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स्वच्छ भारत मिशन में फर्जीवाड़ा, किराएदारों को भी चाहिए टॉयलेट का फंड

स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार की ओर से घरों में टॉयलेट के निर्माण के लिए मिलने वाले साढ़े पांच हजार रुपये के बजट को हासिल करने के लिए फर्जीवाड़ा के भी मामले सामने आ रहे हैं।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 26 Feb 2020 12:27 PM (IST)Updated: Wed, 26 Feb 2020 08:05 PM (IST)
स्वच्छ भारत मिशन में फर्जीवाड़ा, किराएदारों को भी चाहिए टॉयलेट का फंड
स्वच्छ भारत मिशन में फर्जीवाड़ा, किराएदारों को भी चाहिए टॉयलेट का फंड

देहरादून, अंकुर अग्रवाल। स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार की ओर से घरों में टॉयलेट के निर्माण के लिए मिलने वाले साढ़े पांच हजार रुपये के बजट को हासिल करने के लिए फर्जीवाड़ा के भी मामले सामने आ रहे हैं। स्थिति यह है कि भवन मालिक ने तो बजट हासिल किया ही अब किराएदार से भी टॉयलेट का आवेदन करा दिया। विवादित जमीन पर या बेसहारा जमीन पर भी टॉयलेट के आवेदन कर दिए गए। अकेले दून शहर में टॉयलेट को लेकर आए 2353 आवेदनों में से 1240 आवेदनों को रिजेक्ट कर दिया गया। सत्यापन कराने के बाद 1113 टॉयलेट स्वीकृत कर निर्माण कराया गया। 

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स्वच्छ भारत मिशन के तहत केंद्र सरकार ने वर्ष 2014 में खुले में शौचमुक्त कार्यक्रम के तहत शहरी एवं ग्रामीण लोगों को घरों में टॉयलेट के लिए अनुदान की योजना आरंभ की थी। इसके तहत शहरी क्षेत्र में लोगों को 5333 रुपये की धनराशि दो किश्तों में बांटी जा रही। इसमें 2000 रुपये टॉयलेट निर्माण के समय और शेष धनराशि टॉयलेट निर्माण पूरा होने के बाद जारी की जाती है। 

योजना का लाभ लेने के लिए देहरादून नगर निगम में कुल 2353 लोगों ने आवेदन किया था। इनमें आवेदन व जमीनों के सत्यापन कराने के बाद 1547 आवेदनों की छंटनी की गई। बाद में इन 1547 आवेदनों में 434 आवेदन और निरस्त करने पड़े। 

बताया गया कि उक्त आवेदन किराएदारों की ओर से किए गए थे, जबकि संबंधित भवन में भवन मालिक को पहले ही टॉयलेट का बजट जारी कर दिया गया था। वहीं, कुछ लोगों द्वारा ऐसी जमीन पर टॉयलेट का प्रस्ताव दिया गया जो वर्षों से विवादित थी। वे इस जुगत में थे कि यह जमीन सरकारी फंड मिलने पर उन्हें हासिल हो जाएगी। 

एक करोड़ का मिला है बजट

घरों में टॉयलेट बनाने के लिए पुराने 60 वार्डों के लिए नगर निगम को एक करोड़ छह लाख 66 हजार रुपये का बजट मिला है। दरअसल, यह बजट उस वक्त जारी हो गया था, जब निगम क्षेत्र में सिर्फ 60 वार्ड थे। निगम में अब नए क्षेत्र मिलाकर 100 वार्ड हो चुके हैं। इस बजट में नगर निगम अभी तक 44 लाख 42 हजार रुपये खर्च कर चुका है। अब निगम नए वार्डों से भी टॉयलेट के आवेदन मांग रहा है।  

ग्रामीण क्षेत्रों के लिए नहीं बजट

जिले के छह ब्लॉक के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए वर्ष 2017 के बाद टॉयलेट निर्माण के लिए सरकार से कोई बजट नहीं मंजूर हुआ है। ग्राम विकास विभाग के अनुसार स्वच्छ भारत मिशन के तहत कालसी, विकासनगर, चकराता, रायपुर, सहसपुर समेत डोईवाला ब्लॉक में कुल 34404 घरों में टॉयलेट का निर्माण कराया गया। 

इनमें 20838 टॉयलेट एपीएल परिवारों जबकि 13566 बीपीएल परिवारों के थे। जिले की 401 ग्राम सभाएं इनमें शामिल हैं। इसके साथ ही जिले की 460 ग्राम सभाएं ओडीएफ घोषित की जा चुकी हैं। वर्ष 2017 में सरकार की ओर से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए बजट जारी किया जा रहा। 

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फर्जी निकले आवेदनों में पते 

नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय के मुताबिक, घरों में टॉयलेट बनाने के लिए निगम की ओर से जो आवेदन मांगे गए थे, उनमें कईं फर्जी निकले। कई में किराएदार ने आवेदन कर दिया तो कईं आवेदन विवादित जमीनों पर किए गए। इतना ही नहीं कई आवेदनों में पते भी फर्जी निकले। सत्यापन कराने के बाद ऐसे आवेदन निरस्त कर दिए गए। दून शहर में जितने भी टॉयलेट बनाए गए, उन सभी का बजट भौतिक सत्यापन कराने पर ही जारी किया गया।

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