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बीएड समेत अन्य रोजगारपरक पाठ्यक्रमों की फीस में हो सकता है इजाफा

उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में स्ववित्तपोषित बीएड समेत अन्य रोजगारपरक पाठ्यक्रमों में फीस में इजाफा हो सकता है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 14 Nov 2017 03:19 PM (IST)Updated: Tue, 14 Nov 2017 11:05 PM (IST)
बीएड समेत अन्य रोजगारपरक पाठ्यक्रमों की फीस में हो सकता है इजाफा
बीएड समेत अन्य रोजगारपरक पाठ्यक्रमों की फीस में हो सकता है इजाफा

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: उच्च शिक्षण संस्थानों में स्ववित्तपोषित बीएड समेत अन्य रोजगारपरक पाठ्यक्रमों में फीस में इजाफा हो सकता है। उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इन पाठ्यक्रमों से संबंधित स्टाफ की ओर से कम मेहनताना मिलने की शिकायत को देखते हुए सरकार ने शुल्क में संशोधन का निश्चय किया है। सभी पहलुओं पर मंथन के बाद छात्रों के व्यापक हित में ही निर्णय लिया जाएगा। स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों के लिए नया शुल्क क्या रहेगा, जल्द ही इस बारे में स्थिति साफ कर दी जाएगी।

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प्रदेश के 70 महाविद्यालयों में स्ववित्तपोषित बीएड पाठ्यक्रम चल रहा है। कंप्यूटर समेत अन्य कई पाठ्यक्रम भी कॉलेज चला रहे हैं। इनके शुल्क में संशोधन के निर्णय के मद्देनजर माना जा रहा कि शुल्क में बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री के अनुसार शुल्क में संशोधन के मद्देनजर यह भी देखा जाएगा कि इन पाठ्यक्रम में दाखिला लिए छात्र शुल्क वहन करने में सक्षम हैं अथवा नहीं।

सभी डिग्री कॉलेजों में नैक अनिवार्य

उच्च शिक्षा राज्यमंत्री के मुताबिक सरकार ने राज्य के सभी डिग्री कॉलेजों में नैक अनिवार्य कर दिया है। अब सभी कालेजों को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) का निरीक्षण हर हाल में कराना होगा। यह मूल्यांकन निर्धारित करता है कि कोई भी कॉलेज यूजीसी की ओर से निर्धारित गुणवत्ता के मानकों को किस स्तर तक पूरा कर रहा है।

अगले साल बंद होंगे मॉडल पेपर

डॉ.रावत ने कहा कि शिक्षा में गुणवत्ता के मद्देनजर सभी कॉलेजों में प्राचार्य नियुक्त किए गए हैं। जल्द ही प्राध्यापकों की व्यवस्था हो जाएगी। इसके साथ ही सरकार ने शत-प्रतिशत फर्नीचर, पुस्तकें, लैब समेत अन्य सुविधाएं दो-तीन माह के भीतर जुटाने का निश्चय किया है। इससे गुणवत्ता में सुधार होगा। इसे देखते हुए अगले साल से राज्य में मॉडल पेपर बैन कर दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि सभी विवि को निर्देश दिए गए हैं कि वे उच्च शिक्षा से संबंधित योजनाओं को यहां भी धरातल पर उतारें।

कॉलेज से बंक तो घर भेजेंगे चिट्ठी

180 दिन की पढ़ाई सुनिश्चित करने के लिए सरकार सख्त कदम उठाएगी। डॉ. रावत ने बताया कि जिस भी छात्र की हाजिरी कम होगी या कोई बंक मारेगा तो इस बारे में कॉलेज से सीधे संबंधित छात्र के अभिभावक को पत्र भेजा जाएगा।

आइएएस-पीसीएस देने वाला प्रदेश बनाने का लक्ष्य

डॉ.रावत ने कहा कि छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करने पर सरकार गंभीरता से प्रयास कर रही है। एससी-एसटी छात्रों के लिए हर जिले में कोचिंग की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा प्रत्येक जिले में सभी वर्ग के छात्रों के लिए आइएएस व पीसीएस परीक्षा की कोचिंग क्लासेंस प्रारंभ होंगी। इसमें हर साल कितने छात्र होंगे, इनका चयन टेलेंट सर्च के माध्यम से होगा। सरकार का प्रयास है कि आइएएस व पीसीएस देने वाला उत्तराखंड अग्रणी राज्य बने। यही नहीं, सरकार सुपर-100 योजना भी लांच करने जा रही है।

शैक्षिक गुणवत्ता पर सेमिनार 20 से

डॉ.रावत ने जानकारी दी कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर 20 व 21 नवंबर को देहरादून में दून विवि में सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। पहले दिन राज्यपाल और दूसरे दिन मुख्यमंत्री इसका उद्घाटन करेंगे। सेमिनार में 119 डिग्री कॉलेजों के प्राचार्य, 31 विवि के कुलपति व रजिस्ट्रार, चार विवि के तीन-तीन पूर्व कुलपति भाग लेंगे। सेमिनार के 10 सत्र होंगे। इसमें लिंगदोह कमेटी, वित्तीय प्रबंधन, कौशल विकास व उद्योग का उच्च शिक्षा से जुड़ाव समेत 10 विषयों पर मंथन होगा। इसके बाद हर जिले में भी ऐसे सेमिनार होंगे।

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