अभी भारतीय सैन्य अकादमी में रहेंगे पास आउट विदेशी कैडेट
मित्र देशों के कैडेट फिलहाल भारतीय सैन्य अकादमी में ही रहेंगे। कोरोना संकट के चलते अकादमी रक्षा मंत्रालय व अकादमी प्रबंधन को यह निर्णय लेने पड़े हैं।
देहरादून, जेएनएन। भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) में आज पासिंग आउट परेड में पुरानी के साथ ही कुछ नई परंपराएं भी जुड़ गई। कैडेटों ने जहां अंतिम पग के बाद प्रथम पग भी रखा, अकादमी से पास आउट होने के बाद वह अपनी-अपनी यूनिट ज्वाइन करेंगे। जबकि मित्र देशों के कैडेट फिलहाल अकादमी में ही रहेंगे। कोरोना संकट के चलते अकादमी रक्षा मंत्रालय व अकादमी प्रबंधन को यह निर्णय लेने पड़े हैं।
बता दें, सैन्य अकादमी में भारत के अलावा मित्र देशों के कैडेटों को भी सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता है। इस बार भी अकादमी से नौ मित्र देशों के 90 जेंटलमैन कैडेट शिरकत कर पास आउट होंगे। इनमें सबसे अधिक 48 कैडेट अफगानिस्तान के हैं। जबकि तजाकिस्तान के 18 व भूटान के 13 कैडेट भी पास आउट होंगे। इसके अलावा मालद्वीव व मारीशस के तीन-तीन, फिजी के दो और पपुआ न्यू गिनी, श्रीलंका व वियतनाम का एक-एक कैडेट पास आउट होगा। लेकिन पास आउट होने के बाद भी ये सभी विदेशी कैडेट फिलवक्त अकादमी में ही रहेंगे।
अकादमी के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के मुताबिक कोरोनाकाल में अंतरराष्ट्रीय हवाई सेवा बंद है। चुनिंदा देशों के लिए ही कुछ फ्लाइट हैं। ऐसे में विदेशी कैडेटों को उनके देश वापस भेजना फिलहाल संभव नहीं है। इस संदर्भ में संबधित देशों के दूतावास से बात हो चुकी है। जब तक कोरोना संकट खत्म नहीं हो जाता है और अंतरराष्ट्रीय हवाई सेवा बहाल नहीं होती है तब तक विदेशी कैडेट अकादमी में ही रहेंगे। इस बीच यदि संबंधित देश विशेष फ्लाइट की व्यवस्था करते हैं तो कैडेटों को भेजा दिया जाएगा।
इंजीनियिंरग छोड़, फौज में चुना कॅरियर
आज जब कॅरियर के लिहाज से विकल्पों की भरमार है, युवा ब्रिगेड में फौजी वर्दी की ललक अब भी जिंदा है। बेशुमार अवसर और मोटी तनख्वाह से इतर युवा पीढ़ी फौज में कॅरियर चुन रही है। इंजीनियर्स एन्क्लेव निवासी अक्षत चौहान भी उन्हीं में एक हैं। पासिंग आउट परेड के बाद अंतिम पग भर वह आज सेना में अफसर बन जाएंगे। उनके पिता जेएस चौहान लोनिवि में अधिशासी अभियंता व मां नीतू चौहान राजकीय इंटर कॉलेज वैसोगीलानी कालसी में प्रवक्ता हैं। मूल रूप से ग्राम झोटाड़ी, उत्तरकाशी के रहने वाले चौहान परिवार ने बताया कि अक्षत ने अपनी स्कूली शिक्षा सेंट च्यूड्स स्कूल से की।
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इसके बाद टिहरी हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक किया। पर उसके मन में फौजी वर्दी की ललक थी। ऐसे में इंजीनियिरंग करने के बाद भी वह अपने इस सपने को पूरा करने में जुटा रहा। सीडीएस की परीक्षा दी और सफल भी हुआ। अक्षत का मानना है कि इस नौकरी में न सिर्फ स्थायित्व है, बल्कि सुरक्षित भविष्य भी। अक्षत की छोटी बहन अपूर्वा एमबीए कर रही है। परिवार के लोगों को इस क्षण का बेसब्री से इंतजार था पर कोरोना के कारण वह पीओपी में नहीं जा पा रहे हैं। जिसका उन्हें मलाल है।
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