गंगोत्री-यमुनोत्री धाम की है खास मान्यता, प्रधानमंत्री मोदी के नाम से की गई पहली पूजा
गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की खास मान्यता है। इस बार यात्रा को बढ़ावा देने के लिए दोनों धामों के कपाट खुलने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से पहली पूजा आयोजित की गई।
उत्तरकाशी, जेएनएन। गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की खास मान्यता है। लॉकडाउन के बीच दोनों धामों के कपाट अक्षय तृतीय पर 26 अप्रैल को खोले गए। इस बार यात्रा को बढ़ावा देने के लिए दोनों धामों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से पहली पूजा आयोजित की गई। मान्यता है कि इन धामों में पूजा और स्नान करने से मनुष्य के समस्त पापों का नाश हो जाता है।
गंगोत्री धाम में राजा भगीरथ ने 5500 वर्षों तक की थी तपस्या
गंगोत्री धाम में मां गंगा साक्षात रूप में विराजती है। कहा जाता है कि यहीं पर शिला में बैठ कर राजा भगीरथ ने 5500 वर्षों तक गंगा को धरती पर लाने के लिए तपस्या की थी। मान्यता है कि भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न हो कर गंगा धरती पर अवतरित हुई थी।
गंगोत्री मंदिर के गर्भगृह में गंगा तथा यमुना की आभूषण युक्त मूर्तियां हैं। जिनके दर्शन करने से श्रद्धालु अपनी मनोकामना के लिए प्रार्थना कते हैं। गंगोत्री धाम में मां गंगा की पूजा अर्चना करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है। गंगा के पवित्र स्नान से मनुष्य के समस्त पापों का नाश हो जाता है।
यमुना को कालिंदी के नाम से भी जाना जाता
सूर्य पुत्री होने पर यमुना का सूर्य तनया तथा कालिंदी पर्वत से निकलने के कारण यमुना को कालिंदी के नाम से भी जाना जाता है। 'कलव कालिंदी केवलम्' अर्थात कलयुग में कालिंदी (यमुना) की पूजा एवं आराधना सर्वोपरि माना गया है। भक्ति स्वरूपा मां यमुना फल प्राप्ति की इच्छा पूरी करने वाली है। 'नमामि यमुना महं, सकल सिद्धी हेतुं मुदा।'
अर्थात यमुना को प्रणाम करने मात्र से ही सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ती होती है। यमुना शनिदेव तथा यमराज की बहन है। जिस कारण यम तथा शनिदेव का यमुना को वरदान है कि यमुनोत्री धाम में जो भी व्यक्ति यमुना में स्नान करेगा तथा यमुना के दर्शन करेगा उसे यम की यातना से मुक्ति मिलेगी तथा शनि की वक्र दृष्टि से भी छुटकारा मिलेगा।