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उत्तराखंड: वन आरक्षी की लिखित परीक्षा नहीं होगी रद, जानिए क्या हैं आयोग के तर्क

राज्य में विवादों से घिरी और बहुचर्चित वन आरक्षी की लिखित परीक्षा रद नहीं होगी। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने एसआइटी की जांच आख्या और परीक्षा में शामिल रहे अभ्यर्थियों के फीडबैक के बाद यह निर्णय लिया है।

By Edited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 09:14 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 10:45 PM (IST)
उत्तराखंड: वन आरक्षी की लिखित परीक्षा नहीं होगी रद, जानिए क्या हैं आयोग के तर्क
वन आरक्षी की लिखित परीक्षा नहीं होगी रद।

देहरादून, जेएनएन। विवादों से घिरी और बहुचर्चित वन आरक्षी की लिखित परीक्षा रद नहीं होगी। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने एसआइटी की जांच आख्या और परीक्षा में शामिल रहे अभ्यर्थियों के फीडबैक के बाद यह निर्णय लिया है। परीक्षा रद नहीं करने को लेकर आयोग का तर्क है कि वन आरक्षी के 1218 पदों के लिए 16 फरवरी को 188 केंद्रों पर परीक्षा आयोजित की गई थी, जिनमें करीब एक लाख अभ्यर्थी शामिल हुए। 

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परीक्षा में नकल संबंधी गड़बड़ी को लेकर केवल 22 केंद्र चिन्हित हुए थे। नकल करने के मामले में 57 अभ्यर्थी शामिल हुए हैं। आयोग ने 14 अक्टूबर को आयोग की वेबसाइट पर संवाद नाम से स्तंभ आरंभ किया, जिसमें परीक्षा में शामिल कर्मचारियों और अभ्यर्थियों से इस बारे में फीडबैक लिया गया। तीन दिन तक फीडबैक देने का समय निर्धारित किया। 19 से 22 अक्टूबर के बीच 2956 फीडबैक आयोग को प्राप्त हुए। छात्रों के अधिकतर फीडबैक या तो परीक्षा रद करने को लेकर थे या फिर परीक्षा परिणाम घोषित करने को लेकर दिए गए थे। 

परीक्षा केंद्रों में मोबाइल का प्रयोग करने संबंधी कोई भी फीडबैक नहीं आए, जिसके बाद आयोग ने परीक्षा रद नहीं करने का निर्णय लिया है। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव संतोष बड़ोनी ने शुक्रवार को इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट जारी की। बताया कि आयोग ने अभ्यर्थियों के फीडबैक का सार, सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय नैनीताल के निर्णयों का संदर्भ लिया है। इसके बाद समुचित विचारोपरांत सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है। 

परीक्षा रद नहीं करने को लेकर आयोग के तर्क 

  • परीक्षा रद नहीं होगी, क्योंकि गड़बड़ी का परिणाम सीमित है। जबकि ऐसे अभ्यर्थियों की संख्या अधिक है जिन्होंने कोई गड़बड़ी नहीं की। 
  • वर्तमान में एसआइटी जांच में 57 में से 26 अभ्यर्थी को चिह्नित नहीं किया जा सका है। इसलिए इन्हें चिह्नित करने के लिए एसआइटी को एक माह का समय दिया गया है। 
  • भविष्य में इस प्रकार के मामले न हो, चिह्नित 31 अभ्यर्थियों के खिलाफ आयोग की ओर से दीर्घ अवधि के प्रतिबंध की सिफारिश की गई है। 
  • जिन परीक्षा केंद्रों में नकल हुई है उन्हें ब्लैक लिस्ट किया जाए और सरकार की ओर से इन्हें दी जा रही अनुदान और सहायता पर पुनर्विचार किया जाए। 
  • मामले में संलिप्त पाए गए एक कक्ष निरीक्षक पर आजीवन ड्यूटी देने पर प्रतिबंध कर दिया जाए। 
  • टिहरी के परीक्षा केंद्र पर कक्ष निरीक्षक की ओर से मोबाइल से फोटो लेकर परीक्षा केंद्र से बाहर भेजी गई। ऐसे कक्ष निरीक्षक पर पांच साल का प्रतिबंध लगे। 
  • आयोग जल्द ही अपने ऑनलाइन संवाद पृष्ठ को सार्वजनिक करेगा।

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