राजाजी में वित्तीय अनियमितताओं की होगी जांच
एशियाई हाथियों के लिए प्रसिद्ध राजाजी टाइगर रिजर्व में पिछले पांच साल के दौरान हुई वित्तीय अनियिमतताओं की जांच होगी। वन मुख्यालय ने इसके लिए अपर प्रमुख वन संरक्षक की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। एशियाई हाथियों के लिए प्रसिद्ध राजाजी टाइगर रिजर्व में पिछले पांच साल के दौरान हुई वित्तीय अनियिमतताओं की जांच होगी। वन मुख्यालय ने इसके लिए अपर प्रमुख वन संरक्षक की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी है। यह कमेटी रिजर्व में हुए कार्यों का भौतिक सत्यापन करने के साथ ही वित्तीय नियमों के अनुपालन से संबंधित अभिलेखों का गहन परीक्षण कर दो माह के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी।
राजाजी टाइगर रिजर्व की मोतीचूर रेंज में जून 2018 में वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत हुई थी। इस पर मुख्य वन संरक्षक (मानव संसाधन विकास एवं कार्मिक प्रबंधन) से जांच कराई गई। 22 मार्च 2019 को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में कई मामलों में वित्तीय अनियमितता की पुष्टि हुई। ये बात सामने आई कि मोतीचूर में लंबी दूरी की गश्त के दौरान भोजन आदि की व्यवस्था के नाम पर अत्यधिक बढ़ी दरों पर संदिग्ध बिल बनाकर भुगतान किया गया। वासस्थल सुधार के नाम पर ऐसे क्षेत्रों में भी लैंटाना उन्मूलन दिखाया गया, जहां इसकी मौजूदगी है ही नहीं। कोटेशन व बिलों में भी तमाम तरह की गड़बड़ी सामने आईं। तब दो रेंजरों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई थी।
वित्तीय अनियमितताओं के मद्देनजर मोतीचूर रेंज को नमूना मानते हुए अब पूरे टाइगर रिजर्व में हुए कार्यों की जांच कराई जा रही है। वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जयराज ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। इसके मुताबिक मोतीचूर रेंज की जांच रिपोर्ट मिलने के बाद राजाजी टाइगर रिजर्व से संबंधित कुछ ऐसे ठेकेदार भी सामने आए, जिन्होंने लाखों रुपये के अवशेष भुगतान की मांग की। जब उनसे कार्यादेश और टेंडर के बारे में पूछा गया तो बताया गया कि वहां बिना कार्यादेश व टेंडर के कार्य कराने की परंपरा रही है। साथ ही एक वन क्षेत्राधिकारी के विरुद्ध जांच की कार्यवाही के दौरान ये बात भी सामने आई कि रिजर्व की अन्य रेंजों में भी बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं। रिजर्व में रेंजों की संख्या नौ है।
आदेश के मुताबिक इस सबको देखते हुए वित्तीय अनियमितताओं की जांच कराना आवश्यक है। इसके लिए अपर प्रमुख वन संरक्षक (प्रशासन, वन्यजीव एवं आसूचना) की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी में मुख्य वन संरक्षक मानव संसाधन विकास एवं कार्मिक प्रबंधन, विभागीय वित्त नियंत्रक के साथ ही राजाजी टाइगर रिजर्व के अवैतनिक वन्यजीव प्रतिपालक राजीव तलवार को शामिल किया गया है।
जांच कमेटी टाइगर रिजर्व के अंतर्गत कम से कम पांच साल में हुए कार्यों का सैंपलिंग के आधार पर भौतिक सत्यापन करेगी। यह भी देखेगी कि कार्यों के सापेक्ष वित्तीय नियमों का अनुपालन हुआ है अथवा नहीं। साथ ही रिजर्व के तत्कालीन निदेशक से लेकर वन क्षेत्राधिकारियों की भूमिका व दायित्व का भी गहनता से परीक्षण करेगी।
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