Move to Jagran APP

यहां फर्जी प्रमाणपत्र से गरीबों की छात्रवृत्ति पर डाला जा रहा है डाका, जानिए

कई अमीरों ने फर्जी प्रमाणपत्र देकर गरीब छात्रों की छात्रवृत्ति पर डाका डाला है। इसमें मेडिकल और इंजीनियरिंग के प्रोफेशनल कोर्स कराने वालों की लंबी सूची है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 14 Jan 2019 04:32 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jan 2019 04:32 PM (IST)
यहां फर्जी प्रमाणपत्र से गरीबों की छात्रवृत्ति पर डाला जा रहा है डाका, जानिए

देहरादून, संतोष भट्ट। समाज कल्याण की छात्रवृत्ति के लिए कई अमीरों ने फर्जी प्रमाणपत्र देकर गरीबों के हक पर डाका डाला है। इसमें मेडिकल और इंजीनियरिंग के प्रोफेशनल कोर्स कराने वालों की लंबी सूची है। एसआइटी ऐसे अभ्यर्थियों की कुंडली खंगालने में जुट गई है। जिससे गरीबों के करोड़ों रुपये हड़पने वालों पर शिकंजा कसा जा सके। इसके लिए समाज कल्याण विभाग के साथ राजस्व विभाग से जारी प्रमाणपत्रों को भी जांच के दायरे में लाया गया है। 

loksabha election banner

करोड़ों के छात्रवृत्ति घोटाले में निजी संस्थान और समाज कल्याण विभाग ही नहीं बल्कि राजस्व विभाग की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। एसआइटी की प्राथमिक जांच रिपोर्ट में इसका खुलासा भी हो गया है। ऐसे में 2012 से लेकर 2017 तक प्रोफेशनल कोर्स करने वाले ऐसे छात्र-छात्राएं, जिनके द्वारा छात्रवृत्ति हासिल की है। 

एसआइटी इनके प्रमाणपत्र और दूसरे तथ्य जुटाने में जुट गई है। एसआइटी सूत्रों का कहना है कि इस फर्जीवाड़े में जिस तरह से प्रमाणपत्रों का खेल हुआ है, उससे बड़े गिरोह की मिलीभगत होने संभावनाएं है। डोईवाला स्थित मेडिकल कॉलेज के छात्र मयंक नौटियाल से जुड़ा मामला इसका पुख्ता उदाहरण है। ऐसे में अन्य कितने छात्र-छात्राएं ऐसे होंगे, जिनके अभिभावकों ने समक्ष होते हुए भी फर्जी प्रमाणपत्र बनाकर गरीब छात्रों की छात्रवृत्ति हड़प ली। 

ऐसे ही मामलों से जुड़े 100 से ज्यादा मेडिकल, आयुर्वेद, इंजीनियरिंग, बीएड, आइटीआइ, पॉलीटेक्निक आदि प्रोफेशनल संस्थानों की डिटेल एसआइटी खंगालने में जुट गई है। एसआइटी को अंदेशा है कि इन संस्थानों में छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले कई छात्र के प्रमाणपत्र फर्जी हो सकते हैं। इसके लिए छात्र-छात्राओं की संख्या जुटाने के साथ ही उनके परिजनों की आय के प्रमुख स्रोत जैसे बैंक खाते, आयकर रिटर्न और प्रॉपर्टी की जांच भी की जाएगी। सूत्रों का कहना है कि एसआइटी की इस जांच में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से राजस्व पटवारी से लेकर तहसीलदार तक के अधिकारियों की भूमिका जांची जाएंगी।   

इनकी रिपोर्ट आनी बाकी 

एसआइटी सूत्रों का कहना है कि मयंक नौटियाल के अलावा डोईवाला क्षेत्र के मेडिकल कॉलेज में सोनू तोमर और अंकिता तोमर ने भी छात्रवृत्ति प्राप्त की है। जनजाति के प्रमाणपत्र पर हासिल छात्रवृत्ति की जांच कराई जा रही है। उनके परिजनों की आय से जुड़े दस्तावेज मांगे गए हैं। हालांकि पुलिस को दी गई तहरीर में उनके नाम भी शामिल हैं। 

38 हजार महीने की कमाई दिखाई 35 सौ रुपये 

छात्रवृत्ति घोटाले में फंसे एमबीबीएस के छात्र मयंक नौटियाल के पिता मुन्नालाल ने आयकर विभाग को दिए गए रिटर्न में वार्षिक आय चार लाख 69 हजार 310 दिखाई गई है। ऐसे में उनकी मासिक आय 38 हजार से ज्यादा है। लेकिन राजस्व विभाग से हासिल प्रमाणपत्र में आय सिर्फ 35 सौ रुपये दिखाई गई है। इससे राजस्व विभाग के प्रमाणपत्र पर सवाल उठना लाजमी है। 

एक ही बैंक में खुलवाए कई खाते 

हरिद्वार जनपद के आठ ऐसे संस्थान हैं, जिनके द्वारा एक ही बैंक में फर्जी तरीके से खाते खोले गए हैं। संस्थानों का फर्जीवाड़ा इस कदर है कि बिना छात्रों के पंजीकरण के छात्रवृत्ति प्राप्त की गई। संस्थान में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की वास्तविक संख्या से इसकी पुष्टि भी एसआइटी कर चुकी है। इन संस्थानों पर भी कार्रवाई की तैयारी है। 

आरोपितों को निलंबित किया जाए 

भाजपा नेता रविंद्र जगुरान ने मांग की कि जिन अधिकारियों की मिलीभगत छात्रवृत्ति घोटाले में सामने आ चुकी हैं, उनको तत्काल निलंबित किया जाए। खासकर हरिद्वार और दून में जिन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा चुका है, उन पर कार्रवाई न होना कई सवाल खड़े करता है। उन्होंने कहा कि आरोपितों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई न की गई तो वह आंदोलन को बाध्य होंगे। 

प्रभारी एसआइटी मंजू नाथ टीसी ने बताया कि गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ अभी तक दो मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। जांच अभी जारी है। हाईकोर्ट के निर्देशानुसार जांच की जा रही है। जल्द इस मामले में हाईकोर्ट में रिपोर्ट दी जाएगी।

छात्रवृत्ति घोटाले की जांच में सहयोग न देने वाले नपेंगे 

करोड़ों के छात्रवृत्ति घोटाले पर सरकार ने जीरो टॉलरेंस नीति को सख्ती से लागू करने की ठान ली है। समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य का कहना है कि जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जांच में सहयोग देने के लिए सभी अधिकारियों को आदेश जारी कर दिए हैं। ऐसे में विभाग एसआइटी को जांच में पूरा सहयोग देगा। 

राजभवन में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि छात्रवृत्ति घोटाले का मामला अभी हाईकोर्ट में भी विचाराधीन है। एसआइटी प्रकरण को लेकर रिपोर्ट तैयार कर रही है। जांच रिपोर्ट तैयार करने में विभाग को सहयोग देने के आदेश दिए गए हैं। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने साफ कहा कि सरकार भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करेगी। ऐसे में जीरो टॉलरेंस की नीति का अधिकारी पालन करें। 

इधर, जांच के दायरे में आए जिला समाज कल्याण अधिकारी, उप निदेशक, अपर निदेशक, वित्त एवं आइटी सेल के प्रभारी अधिकारियों की बेचैनी बढऩे लगी है। एसआइटी की जांच में जिस तरह से अधिकारियों की संलिप्तता और मिलीभगत सामने आ रही है, उससे अफसर अपने बचाव को लेकर छटपटाने लगे हैं। खासकर जिले से लेकर निदेशालय के अफसरों में जांच के बाद खलबली मची हुई है। 

बताया जा रहा है कि अभी तक हरिद्वार और देहरादून में 2011 से 2017 तक तैनात रहे जिला समाज कल्याण अधिकारी, वित्त अधिकारी और पटल बाबू की भूमिका की जांच एसआइटी कर रही है। इसके अलावा जिलाधिकारी, एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार आदि सत्यापन कराने वाले अधिकारियों पर भी जांच की आंच आनी तय है। एसआइटी सूत्रों का कहना है कि गड़बड़ी सामने आने के बाद कई अफसरों ने संस्थानों को बचाते हुए अपनी रिपोर्ट दी थी। ऐसी रिपोर्ट भी जांच के दायरे में आ गई हैं। 

यह भी पढ़ें: एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए फर्जी तरीके से ली छात्रवृत्ति, जानिए पूरा मामला

यह भी पढ़ें: छात्रवृत्ति घोटाले में देहरादून में भी दर्ज होंगे मुकदमे

यह भी पढ़ें: छात्रवृत्ति घोटाले में कई प्रशासनिक अफसर भी राडार पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.