सॉइल टेस्ट में पर्याप्त नहीं मिली इस ब्रिटिशकालीन पुल की नींव, पढ़िए पूरी खबर
2018 को गिरे करीब 115 साल के ब्रिटिशकालीन पुल की जगह नए पुल के निर्माण में देरी होती दिख रही है। इसकी वजह ये कि पुल की नींव सॉइल टेस्ट में पर्याप्त नहीं पाई गई।
देहरादून, जेएनएन। बीरपुर में 28 दिसंबर 2018 को भरभराकर गिरे करीब 115 साल के ब्रिटिशकालीन पुल की जगह नए पुल के निर्माण में देरी होती दिख रही है। इसकी वजह यह कि पुल के एबटमेंट (जोड़ की दीवार) की नींव की खुदाई को सॉइल टेस्ट में पर्याप्त नहीं पाया गया है। लिहाजा, इसकी खुदाई तब तक जारी रखी जाएगी, जब तक रिपोर्ट अनुकूल नहीं आ जाती। इससे कहीं न कहीं लोनिवि अधिकारियों की चिंता भी बढ़ गई है, क्योंकि पुल के निर्माण में पहले ही काफी विलंब हो चुका है।
बीरपुर में जर्जर पुल की जगह 2.37 करोड़ रुपये की लागत से नए पुल के निर्माण की स्वीकृति मार्च 2018 में ही मिल चुकी थी। हालांकि, सेना स्तर से एनओसी मिलने में विलंब होता रहा और इस बीच 28 दिसंबर को पुराना पुल ढह गया। इसके बाद यहां पर कामचलाऊ व्यवस्था के लिए वैली ब्रिज बनाया गया और नए पुल का निर्माण भी शुरू किया गया। पुल के एबटमेंट की नींव के लिए बीरपुर की तरफ छह मीटर व गढ़ी कैंट की तरफ सात मीटर गहरी खुदाई की गई है।
लोनिवि अधिकारियों ने इसे पर्याप्त मानते हुए सॉइल टेस्टिंग कराई तो पता चला कि नींव पर्याप्त नहीं है। लोनिवि प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता जगमोहन सिंह चौहान ने बताया कि जहां खुदाई की गई है, वहां नीचे पत्थर नहीं मिला है। इसी कारण नींव को पहले ही अधिक गहरा खोदा गया। दून की जमीन जलोड़ी मिट्टी की बनी है, जो कमजोर रहती है। ऐसे में आधार को मजबूत किया जाना जरूरी है।
बीरपुर की तरफ वाले एबटमेंट में अब जल्द मजबूत धरातल मिलने की उम्मीद है, मगर गढ़ी कैंट की तरफ वाले एबटमेंट के लिए खुदाई जारी रहेगी। कुछ और मीटर की खुदाई के बाद फिर सॉइल टेस्टिंग कराई जाएगी। रिपोर्ट अनुकूल आने के बाद ही एबटमेंट का निर्माण किया जाएगा। पुल के निर्माण को अधिकारी इस साल के अंत से पहले ही पूरा करने का दावा कर रहे थे, जबकि अब इसमें और विलंब होने का अंदेशा बढ़ गया है।
14 टन से अधिक का भार प्रतिबंधित
बीरपुर को जोडऩे के लिए अस्थायी व्यवस्था के रूप में जो वैली ब्रिज बनाया गया है, उसकी क्षमता 14 टन तक की है। ऐसे में बड़े वाहनों की आवाजाही न होने से लोगों को तमाम कार्यों के लिए परेशानी उठानी पड़ रही है। जब तक स्थायी पुल नहीं बन जाता, तब तक क्षेत्र के 50 गांव और कस्बों के लोगों की मुश्किलें बरकरार रहेंगी।
यहां के लोग हैं प्रभावित
बिलासपुर कांडली, जंतनवाला, नागनाथ, चांदमारी, बाणगंगा, जामुनवाला, बाजावाला, डाकरा, गढ़ीकैंट, एफआरआइ, सेना के कैंप तक आवाजाही करने वाले लोग प्रभावित हैं।
गल्जवाड़ी पुल पर चेतावनी बेअसर, गुजर रहे भारी वाहन
गढ़ी कैंट क्षेत्र से लगे गल्जवाड़ी, बिष्टगांव को जोड़ने वाला मोटर पुल भी खतरे में है। पुल की मरम्मत और सुरक्षा कार्य न होने से पुल जर्जर हाल में पहुंच गया है। लोनिवि ने इस पुल पर भी भारी वाहनों की आवाजाही न करने का बोर्ड लगा दिया है, जबकि इसके बाद भी इस पर से भारी वाहन धड़ल्ले से गुजर रहे हैं। ऐसे में यदि इस पर मरम्मत कार्य जल्द नहीं किया गया तो यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
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