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सारे दावे फेल क्योंकि गंगा स्वच्छता हुर्इ फाइलों में कैद

लक्ष्मणझूला से लेकर ऋषिकेश तक दर्जनों छोटे-बड़े दूषित नाले गंगा में समा रहे हैं। जिससे गंगा आजतक भी साफ नहीं हो पार्इ।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 11 May 2018 09:24 PM (IST)Updated: Sun, 13 May 2018 05:06 PM (IST)
सारे दावे फेल क्योंकि गंगा स्वच्छता हुर्इ फाइलों में कैद
सारे दावे फेल क्योंकि गंगा स्वच्छता हुर्इ फाइलों में कैद

ऋषिकेश, [दुर्गा नौटियाल]: राष्ट्रीय नदी गंगा की स्वच्छता और निर्मलता को लेकर सिस्टम कितना संजीदा है, इसकी बानगी देखनी हो तो तीर्थनगरी ऋषिकेश चले आइये। इस क्षेत्र में दर्जनों नाले गंगा में समा रहे हैं, जिन्हें टैप करने की दिशा में सुस्ती का आलम है। ऐसी ही स्थिति सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की भी है। हालांकि, नमामि गंगे परियोजना के तहत 238 करोड़ की लागत ये सभी कार्य होने हैं, मगर ये फाइलों में उलझे हुए हैं। यही नहीं, दावा अगले वर्ष सितंबर तक सभी कार्य पूरा करने का है, लेकिन जैसी चाल है उसे देखते हुए ऐसा कहीं नजर नहीं आता। 

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तीर्थनगरी में गंगा के दोनों छोर पर सघन आबादी वाले ऋषिकेश, मुनिकीरेती और स्वर्गाश्रम-लक्ष्मणझूला नगर हैं। ऋषिकेश में इन तीनों क्षेत्रों में गंगा में गंदगी फैला रहे 39 नाले पूर्व में चिह्नित किए गए। इनमें से 31 को टैप किए जाने का दावा है, लेकिन हकीकत इससे कहीं दूर है। आलम ये है कि लक्ष्मणझूला से ऋषिकेश तक दर्जनों छोटे-बड़े दूषित नाले गंगा में समा रहे हैं। नमामि गंगे परियोजना के तहत उत्तराखंड पेयजल निगम की निर्माण एवं अनुरक्षण इकाई को सौंपी गई। 

परियोजना के तहत मुनिकीरेती और ऋषिकेश को दो जोन में विभक्त कर कार्ययोजना तैयार की गई। मुनिकीरेती क्षेत्र में 80.45 करोड़ की लागत से गंगा में मिलने वाले नालों की रोकथाम और दो एसटीपी स्वीकृत किए गए हैं। बता दें कि इस क्षेत्र में ढालवाला, चंद्रेश्वरनगर व श्मशान घाट तीन बड़े नाले और चार बरसाती नाले गंगा को प्रदूषित करते हैं। इन्हें टैप कर इनके शोधन को शीशमझाड़ी के निकट एसटीपी बनना है, लेकिन अभी तक इसके लिए भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई भी पूरी नहीं हो पाई है। इसी प्रकार ढालवाला-चौदह बीघा के सीवर व चंद्रेश्वर नगर के नाले को टैप कर इन्हें चोरपानी में बनने वाले एसटीपी से जोड़ा जाना है, मगर यह कार्य भी धरातल पर नहीं उतर पाया है। 

वहीं, ऋषिकेश क्षेत्र में चार बड़े और आधा दर्जन से अधिक छोटे नाले गंगा में समा रहे हैं। इनमें सरस्वती नाला, लोनिवि नाला व साईं घाट नाला मुख्य हैं। अभी तक सिर्फ सरस्वती नाला ही टैप हो पाया है। इसके अलावा रंभा नदी से बड़ी मात्रा में सर्वहारानगर व शिवाजी नगर क्षेत्र का सीवर सीधे गंगा में मिलता है। हालांकि, इस क्षेत्र के लिए 158 करोड़ की योजना स्वीकृत है। यहां बापूग्राम, सर्वहारा नगर व मायाकुंड में पंपिंग स्टेशन और लक्कड़घाट में 26 एमएलडी का एसटीपी बनना है। यही नहीं, 15 किलोमीटर नई सीवर लाइन भी बिछनी है। यहां भी कार्य कब शुरू होगा, यह भविष्य के गर्त में छिपा है।

स्थानीय विधायक प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि नमामि गंगे परियोजना में ऋषिकेश एक महत्वपूर्ण स्थान है। यहां करीब सवा दो सौ करोड़ से भी ज्यादा के कार्य नमामि गंगे में होने हैं। मगर, योजना को मूर्तरूप देने में कुछ तकनीकी कारणों से विलंब हो रहा है। इस संबंध में विभागीय अफसरों से लगातार रिपोर्ट ली जा रही है। अब लगभग सभी औपचारिकताएं पूर्ण हो चुकी हैं। उम्मीद है कि जल्द ही नमामि गंगे में होने वाले कार्य धरातल पर नजर आएंगे और हम ऋषिकेश से निर्मल व स्वच्छ गंगा को आगे भेज सकेंगे।

वहीं निर्माण एवं अनुरक्षण इकाई पेयजल निगम के परियोजना प्रबंधक संदीप कश्यप ने बताया कि मुनिकीरेती जोन में दो एसटीपी, एक एसपीएस व एक एमपीएस प्रस्तावित हैं। एसटीपी के लिए भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया गतिमान है, जल्द ही अन्य काम भी शुरू किये जाएंगे। ऋषिकेश के लक्कड़घाट में 26 एमएलडी के एसटीपी और नालों को टैप करने के लिए टेंडर कर दिये गए हैं।

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