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राजनीतिक इच्छाशक्ति के बिना विकास नहीं संभव: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत

परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में ग्राम पंचायत विकास योजना अभियान के तहत हिमालयी राज्यों में सामाजिक व आर्थिक रूपांतरण विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 10 Oct 2019 01:19 PM (IST)Updated: Thu, 10 Oct 2019 08:31 PM (IST)
राजनीतिक इच्छाशक्ति के बिना विकास नहीं संभव: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत
राजनीतिक इच्छाशक्ति के बिना विकास नहीं संभव: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत

ऋषिकेश, जेएनएन। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हिमालयी राज्यों के नियोजन और आर्थिक विकास को लेकर यह कार्यशाला अपने आप में महत्वपूर्ण है। राजनीतिक इच्छाशक्ति के बिना कुछ भी संभव नहीं है। इच्छाशक्ति के कारण ही आज जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त हो पाया, हमारे देश को राफेल मिल पाया। वह ग्राम पंचायत विकास योजना अभियान के तहत परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में हिमालयी राज्यों में सामाजिक व आर्थिक रूपांतरण विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला में बोल रहे थे। 

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परमार्थ निकेतन स्वर्गाश्रम के योग हाल में आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती,भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव संजय सिंह, निदेशक उत्तराखंड एचसी सेमवाल ने दीप प्रज्वलित कर किया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि गंगा तट पर आयोजित हिमालयी राज्यों की यह कार्यशाला अपने आप में महत्वपूर्ण है।

इसमें शामिल प्रतिनिधि नए आयाम और नई दिशा लेकर यहां से जाएंगे। उन्होंने कहा कई जनप्रतिनिधियों के कारण आज सुदूर गांव में लोगों का चिंतन बदल रहा है। लोकतंत्र को समझने की जरूरत है। आज जरूरत अच्छे नियोजकों की है। राजनीतिक इच्छा शक्ति से ही सारे काम संभव हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज देश में इच्छाशक्ति के कारण ही एक कर व्यवस्था लागू हो पाई है। हमारे देश को राफेल मिला है और जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त हो पाया है। उन्होंने कहा हिमालयी राज्यों में काफी भौगोलिक समानता है। इन राज्यों के समूह पंचायतों के विकास के लिए जब इस तरह से चिंतन करेंगे तो निश्चित रूप से इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।

स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि पांच हिमालयी राज्यों से यहां प्रतिभागी और अधिकारी आए हैं। हिमालय हमें केवल जीवन ही नहीं देता, बल्कि हिमालय जैसा जीवन जीने का हौसला भी देता है। हमें ऐसी सोच विकसित करनी होगी कि मेरा गांव मेरा गौरव और मेरा शहर मेरी शान बने। 

निदेशक पंचायती राज एचसी सेमवाल ने बताया कि पंचायती राज विभाग, ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार व नेशनल इंस्टीट्यूट आफ रूरल डेवलपमेंट द्वारा दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई है। जिसमें हिमालय क्षेत्र के राज्यों के लिए ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) के माध्यम से आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन पर मंथन होगा। अपर सचिव पंचायत राज भारत सरकार संजय सिंह ने कहा कि सबकी योजना सबका विकास कार्यक्रम के तहत ग्राम पंचायतों में आर्थिक व सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए दो अक्टूबर से 30 दिसंबर तक देश के विभिन्न स्थानों पर इस तरह की कार्यशाला आयोजित हो रही है।

इसे अभियान के रूप में लिया गया है। जिसमें 18 विभाग 28 क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं। इस अवसर पर संयुक्त सचिव पंचायत राज भारत सरकार आलोक प्रेम नगर, विशेष सचिव सेवानिवृत्त डॉ. बाला प्रसाद, एनआइडीपीआर से डॉ. एके भांजा आदि मौजूद रहे। परमार्थ निकेतन में पांच से 10 अक्टूबर तक चरखा योगा कार्यशाला में भी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत शामिल हुए। उन्होंने यहां चरखा चलाकर खादी को अपनाने का संदेश दिया।

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नीति बनाने में सहायक होगी कार्यशाला

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि केंद्र सरकार हिमालयी राज्यों के लिए विशेष बजट का प्रावधान कर रही है। बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालयी राज्य सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यहां सरकार ने अवस्थापना सुविधा में फंडिंग की है, ऑर्गेनिक फार्मिंग पर अलग से फंडिाग हो रही है। पिछले की तुलना में फर्क नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि यहां कार्यशाला के माध्यम से हिमालय राज्य के प्रतिनिधि अलग बैठ रहे हैं। इसमें जो भी अनुभव और विचार निकलेगा उसे नीति आयोग के पास भेजा जाएगा। नीति आयोग को इन राज्यों के लिए अलग नीति बनाने पर इससे मदद मिलेगी।

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