उत्तराखंड में जेम पोर्टल पर कुलांचे भरेगा वोकल फार लोकल अभियान, टर्नओवर हुआ 267 करोड़ रुपये, 46141 विक्रेता हैं पंजीकृत
प्रदेश में सरकारी विभागों की जेम पोर्टल से खरीद में रुचि बढ़ी है। अब तक कुल 968 खरीदार इस पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके हैं। इनमें विभागाध्यक्ष अन्य समकक्ष अधिकारी और आहरण वितरण अधिकारी शामिल हैं। कुल पंजीकृत विक्रेताओं की संख्या 46141 तक पहुंच चुकी है।
रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून: उत्तराखंड में गवर्नमेंट ई-मार्केट प्लेस यानी जेम (जीईएम) पोर्टल 'वोकल फार लोकलÓ के रूप में बड़ा बजार बनने जा रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 में इसका टर्नओवर 267 करोड़ रुपये हो चुका है। अब सभी विभागों के लिए जेम पोर्टल से सामान खरीद अनिवार्य करने के बाद टर्नओवर लंबी छलांग भर सकता है। प्रदेश के 46,141 व्यापारी, उद्यमी और स्वयं सहायता समूह पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके हैं।
70 प्रतिशत से अधिक एमएसएमई और छोटे व्यापारी बेच रहे उत्पाद
केंद्र की मोदी सरकार सरकारी विभागों में खरीद जेम पोर्टल के माध्यम से किए जाने को प्रोत्साहित कर रही है। 17 मई, 2017 को जेम पोर्टल की शुरुआत होने के बाद उत्तराखंड ने भी इस योजना को हाथों-हाथ लेने में देर नहीं लगाई। छोटे व्यापारियों, स्वयं सहायता समूहों, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) के लिए इस योजना को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर जेम पोर्टल को मिल रही सफलता का अंदाजा इससे लग सकता है कि 70 प्रतिशत से अधिक एमएसएमई और छोटे व्यापारी इस पोर्टल के माध्यम से अपने उत्पाद बेच पा रहे हैं।
जेम पोर्टल पर सामान खरीद अनिवार्य
जेम पोर्टल पर 2017-18 में खरीदारी 6220 करोड़ से बढ़कर 2021-22 में एक लाख करोड़ से अधिक हो चुकी है। केंद्र के 'वोकल फार लोकलÓ अभियान को भी जेम पोर्टल से नई गति मिल रही है। यही कारण है कि उत्तराखंड ने भी इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाते हुए अब सभी सरकारी विभागों से जेम पोर्टल से सामान की खरीद को अनिवार्य बना दिया है। उत्तराखंड में चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में इस पोर्टल का टर्नओवर तेजी से बढ़ने के आसार हैं।
968 खरीदार हो चुके हैं पंजीकृत
प्रदेश में सरकारी विभागों की जेम पोर्टल से खरीद में रुचि बढ़ी है। अब तक कुल 968 खरीदार इस पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके हैं। इनमें विभागाध्यक्ष, अन्य समकक्ष अधिकारी और आहरण वितरण अधिकारी शामिल हैं। कुल पंजीकृत विक्रेताओं की संख्या 46141 तक पहुंच चुकी है। सरकार के नए आदेश के बाद खरीदारों और विक्रेताओं की संख्या में भी उछाल देखने को मिलेगा। पोर्टल के माध्यम से सामान खरीद को अनिवार्य बनाने के पीछे वित्तीय संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने और खर्च की दर को प्रतिस्पर्धी बनाना भी है। साथ में इससे खरीद की प्रक्रिया और खर्च में बचत भी होती है।
सरकारी विभागों को दिया 5800 करोड़ का बजट
चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट 65571.49 करोड़ है। इसमें सरकारी वाहनों की खरीद, संचालन, ईंधन के साथ ही यात्रा भत्ते, सरकारी कार्यालयों से संबंधित व्यय के लिए 5800 करोड़ से अधिक राशि की व्यवस्था की गई है। अन्य विभागीय व्यय के रूप में 4127.44 करोड़ की बड़ी राशि इसमें सम्मिलित है। व्यावसायिक और विशेष सेवाओं के लिए सरकार 191.74 करोड़ रुपये रखे गए हैं।
अनुरक्षण पर होने वाला कुल सरकारी खर्च 763.36 करोड़ अनुमानित
आतिथ्य व्यय को 11.16 करोड़, भोजन व्यय को 47.81 करोड़ और मशीन उपकरण, सज्जा एवं संयंत्रों के लिए 182.72 करोड़ रुपये बजट में रखे गए हैं। वहीं अनुरक्षण पर होने वाला कुल सरकारी खर्च 763.36 करोड़ अनुमानित है। सामान और उसकी पूर्ति मद में 541.49 करोड़ की राशि खर्च को रखी गई है।
जेम पोर्टल पर खुलने जा रहे नए अवसर
सरकारी विभागों के लिए अब जेम पोर्टल की अनदेखी आसान नहीं होगी। परिणामस्वरूप राज्य के व्यापारियों, उद्यमियों के लिए जेम पोर्टल पर नए अवसर खुलने जा रहे हैं। वित्त सचिव सौजन्या ने कहा कि सरकारी विभागों के लिए जेम पोर्टल के माध्यम से खरीदारी अनिवार्य करने से प्रदेश में स्वयं सहायता समूहों और एमएसएमई को लाभ मिलेगा।
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