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अफसरों के खेल से हताश मंत्री हरक ने मुख्यमंत्री के समक्ष रखी अपनी व्यथा

कंडी रोड के लालढांग-चिलरखाल हिस्से का निर्माण कार्य रोके जाने से व्यथित वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने मुख्यमंत्री के समक्ष फोन पर अपनी व्यथा रखी।

By Edited By: Published: Fri, 17 May 2019 08:13 PM (IST)Updated: Sat, 18 May 2019 12:37 PM (IST)
अफसरों के खेल से हताश मंत्री हरक ने मुख्यमंत्री के समक्ष रखी अपनी व्यथा

देहरादून, राज्य ब्यूरो। गढ़वाल-कुमाऊं को राज्य के भीतर ही सीधे आपस में जोड़ने वाली कंडी रोड के लालढांग-चिलरखाल हिस्से का निर्माण कार्य रोके जाने से व्यथित वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने मुख्यमंत्री के समक्ष फोन पर अपनी व्यथा रखी। उन्होंने कहा कि यह सड़क मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार है। जिस तरह से नौकरशाही इसे लेकर खेल खेल रही है, वह ठीक नहीं है। 

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उन्होंने सवाल किया कि अपर मुख्य सचिव एक डीएफओ के कहने पर सड़क का काम कैसे रुकवा सकते हैं। रावत ने बताया कि 23 मई के बाद वह सभी साक्ष्यों के साथ इस मसले पर मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे। उधर, इस प्रकरण के सुर्खियां बनने के बाद प्रमुख सचिव वन ने लालढांग-चिलरखाल मार्ग के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। 

वन मंत्री डॉ.रावत की पहल पर पूर्व में 11 किमी लंबे लालढांग-चिलरखाल मार्ग के लिए वन भूमि लोनिवि को हस्तांतरित की गई थी। इसके बाद लोनिवि ने इस पर तीन पुलों के साथ ही सड़क की पेंटिंग का कार्य शुरू करा दिया। वर्तमान में वहां पुलों का निर्माण कार्य चल रहा था। इस बीच मामला एनजीटी में पहुंचने पर एनजीटी ने इसकी वस्तुस्थिति को लेकर वन विभाग से रिपोर्ट मांगी।

एनजीटी का पत्र मिलने के बाद लैंसडौन वन प्रभाग के डीएफओ ने लोनिवि को काम रोकने के लिए निर्देशित किया। हालांकि, तब लोनिवि ने यह कहकर ऐसा करने से मना कर दिया था कि यह सड़क शासनादेश के तहत उसे हस्तांतरित हुई है। बाद में अपर मुख्य सचिव लोनिवि ने सड़क का काम रोकने के आदेश निर्गत कर दिए। 

मामला संज्ञान में आने के बाद वन मंत्री डॉ. रावत भड़क उठे और उन्होंने अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश के आदेश को लेकर सवाल उठाए। इसके सुर्खियां बनने के बाद शुक्रवार को सरकार भी सक्रिय हो गई। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वन मंत्री डॉ. रावत से फोन पर संपर्क साधा। 

डॉ. रावत के अनुसार उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा- जो हुआ वह गलत हुआ है। मैं बहुत दुखी हूं। इतना दुखी पिछले 28 सालों के राजनीतिक कॅरियर में कभी नहीं हुआ। हमारी मंशा राज्य का विकास है। जनता की सुविधाओं का ख्याल रखना है। लालढांग-चिलरखाल मार्ग के संबंध में कोई मुझसे पूछता तो मैं बताता। मुझे विश्वास में लिया जाना चाहिए था। 

डॉ.रावत के अनुसार उन्होंने बताया कि यदि इस मामले में कुछ गलत था तो भूमि हस्तांतरण कैसे किया गया। शासन ने ही इसके आदेश किए। फिर यह सड़क जनता को सुविधा मुहैया कराने के लिहाज से महत्वपूर्ण है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अपर मुख्य सचिव एक डीएफओ के कहने पर कैसे निर्णय ले सकते हैं। 

उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि 23 मई के बाद वह सभी तथ्यों व साक्ष्यों के साथ उनसे मुलाकात करेंगे। उधर, लालढांग-चिलरखाल मार्ग के बारे में प्रमुख सचिव वन आनंदव‌र्द्धन ने वन विभाग से पूरा ब्योरा तलब किया है। उन्होंने बताया कि इस सड़क के लिए भूमि हस्तांतरण से लेकर अब तक की स्थिति पर समग्र रिपोर्ट मांगी गई है।

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