एसएमआइ का सरकारी डॉट्स सेंटर बंद, मरीज परेशान Dehradun News
श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में संचालित सरकारी डाट्स सेंटर पिछले 15 दिनों से बंद है। इससे टीबी मरीजों को सरकार की योजना के अंतर्गत निश्शुल्क जांच व दवा उपलब्ध करवाई जाती हैं।
देहरादून, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य तय किया है। जबकि उत्तराखंड में 2024 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित है। पर अधिकारियों की लापरवाही की इंतहा देखिए कि श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में संचालित सरकारी डाट्स सेंटर पिछले 15 दिनों से बंद है। इस सेंटर से टीबी मरीजों को सरकार की योजना के अंतर्गत निश्शुल्क जांच व दवा उपलब्ध करवाई जाती हैं। बिना सूचना डाट्स सेंटर बंद होने से यहां आने वाले मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस सेंटर के बंद होने के कारण कर्मचारियों के साथ हुए विवाद को बताया जा रहा है। उधर, टीबी अधिकारियों का कहना है कि समस्या का निराकरण किया जा रहा है।
श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में स्थित डॉट्स सेंटर उत्तराखंड का सबसे बड़ा सेंटर है। इस सेंटर पर प्रति माह 200 से 300 मरीज टीबी उपचार एवं परामर्श के लिए पहुंचते हैं। पिछले 10 वर्षों से अस्पताल में डाट्स सेंटर संचालित हो रहा है, लेकिन पिछले 15 दिनों से यह ठप पड़ा है। जिससे पुराने मरीजों को दवा नहीं मिल पा रही है, वहीं नए मरीजों को भी निश्शुल्क जांच व दवा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विनय राय का कहना है कि जिला क्षय रोग अधिकारी देहरादून को इस परेशानी के बारे में अवगत कराया है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि यह सेंटर जल्द ही दोबारा संचालित कर दिया जाएगा। इधर, जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सुधीर पांडे का कहना है कि एक सप्ताह के अंदर इस समस्या को दूर कर लिया जाएगा। तब तक मरीजों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था बनाई जाएगी।
दून अस्पताल की व्यवस्थाएं सुधरेंगी
प्रदेश के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में शुमार दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में व्यवस्थागत सुधार के लिए अब दायित्वों का विकेंद्रीकरण किया जा रहा है। जिसके तहत कॉलेज प्रशासन ने दो और उप चिकित्सा अधीक्षक बनाए हैं। अस्पताल में अब कुल तीन उप चिकित्सा अधीक्षक हो गए हैं। नए डिप्टी एमएस में एक के पास महिला अस्पताल व दूसरे के पास ओपीडी का प्रभार रहेगा।
कॉलेज प्रशासन का मानना है कि दायित्व बांटने से अधिकारी ज्यादा बेहतर ढंग से अपने कार्यो का निर्वहन कर पाएंगे। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल पर मरीजों का अत्याधिक दबाव है। यहां न केवल शहर बल्कि पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों व यूपी-हिमाचल के सीमावर्ती इलाकों से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं। स्थिति ये कि अस्पताल की ओपीडी ही प्रतिदिन औसतन डेढ़ हजार से ऊपर रहती है। मरीजों के इस दबाव के कारण व्यवस्थागत तौर पर कई मुश्किलें सामने आती हैं। दून अस्पताल व दून महिला अस्पताल को एकीकृत कर मेडिकल कॉलेज में तब्दील जरूर कर दिया गया, पर व्यवस्थागत तौर पर अब भी कुछ चीजों में बिखराव नजर आता है।
अधिकारी एक छोर संभालते हैं, तो दूसरे छोर पर मुश्किल खड़ी हो जाती है। इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है। ऐसे में कॉलेज प्रशासन ने नया प्रयोग किया है। प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया कि नई व्यवस्था में वरिष्ठ रेडियोलॉजिस्ट डॉ. मनोज शर्मा व ईएनटी के विभागाध्यक्ष डॉ. रविंद्र बिष्ट को डिप्टी एमएस बनाया गया है। इन्हें क्रमश: महिला अस्पताल व ओपीडी का चार्ज दिया गया है। इससे पहले वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. एनएस खत्री डिप्टी एमएस के तौर पर जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। स्वच्छता पर फोकस डिप्टी एमएस डॉ. मनोज शर्मा ने गुरुवार को महिला अस्पताल की व्यवस्थाओं का जायजा लिया।
यह भी पढ़ें: दून मेडिकल कॉलेज में इमरजेंसी ड्यूटी से बंक मार रहे डॉक्टर Dehradun News
इस दौरान सहायक जनसंपर्क अधिकारी संदीप राणा भी उनके साथ रहे। डिप्टी एमएस ने कर्मचारियों को निर्देशित किया है कि सभी वार्डो में साफ-सफाई का खास ख्याल रखा जाए। साथ ही उन्होंने मरीज व तीमारदारों से सौम्य व्यवहार रखने को कहा है। प्लास्टिक मुक्त होगा दून अस्पताल दून मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने अस्पताल परिसर में प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए कमर कस ली है। एक बार इस्तेमाल कर फेंके जाने वाले यानी सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल अब अस्पताल में नहीं होगा। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा का कहना है कि पीएम मोदी के प्लास्टिक फ्री इंडिया अभियान से अस्पताल भी जुड़ने जा रहा है। इसके लिए सर्कुलर जारी कर दिया गया है। यही नहीं कैंटीन संचालक, वेंडर आदि को भी निर्देश दिए जा रहे हैं। उन्हें कुछ दिन का वक्त दिया जाएगा। जिसके बाद फिर कार्रवाई की जाएगी।
यह भी पढ़ें: यहां सात किमी पैदल चल मरीज को पहुंचाया अस्पताल, जानिए यहां के कठिन डगर के बारे में