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दुनिया से रुखसत होने के बाद भी रहेंगे आप 'जिंदा', जुड़िए इस मुहिम से

दून के नेहरूग्राम निवासी उत्तराखंड परिवहन निगम के डीजीएम प्रदीप कुमार सती ने एक मुहिम शुरू की है जिससे जुड़कर आप भी अपने अंगदान कर सकते हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 13 Aug 2019 04:24 PM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 08:34 PM (IST)
दुनिया से रुखसत होने के बाद भी रहेंगे आप 'जिंदा', जुड़िए इस मुहिम से
दुनिया से रुखसत होने के बाद भी रहेंगे आप 'जिंदा', जुड़िए इस मुहिम से

देहरादून, सुकांत ममगाईं। कौन कहता है कि इंसान अमर नहीं हो सकता। जरूर हो सकता है। इसके लिए अमृत पीने की जरूरत नहीं है। बस अंगदान जैसा पुण्य कार्य करना पड़ेगा। दरअसल, अंगदान के इंतजार में कई बेटे, कई पिता, कई माएं, कई बहनें, कई भाई और कई दोस्त जिंदगी की जंग हार जाते हैं। ऐसे में व्यक्ति अंगदान कर मौत के बाद भी किसी और को जिंदगी दे सकता है। ऐसी ही एक मुहिम शुरू की है दून के नेहरूग्राम निवासी उत्तराखंड परिवहन निगम के डीजीएम प्रदीप कुमार सती ने। उनकी इस मुहिम से अब तक 52 लोग जुड़ चुके हैं। जिनमें 20 से लेकर 75 वर्ष तक के लोग शामिल हैं। ये वे लोग हैं जो मौत के बाद भी इस दुनिया में जिंदा रहेंगे। 

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कहते हैं जब कोई शख्स इस धरती पर नहीं रहता तो वह यादों और अच्छी बातों के जरिए लोगों के बीच जिंदा रहता है, लेकिन ऑर्गन डोनेशन यानी अंगदान की बदौलत तो वह लोगों के भीतर जिंदा रहता है। इसी सोच के साथ डीजीएम प्रदीप कुमार सती ने अंग दान का संकल्प लिया। पिता सच्चिदानंद (62) के फेफड़े खराब होने पर को अंग नहीं मिल पाने पर यह मुहिम साल 2018 में नया सवेरा सोसायटी के माध्यम से शुरू की थी। अब उनकी मुहिम में परिवहन निगम के बड़े अफसरों, कर्मचारियों, पुलिस, अधिवक्ता, शिक्षक, समाजसेवी समेत तमाम वर्ग के लोग जुड़ चुके हैं। वह कहते हैं कि अंगदान करने से छह से आठ लोगों की जान बचाई जा सकती है। एक सर्वे के मुताबिक हर साल 5 लाख लोगों की मौत अंगों की अनुपलब्धता की वजह से हो जाती है। 18 साल से ऊपर का कोई भी व्यक्ति करा सकता है। 

क्या है अंगदान 

मानव शरीर के कई ऐसे अंग हैं जिन्हें काम न करने पर बदला जा सकता है। इसके लिए किसी दूसरे स्वास्थ इंसान से अंग लेकर उसे बीमार व्यक्ति में प्रत्यारोपित किया जाता है। प्रत्यारोपण के लिए अंगों का मिलना तभी संभव है जब कोई अंग देने के लिए तैयार हो। किसी दूसरे को अंग देना ही अंगदान है। आंखों को छोड़कर बाकी अंगों के मामले में यह तभी मुमकिन है जब शख्स के दिल की धड़कनें चलती रहें, भले ही उसके ब्रेन ने काम करना बंद कर दिया हो। 

राज्य स्तरीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संस्था नहीं 

प्रदीप कुमार सती सहित अन्य लोगों ने स्वास्थ्य मंत्रलय की संस्था नोटो (राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यर्पण संगठन) में पंजीकरण कराकर अंगदान का संकल्प लिया है। पर वह कहते हैं कि प्रदेश में इस ओर अभी बहुत काम होना है। यहां राज्य स्तरीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संस्था (सोटो) का गठन अब तक नहीं किया गया है। इसे लेकर जागरुकता की भी कमी है। इसके अलावा अंगदान से बड़े अस्पताल भी नहीं जुड़े हैं। यहां तक की आर्गन बैंक की भी कमी खलती है। 

आप भी जिंदगी बचाने को आगे आएं 

ब्रेन डेड या मृत्यु के बाद आप भी किसी की जिंदगी देने की चाह रखते है तो अंगदान के लिए पंजीकरण करा सकते हैं। पंजीकरण कराने को 9557791521, 8476031234, 9897594788 नंबरों पर संपर्क किया जा सकता है। 

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