलरेंस नीति को सरकार प्रतिबद्ध 

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के अनुसार जन प्रतिनिधियों और ब्यूरोक्रेट्स द्वारा अपनी संपत्ति का ब्योरा वार्षिक रूप से देने का प्रावधान है। इसके अलावा अन्य सरकारी कार्मिकों के लिए भी निश्चित अवधि में अपनी संपत्ति की जानकारी संबंधित अधिकारी को देने के प्रावधान को भी सरकार अमल में लाएगी। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति के मुताबिक हमारी सरकार स्वच्छ एवं पारदर्शी कार्यशैली के लिए प्रतिबद्ध है।

कार्मिकों की बकाया पेंशन का 5000 करोड़ देगा उप्र

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद उत्तर प्रदेश से आवंटित हुए सैकड़ों कर्मचारियों को अब पेंशन के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। इन कार्मिकों की बकाया पेंशन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने पांच हजार करोड़ से ज्यादा धनराशि का प्रावधान बजट में किया है। 

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की मुलाकात रंग लाई है। बीते सोमवार लखनऊ में मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी से मुलाकात की थी।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि उत्तर प्रदेश के साथ परिसंपत्तियों के बंटवारे और देनदारियों को लेकर सहमति बन चुकी है। यह सहमति भी बनी कि उत्तर प्रदेश से आवंटित हुए कर्मचारियों की वर्ष 2011 से बकाया पेंशन का भुगतान उत्तराखंड को किया जाएगा। 

इसके लिए उत्तर प्रदेश ने अपने बजट में पांच हजार करोड़ से ज्यादा धनराशि का प्रावधान किया है। साथ ही उत्तरप्रदेश सरकार ने हर वर्ष पेंशन भुगतान के लिए भी 600 करोड़ देने पर भी सहमति जताई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य व कर्मचारियों के हित में एक बड़ी समस्या का समाधान हुआ है। गौरतलब है कि बीते दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की मुलाकात के बाद मुख्य सचिवों की मौजूदगी में हुई बैठक में परिसंपत्तियों के बंटवारे और देनदारियों के कई मुद्दों का समाधान किया गया था। 

ऊर्जा विभाग के कार्मिकों के पेंशन व भविष्य निधि राशि की देनदारी समेत अन्य कई बिंदुओं पर भी दोनों राज्यों के बीच सहमति बनी थी। उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की कुल 1100.549 हेक्टेयर में से 379.385 हेक्टेयर यानी 34.4 फीसद भूमि और 1660 भवन उत्तराखंड को हस्तांतरित करने पर सहमति हो चुकी है। 

उधमसिंहनगर की 20 और हरिद्वार की चार समेत कुल 24 नहरें भी मिलेंगी। वहीं वनबसा में 135.45 हेक्टेयर भूमि उत्तराखंड सिंचाई विभाग को हस्तांतरित होगी।

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