ओलावृष्टि से किसानों की मेहनत पर फिरा पानी Dehradun News
ओलावृष्टि ने इस बार जौनसार-बावर व पछवादून में गेहूं मसूर के साथ ही सब्जियों की फसलों की गुणवत्ता खराब कर दी है। इससे किसानों की साल भर की मेहनत पर पानी फिर गया है।
देहरादून, जेएनएन। ओलावृष्टि ने इस बार जौनसार-बावर व पछवादून में गेहूं, मसूर के साथ ही सब्जियों की फसलों की गुणवत्ता खराब कर दी है। इससे किसानों की साल भर की मेहनत पर पानी फिर गया है। कृषि मंडियों में ओले लगने से दागी टमाटर, मटर, मिर्च, फूलगोभी, पत्ता गोभी, फ्रेंच बीन के किसान को मनमाफिक दाम भी नहीं मिल रहे हैं, जिससे किसान के बीज के पैसे निकलने भी मुश्किल हैं। तहसील प्रशासन नुकसान का आकलन कर चुका है, लेकिन अभी तक किसी भी किसान को मुआवजा नहीं बांटा गया है।
पिछले दस दिन के भीतर कालसी व चकराता ब्लॉक क्षेत्रों के करीब सौ गांवों में ओलावृष्टि से नगदी फसलों मटर, टमाटर, गेहूं, मसूर आदि फसलों को काफी नुकसान हुआ है। पछवादून में ओलावृष्टि व बारिश के साथ तेज हवाओं से गेहूं की फसल को सर्वाधिक नुकसान पहुंचा। बीज बनने की प्रक्रिया के दौरान गेहूं की फसल के गिरने व ओले से बालियां टूटने से पचास प्रतिशत तक फसल प्रभावित हो चुकी है।
ओलावृष्टि के कारण उपज की गुणवत्ता प्रभावित होने से बाजार में जिस सब्जी के अच्छे दाम मिलने चाहिए, उसके दाम आधे से भी कम हो गए हैं। साहिया की मंडी में दागी मटर के रेट दस से 11 रुपये प्रति किलो मिल रहे हैं, जबकि गुणवत्ता ठीक होने पर यही रेट 25 रुपये किलो तक मिलते।
सामान्य अवस्था में किसान बाजार में मांग के अनुसार निश्चित समय पर उपज भेजता है, जिसके कारण उसको अच्छा लाभ मिलता है। अब ओलावृष्टि के कारण किसान यह सोचता है कि यदि उपज को नहीं तोडेंगे तो पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी। ऐसी स्थिति में बाजार में बहुत अधिक मात्रा में एक साथ टमाटर, मटर, मिर्च, फूलगोभी, पत्ता गोभी, फ्रेंच बीन आदि सब्जियां पहुंच रही हैं। इसके कारण फसल के दाम एकदम बहुत नीचे स्तर पर आ गए हैं। इसका खामियाजा उत्पादक किसानों को भुगतना पड़ रहा है।
किसान नारायण सिंह, मोहन शर्मा, सतपाल राय, वीरेंद्र ङ्क्षसह आदि कहना है कि गुणवत्ता खराब होने से उपज के सही दाम नहीं मिल रहे। बीज के रेट निकल पाना भी मुश्किल है। उपभोक्ता अच्छी एवं साफ-सुथरी उपज को खरीदने में अपनी दिलचस्पी रखता है।
नहीं मिल रही गुणवत्ता वाली सब्जियां
कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी के वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार के मुताबिक, ओलावृष्टि की वजह से अच्छी गुणवत्ता वाली सब्जियां नहीं मिलती, जिसके कारण किसान को कम दाम मिलते हैं। मांग एवं पूर्ति सही हो तभी किसान को फायदा होता है, लेकिन उसके बिगडऩे के कारण कुछ समय के लिए असंतुलित होने पर बाजार अस्थिर हो जाता है।
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पटवारियों ने भेजी आकलन की रिपोर्ट
एसडीएम चकराता डॉ. अपूर्वा सिंह के अनुसार, ओलावृष्टि प्रभावित क्षेत्रों में किसानों को नुकसान का पटवारियों से आकलन करा लिया गया है। रिपोर्ट तैयार कर उच्चाधिकारियों को भेजी गयी है, जिसके बाद ही मुआवजे की कार्रवाई की जाएगी।