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नगर निगम : यहां तो बाड़ ही चर रही खेत

नगर पालिका परिषद ऋषिकेश के जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी यदि कर्तव्य निष्ठा के साथ अपना काम करते तो भवन कर की मद में निकाय को करोड़ों रुपये राजस्व की प्राप्ति होती। मगर ऐसा नहीं हुआ। हकीकत यह है कि मॉल, शोरूम, बैंक आदि किराये पर देने वाले रसूखदार कायदे से कुल किराये का दस प्रतिशत प्रतिमाह भवन कर देने के लिए बाध्य हैं। मगर निकाय में बैठे लोगों के रहमों करम पर इन से मात्र एक प्रतिशत कर वसूला जा रहा है। बुधवार को नगर निगम की टीम ने नौ संपत्तियों का मुआयना किया तो इस बात का खुलासा हुआ।

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 08:26 PM (IST)Updated: Wed, 30 Jan 2019 08:27 PM (IST)
नगर निगम : यहां तो बाड़ ही चर रही खेत
नगर निगम : यहां तो बाड़ ही चर रही खेत

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश : नगर पालिका परिषद ऋषिकेश के जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी यदि कर्तव्य निष्ठा के साथ अपना काम करते तो भवन कर की मद में निकाय को करोड़ों रुपये राजस्व की प्राप्ति होती। मगर ऐसा नहीं हुआ। हकीकत यह है कि मॉल, शोरूम, बैंक आदि किराये पर देने वाले रसूखदार कायदे से कुल किराये का दस प्रतिशत प्रतिमाह भवन कर देने के लिए बाध्य हैं। मगर निकाय में बैठे लोगों के रहमों करम पर इन से मात्र एक प्रतिशत कर वसूला जा रहा है। बुधवार को नगर निगम की टीम ने नौ संपत्तियों का मुआयना किया तो इस बात का खुलासा हुआ।

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नगर निगम गठन से पूर्व नगर पालिका परिषद वजूद में थी। यहां के कर विभाग और किराया विभाग में जो सब कुछ चलता रहा वह यह बताने के लिए काफी है कि यहां बाड़ ही खेत खा रही है। पालिका के अभिलेखों में जो खाली भूखंड के रूप में संपत्तियां दर्ज थी वहां इनके मालिक न्यूनतम भवन कर दे रहे थे। मगर यहां इन भूखंडों पर मॉल, शोरूम, बैंक, बिजनेस सेंटर आदि खुल गए। लेकिन कर विभाग के अधिकारियों ने निकाय की आय को बढ़ाने के लिए कभी मौके पर जाकर ऐसी संपत्तियों का सर्वे करने की जहमत नहीं उठाई। सब कुछ यूं ही चलता रहा। निकाय के कर विभाग में भूखंड के रूप में दर्ज संपत्ति पर न्यूनतम एक सौ से लेकर 1500 तक का भवन कर वसूला जाता रहा। आरोप है कि इन भवनों के रसूखदार स्वामियों ने निकाय में बैठे जिम्मेदार लोगों की आंख पर चांदी की पट्टी लपेट दी। जिस कारण इन्हें यह सब नजर नहीं आया। पूरे नगर क्षेत्र में करीब 500 से अधिक व्यवसायिक संपत्तियां ऐसी हैं, जिन पर कुल किराया का दस प्रतिशत भवन कर देने के बजाय एक प्रतिशत भवन कर जमा कराया जा रहा है। नगर निगम की टीम ने बुधवार को नौ संपत्तियों का भौतिक सर्वेक्षण कर पत्रों की जांच की तो पता चला कि किस तरह से लोग निगम के राजस्व को चूना लगा रहे हैं। रेलवे रोड पर कुछ बैंक, शोरूम ऐसे हैं जो डेढ़ लाख से ढाई लाख रुपया तक किराया दे रहे हैं। देहरादून रोड तिराहा में स्थित एक व्यवसायिक सेंटर, राजकीय बालिका इंटर कॉलेज के समीप परिधान का शोरूम, बहुराष्ट्रीय कंपनी उत्पाद बिक्री क्लब, बड़े कुछ होटल भवन कर की चोरी कर रहे हैं। यह स्थिति नौ संपत्तियों के भौतिक सर्वेक्षण की है। इनका वास्तविक भवन कर करीब एक करोड़ रुपया बैठता है। जब पूरे क्षेत्र का सर्वेक्षण होगा तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितनी बड़ी संख्या में निकाय के राजस्व की चोरी हो रही है और जिम्मेदार अधिकारी अब तक हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे।

सुलगते सवाल

- पिछले एक दशक में क्या करते रहे कर अधिकारी?

- निकाय के राजस्व की क्षति के लिए जिम्मेदार कौन?

- व्यापारियों से करोड़ों रुपये बकाया कैसे होगा वसूल?

- जिम्मेदार अधिकारी पर कैसे कौन करेगा कार्रवाई?

- कर विभाग की जांच की क्या हिम्मत जुटाएगा बोर्ड?

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नगर निगम की टीम ने रेलवे रोड देहरादून में नौ व्यवसायिक संपत्तियों की जांच की है। जिनमें भवन कर अदायगी में अत्यधिक कमी पाई गई है। पूरे नगर क्षेत्र का भौतिक सर्वेक्षण करा कर प्रतिष्ठान बनने से लेकर अब तक भवन कर निर्धारित कर वसूली की जाएगी।

- उत्तम ¨सह नेगी, सहायक नगर आयुक्त, नगर निगम ऋषिकेश


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