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पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बोले, पलायन को लेकर जनरल रावत के मन में थी गहरी चिंता

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सीडीएस बिपिन रावत के निधन से देश का बड़ा नुकसान हुआ है। सीडीएस उत्तराखंड के रहने वाले थे तो उनके अंदर अलग राज्य बनने के बावजूद यहां पलायन पर प्रभावी अंकुश न लग पाने का दर्द अकसर नजर आता था।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 09 Dec 2021 09:20 AM (IST)Updated: Thu, 09 Dec 2021 09:20 AM (IST)
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बोले, पलायन को लेकर जनरल रावत के मन में थी गहरी चिंता
उत्‍तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, देहरादून। सीडीएस जनरल बिपिन रावत उत्तराखंड के रहने वाले थे, तो उनके अंदर अलग राज्य बनने के बावजूद यहां पलायन पर प्रभावी अंकुश न लग पाने का दर्द अकसर नजर आता था। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत उनके साथ मुख्यमंत्री रहते हुए हुई मुलाकातों का जिक्र करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि जनरल रावत पलायन पर रोक लगाने के लिए काम करना चाहते थे।

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पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 'दैनिक जागरण' से बातचीत में कहा कि सीडीएस रावत के निधन से देश का बड़ा नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री रहते हुए और उसके बाद भी जनरल रावत से बहुत बार मुलाकात हुई। उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों के निवासियों को रोजगार मिले, इसके लिए वर्ष 2018 में जनरल रावत ने पिथौरागढ़ और मलारी में अखरोट की नर्सरी लगवाई थी। उस समय उनसे नीती घाटी में स्थित टिम्मरसैंण महादेव में बनने वाले हिम शिवलिंग को आमजन के दर्शनों के लिए खोलने का आग्रह किया गया था, जिसे उन्होंने मान लिया।

बकौल त्रिवेंद्र, सीडीएस बिपिन रावत ने सरकार के अनुरोध पर श्रीनगर मेडिकल कालेज को आर्मी मेडिकल कालेज के रूप में विकसित करने का प्रयास किया। हालांकि, यह कार्य अभी पूरा नहीं हो पाया। उनसे सेना के सेवानिवृत्त डाक्टर मांगे, जिस पर उन्होंने एक सूची भी उपलब्ध कराई थी। देहरादून में सैन्यधाम बनाने में सीडीएस रावत ने काफी मदद की। सैन्यधाम के स्वरूप के बारे में उन्होंने विस्तार से जानकारी दी थी। उन्होंने भरोसा दिया था कि नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के माध्यम से राज्य को जो मदद चाहिए होगी, वह उपलब्ध करवाई जाएगी।

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के अनुसार, उत्तराखंड में पलायन की समस्या को लेकर सीडीएस रावत काफी चिंतित रहते थे। वह कहा करते थे कि अपनी जन्मभूमि के लिए जो भी किया जा सकता है, वह जरूर करेंगे। उनसे विचार-विमर्श के बाद पलायन रोकने के लिए राज्य में सीमांत क्षेत्र विकास निधि का गठन भी किया गया। सीडीएस जनरल बिपिन रावत व उनकी पत्नी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि यह समाचार आघात देने वाला है। सेना के सबसे प्रतिभाशाली अधिकारियों में गिने जाने वाले जनरल बिपिन रावत का निधन देश और सेना के लिए अपूरणीय क्षति है। अपनी प्रतिभा के बल पर वे भारतीय सेना के प्रमुख और उसके बाद देश के पहले चीफ आफ डिफेंस स्टाफ बने। एक उत्कृष्ट सैन्य अधिकारी के रूप में जनरल रावत सदैव याद किए जाएंगे।

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