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एसीसी के दीक्षा समारोह में उत्तराखंड का कमाल, हल्द्वानी के मनोज को गोल्‍ड; अल्मोड़ा के नितीश बिष्ट को मिला सिल्वर मेडल

देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए देवभूमि के वीर सपूत हमेशा आगे रहे हैं। यही कारण है कि आइएमए से पासआउट होने वाला हर 12वां अधिकारी उत्तराखंड से है। वहीं भारतीय सेना का हर पांचवां जवान भी इसी वीरभूमि में जन्मा है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Fri, 03 Dec 2021 10:15 PM (IST)Updated: Fri, 03 Dec 2021 11:49 PM (IST)
एसीसी के दीक्षा समारोह में उत्तराखंड का कमाल, हल्द्वानी के मनोज को गोल्‍ड; अल्मोड़ा के नितीश बिष्ट को मिला सिल्वर मेडल
चीफ आफ आर्मी स्टाफ गोल्ड व सिल्वर मेडल से सम्मानित होने वाले दोनों कैडेट इस बार उत्तराखंड से हैं।

जागरण संवाददाता, देहरादून : देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए देवभूमि के वीर सपूत हमेशा आगे रहे हैं। यही कारण है कि आइएमए से पासआउट होने वाला हर 12वां अधिकारी उत्तराखंड से है। वहीं भारतीय सेना का हर पांचवां जवान भी इसी वीरभूमि में जन्मा है। आइएमए में आयोजित एसीसी के दीक्षा समारोह में भी इस समृद्ध सैन्य विरासत की झलक साफ दिखी। चीफ आफ आर्मी स्टाफ गोल्ड व सिल्वर मेडल से सम्मानित होने वाले दोनों कैडेट इस बार उत्तराखंड से हैं।

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चीफ आफ आर्मी स्टाफ गोल्ड मेडल एवं विज्ञान वर्ग में कमांडेंट सिल्वर मेडल से सम्मानित मनोज बृजवासी गौलापार हल्द्वानी के रहने वाले हैं। उनके पिता शंकर दत्त बृजवासी किसान हैं, जबकि माता बसंती देवी गृहणी। मनोज की प्रारंभिक शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय नैनीताल से हुई। उनकी ख्वाहिश सेना में अफसर बनने की थी। एनडीए की लिखित परीक्षा पास की, पर साक्षात्कार में बाहर हो गए। इसके बाद 2011 में नौसेना में भर्ती हुए। अपनी लगन और कड़ी मेहनत के बल पर उन्होंने एसीसी में प्रवेश पाया। अब एक साल के प्रशिक्षण के बाद वह सेना में अधिकारी बन जाएंगे। सिल्वर मेडल विजेता नितीश बिष्ट सैन्य परिवार से ताल्लुक रखते हैं।

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वह उत्तराखंड के अल्मोड़ा के पूरी पोखरखाली निवासी हैं। उनके पिता गोविंद बिष्ट सेना से हवलदार रिटायर हैं। जबकि माता देवकी गृहणी है। उनके दादा रणजीत सिंह भी सेना में रहते द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल रहे। नितीश की प्रारंभिक शिक्षा विवेकानंद इंटर कालेज अल्मोड़ा से हुई है। उन्होंने दो बार एनडीए की परीक्षा दी, पर सफल नहीं हुए। बाद में 2012 में नौसेना में भर्ती हुए। रडार मेंटेनेंस में काम करते वह अपना सपना पूरा करने को जुटे रहे। अब एसीसी के जरिए अफसर बनने की राह पर हैं। ब्रांज मेडल विजेता भटिंडा, पंजाब के रहने वाले हैं। वह किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं।

उनके पिता रजिंदर सिंह खेती करते हैं और माता सुखबीर कौर गृहणी। वर्ष 2014 में उन्होंने क्लर्क के तौर पर सेना ज्वाइन की थी। इसके बाद उन्होंने एसीसी की तैयारी की और पहले ही बार में सफल रहे। एसीसी में अच्छा प्रदर्शन करने पर उन्हें सर्विस सब्जेक्ट व कला वर्ग में कमांडेंट सिल्वर मेडल भी मिला है।

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