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गढ़वाल विश्वविद्यालय व कोपेन हेगन विश्वविद्यालय जलवायु परिवर्तन पर करेंगे शोध

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर व कोपेन हेगन विश्वविद्यालय डेनमार्क हिमालयी क्षेत्र के जलीय जैव विविधता के क्षेत्र में संयुक्त रूप से उच्च स्तरीय शोध कार्य करेंगे।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 12 Oct 2019 12:57 PM (IST)Updated: Sat, 12 Oct 2019 12:57 PM (IST)
गढ़वाल विश्वविद्यालय व कोपेन हेगन विश्वविद्यालय जलवायु परिवर्तन पर करेंगे शोध
गढ़वाल विश्वविद्यालय व कोपेन हेगन विश्वविद्यालय जलवायु परिवर्तन पर करेंगे शोध

देहरादून, जेएनएन। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर व कोपेन हेगन विश्वविद्यालय डेनमार्क हिमालयी क्षेत्र के जलीय जैव विविधता के क्षेत्र में संयुक्त रूप से उच्च स्तरीय शोध कार्य करेंगे। गढ़वाल विवि की कुलपति प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल की मौजूदगी में दोनों विवि के प्रोफेसर ने शुक्रवार को एमओयू पर हस्ताक्षर किए।

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विवि के चौरास परिसर में आयोजित समारोह में गढ़वाल विवि की ओर से वरिष्ठ जंतु विज्ञान प्रोफेसर प्रकाश नौटियाल व कोपेन हेगन विवि डेनमार्क के प्रोफेसर नील क्रोअर ने मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टेंङ्क्षडग (एमओयू)पर हस्ताक्षर किए। गढ़वाल विवि के जंतु और जैव प्रौद्योगिकी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. प्रकाश नौटियाल इंडियन डेनिस नेटवर्क शोध परियोजना के भारतीय प्रतिनिधि भी हैं। गढ़वाल विवि की कुलपति प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल ने डेनमार्क विवि के साथ हुए एमओयू को महत्वपूर्ण और छात्रों के लिए लाभकारी बताते हुए कहा कि इससे गुणात्मक शोध को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही जलीय जैव विविधता को लेकर कई नई जानकारियां भी सामने आएंगी। उन्होंने कहा कि इस शोध परियोजना को लेकर अब पांच साल की कार्ययोजना बनाई जा रही है।

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सेमीनार में जलवायु परिवर्तन पर चिंतन

विवि परिसर में आयोजित सेमीनार के प्रथम तकनीकी सत्र में गढ़वाल विवि के भूविज्ञान विभाग के प्रो. एचसी नैनवाल ने  सतोपंथ-भागीरथ खर्च क्षेत्र में ग्लेशियरों की पिघलने एवं उसकी पूर्व वर्तमान स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सम्मेलन के मुख्य अतिथि जवाहर लाल नेहरू विवि दिल्ली के प्रोफेसर ब्रिज गोयल ने आर्कटिक व एलपाइन जलीय पारिस्थितिकी तंत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर भारत और डेनमार्क के साझा कार्य करने को अति महत्वपूर्ण बताया। कहा कि इस तरह के कार्यों से भविष्य में जलवायु परिवर्तन द्वारा होने वाले कुप्रभावों को कम करने की दिशा में कार्य किया जा सकता है। इस मौके पर रूसा की सहायक निदेशक डॉ. रचना नौटियाल, डॉ. दीपक भंडारी, डॉ. कविता काला, डॉ. सौरभ यादव आदि मौजूद रहे।

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